सद्गुरुजी
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अमर्त्य सेन जी जैसे अर्थशात्री और अपने को धर्म निरपेक्ष कहने वाले बहुत सारे नेता मोदी से धर्म निरपेक्षता का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं.धर्म निरपेक्षता का प्रमाणपत्र है किसके पास ? और धर्म निरपेक्षता का प्रमाणपत्र देगा कौन ? लोकतंत्र में यह जिम्दारी जनता पर छोड़ देनी चाहिए.जनता ही अपने मत से फैसला करती है कि कौन धर्म निरपेक्ष है.पांच रूपये और बारह रूपये में भरपेट भोजन मिलने की बात करने वाले नेता सपनो की दुनिया में जीते है.उन्होंने जीवन में कभी गरीबी नहीं देखी है इसीलिए गरीबो का मजाक उड़ाते हैं.दूसरे का दर्द समझने के लिए और दूर करने के लिए अपने हृदय में भी दर्द की अनुभूति होना जरुरी है.किसी शायर ने कहा है कि क्या दर्द किसी का लेगा कोई इतना तो किसी में दर्द नहीं.बहते हुए आंसू और बहें अब ऐसी तसल्ली रहने दो.
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