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वाराणसी के दक्षिण पश्चिम के कोने पर कन्द्वा पोखरा स्थित है.इसी के पास घमहापुर(कन्द्वा) है जहाँ पर प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम स्थित है.कन्द्वा पोखरा एक एतिहासिक व् पौराणिक जगह है परन्तु पौराणिक धरोहर और पर्यटन की दृष्टी से इस जगह का विकास नहीं हो पाया है.कन्द्वा पोखरे का पानी साफ़ सफाई के अभाव में गन्दा रहता है.कन्द्वा पोखरे के विकास के लिए बहुत से योजनायें बनी परन्तु कागजो में ही सिमट के रह गई.इस जगह की महत्ता ऋग्वेद के ऋक परिशिसत (श्री सूक्त) के श्लोक ११ में वर्णित है-लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम संतान हैं.कर्दम ऋषि आप हमारे यहाँ उत्पन्न हों तथा पद्मो की माला धारण करने वाली माता लक्ष्मी देवी को हमारे कुल में स्थापित करें.कर्दम ऋषि ने इसी स्थान पर तपस्या करके माँ लक्ष्मी और भगवान् शिव को प्रगट किया था.सभी लोगों तथा प्रशासन से मेरा अनुरोध है की कन्द्वा पोखरा एक एतिहासिक व् पौराणिक जगह है.इसका विकास इस ढंग से किया जाए की हमारी एतिहासिक व् पौराणिक धरोहर सुरक्षित हो तथा पर्यटन की दृष्टी से इस जगह का विकास हो.(संत राजेंद्र ऋषि प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम घमहापुर कन्द्वा वाराणसी.पिन-२२११०६)
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