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भगवान कृष्ण की रासलीलाएं

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भगवान कृष्ण की रासलीलाएं.संसार में जब कोई पुरुष दो चार स्त्रियों से दोस्ती कर ले या प्रेम कर ले या कोई स्त्री ऐसा करे तो लोग छींटाकसी करने लगतें है की रासलीला चल रही है.ये मायिक जगत का प्रेम है और छींटाकसी करने वाले भी मायिक हैं.भगवान की माया ने किसी को सतोगुण किसी को रजोगुण और किसी को तमोगुण से घेर रक्खा है लोग उसी के अनुसार बोलतें हैं और व्यवहार करते हैं.रासलीला मायिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक जगत की उच्च अवस्था है जहाँ पर शारीर की सुधबुध नहीं रहती और जीव भगवान के आनंद में लीन हो जाता है.भगवान कृष्ण की रासलीला वाली तस्वीरें देखिये.भगवान कृष्ण के साथ एक से बढकर एक सुंदर गोपियाँ ,कोई पूजा की थाल हाथ में लिए है और कोई माला,शारीर की सुधबुध भी किसी को नहीं.भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते हुए अपने स्वरुप में लीन हैं और गोपियाँ भगवान में लीन हैं.यहाँ पर सांसारिक जगत का कोई मायिक प्रेम नहीं है बल्कि तन, मन, बुद्धि और अहंकार से उपर उठकर आध्यात्मिक जगत का विशुद्ध प्रेम है.भगवान अपनी स्वरुपशक्ति में लीन हैं और भक्त भगवान में.रास शब्द में रा जीव है और स परमात्मा.जीव और परमात्मा का मिलन ही रास है,भगवान का भक्त को दर्शन देना ही लीला है.एक आध्यात्मिक शब्द है राधा.शाश्वत धाम से इस्वर अंश जीव की संसार की ओर गति धारा है अर्थात धा यानि धाम से रा यानि जीव संसार में आया.इसके ठीक उलट जीव का अपने शाश्वत धाम वापस जाना राधा है.राधा शब्द का जाप अपने धाम वापस जाने का प्रयास है और एक भजन है.भजन करने वाला हर जीव राधा है.भजन शब्द का अर्थ है भज न अर्थात भागना मत.संसार की ओर भागना मत,भगवान के भजन में लगे रहना एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.(सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)

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