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श्रद्धा और विश्वास रूपी भवानी शंकर की वंदना

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भगवान शिव की खोज आदिकाल से ही होती चली आ रही है.सावन मास में तो पूरे देश भर में चारो ओर शिवमय वातावरण बन जाता है.कहीं शिवमंत्र की गूंज ॐ नम: शिवाय सुनाई देती है तो कहीं कांवरियों का रेला भगवान शिव को जल चढाने जाता दिखाई देता है.काशी भगवान शिव की नगरी है और सावनमास में समूची कशी शिवमय हो जाती है.हर जीव भगवान शिव की तलाश में जुट जाता है,हर हर महादेव की गूंज धरती से आसमान तक गुंजायमान हो जाती है.भगवान शिव कहाँ रहतें है और उनकी प्राप्ति कैसे होगी,इसका विशद वर्णन विभिन्न हिन्दू धर्मग्रंथों में है परन्तु इस सम्बन्ध में मानस में वर्णित संत तुलसीदास का विचार सबसे ज्यादा तार्किक और सच्चाई के करीब लगता है.रामचरितमानस में बालकाण्ड के दुसरे श्लोक में कहा गया है कि श्रद्धा और विश्वास रूपी भवानी और शंकर जी की वंदना व् आराधना करनी चाहिए,जिसके बिना अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नहीं देखा जा सकता है.भवानी कौन है?हमारे चारो और विद्यमान प्रकृति ही भवानी है, जिसके प्रति श्रद्धा का भाव रखना चाहिए.संसार में पैदा होने से लेकर मरने तक हमारा समूचा सांसारिक प्रकृति पर ही आधारित है अत; हमें प्रकृति का एहसान मानना चाहिए जन्म देने वाली माता के प्रति जैसी श्रद्धा और सेवा की भावना हम रखतें हैं वैसी ही श्रद्धा व् सेवा की भावना प्रकृति के प्रति भी होनी चाहिए.प्रकृति के प्रति श्रद्धा तो भगवान शंकर के प्रति विश्वास की भावना होनी चाहिए.भगवान शंकर मिलेंगें कैसे?संत तुलसीदास जी मानस में बालकाण्ड के तीसरे श्लोक में इसका उत्तर देते है-भगवान शंकर की प्राप्ति के लिए हर युग में मिलने वाले नित्य,ज्ञानमय और शंकररूपी गुरु की खोज करनी चाहिए और उनकी वंदना,सेवा व् आराधना करनी चाहिए.शिष्य की शंकाओं का समाधान करने वाला गुरु है इसलिए उन्हें शंकर का रूप भी कहा गया है.जैसे टेढ़ा चन्द्रमा भगवान शिव की जटा से जुड़ पूजनीय हो जाता है,उसी प्रकार से ख़राब से ख़राब मन वाला व्यक्ति भी किसी ब्रह्मज्ञानी व् ब्रह्मनिष्ठ गुरु से जुड़ वन्दनीय हो जाता है.गुरु के बताये अनुसार साधना करने से और गुरु की कृपा से शिष्य अपने अंतकरण में भगवान शिव का दर्शन पाता है.जो अपने भीतर भगवान शिव को देख लेता है वो हर एक जीव के भीतर भगवान शिव को देखता है और बोल पड़ता है-हर हर महादेव.(सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)

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