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जोधपुर आश्रम कांड की सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में संत आसाराम बापू के लाखों शिष्य हैं.उनके जोधपुर स्थित उनके आश्रम में १४ अगस्त की रात को क्या हुआ,इसकी सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए,क्योकि ये लाखो करोड़ों लोगों की आस्था व् विश्वास का प्रश्न है.उनके आश्रम के गुरुकुल में पढने वाली 12 वी कक्षा की छात्रा ने आरोप लगाया है की आसाराम बापू व् उनके तीन शिष्यों ने जोधपुर स्थित आश्रम में रेप किया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी.अख़बारों की ख़बरों से पता चला है की पीडिता की मेडिकल जाँच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है की उसके साथ रेप हुआ है.पीड़ित छात्रा के मुताबिक वह कुछ समय से बीमार चल रही थी और गुरुकुल प्रबंधन के कहने पर जोधपुर आश्रम में झाड़-फूंक,पूजा-अनुष्ठान कराने गई थी,ताकि उसकी तबियत ठीक हो जाये.पहले भी कई बार संत आसाराम बापू व् उनके बेटे नारायण साईं पर तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए बच्चों की हत्या और हिप्नोटाइज यानि सम्मोहित करके बच्चों व् युवतियों का शारीरिक व् मानसिक शोषण करने का आरोप लगा था.इन सब आरोपों में कितनी सच्चाई है,इसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए.हर बात के लिए कांग्रेस को दोष देकर सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए.जब तक सारी सच्चाई सामने नहीं आ जाती है,तब तक संत आसाराम बापू के शिष्यों को भी शांत रहना चाहिए.इतिहास गवाह है की दुनिया ने संतो पर झूठे आरोप लगाये परन्तु परमात्मा ने सच्चाई सामने ला दी.पीड़ितों के लिए और शोषित मानवता के लिए हमारे ह्रदय में इतना प्रेम होना चाहिए की गुरु तो क्या यदि साक्षात् भगवान भी धरती पर उतरकर ऐसा निकृष्ट कृत्य करें तो हमें उनका भी विरोध करने की हिम्मत जुटानी चाहिए.ऐसी घटनाओं पर कुछ टिका टिपण्णी करने में भी शर्म आती है,परन्तु मानवता का नाते चुप भी नहीं रहना चाहिए.संत मोरारी बापू ने इन्ही सब विवादों पर कई साल पहले कहा था कि आदमी की व्यक्तिगत घडी यदि ख़राब हो जाय तो उस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता,परन्तु यदि चौराहे पर लगी बड़ी ख़राब हो जाये तो हर आने जाने वाले का ध्यान उधर जायेगा.संत भी चौराहे पर लगी बड़ी घडी के समान हैं,उनका ठीक चलना पूरे समाज के लिए बहुत जरुरी है.बहुत से संतों के साथ रहने का सौभाग्य मुझे मिला.मैंने कई संतों को देखा की साधना करते करते उनका शरीर इतना सेंसिटिव हो गया था की वो न तो किसी को छूते थे और न ही अपना शारीर किसी को छूने देते थे.साधना के कई वषों बाद स्वम मैंने भी ऐसा ही अनुभव किया.जब जोधपुर आश्रम कांड जैसी घटनाएँ सुनने पढने को मिलतीं हैं तो मुझे आश्चर्य होता है.वास्तव में ये साधू के लिए बड़े कलंक की बात है.सबसे बड़ी बात यह है की जिस भगवान का आप जीवन भर गुणगान किये उसे शरीर छोड़ने के बाद क्या मुंह दिखाएंगें ?जोधपुर आश्रम कांड की सच्चाई सामने आनी चाहिए.यदि पीडिता के आरोप सही हैं तो कानून को अपनी कार्यवाही करनी चाहिए,पीडिता को हर हालत में न्याय मिलना चाहिए और यदि पीडिता के आरोप झूठे हैं तो पूरे घटनाक्रम की साजिश रचने वालों का पता चलना चाहिए.एक तरफ न्याय मांगती एक नाबालिग छात्रा की चीख है तो दूसरी तरफ लाखो शिष्यों की आस्था व् विश्वास का प्रश्न भी है.अत:इस पूरे मामले की शीघ्र व् निष्पक्ष जाँच हो.(सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)

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