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विदेशों में भारत की ख़राब होती छवि

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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कहतें हैं की कोई भी देश अपने समाज का आइना होता है और हमारे देश के आईने में हमारे समाज की ख़राब तस्वीर पूरी दुनिया में देखी जा रही है चाहे वो भ्रस्टाचार की तस्वीर हो,चाहे ख़राब आर्थिक स्थिति की तस्वीर हो या फिर महिलाओं को सुरक्षा देने की तस्वीर हो.विदेशों में भारत की छवि दिन-प्रतिदिन बहुत ख़राब होती चली जा रही है.सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएँ रुकने की बजाय बदती ही चलीं जा रहीं हैं.अभी हाल ही में घटीं दुष्कर्म की कई घटनाओं के बाद गुरुवार को मुंबई में महिला पत्रकार के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ.सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए कानून बनाती जा रही है,परन्तु फिर भी सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं,इसका कारण यह है की कानूनों का सख्ती से और त्वरित रूप से लागू नहीं हो पाना.जब तक ऐसे अपराधों की तुरंत सुनवाई और तुरंत सजा नहीं होगी,तब तक समाज में ऐसे अपराध रुकेंगें नहीं.खाड़ी के देशों में लोगों के अंदर कानून का भय है,इसलिए लोग अपराध करने से डरतें हैं.भारत के लोगों के मन में कानून का भय नहीं.अपराध करते समय लोग सोचतें हैं की पकडे जाने पर देखा जायेगा.अपराधियों को अपने धन बल व् राजनीतिक पहुँच पर भरोसा रहता है की वे सजा से बच जायेंगें.इस देश को नेताओं ने अपने वोट बैंक के लिए धर्म,जाति,संप्रदाय और क्षेत्र में इस तरह से बाँट दिया है की हर आदमी कोई न कोई राजनितिक पहुँच रखता है.अपराधी प्रवृति के व्यक्ति अपनी इसी राजनीतिक पहुँच का दुरूपयोग करतें हैं और अपराध करके भी सजा पाने से बच जातें हैं.अपराधी को सजा इसीलिए दी जाती है ताकि किसी निर्दोष को कष्ट देने का उसे एहसास हो.यदि अपराधी सजा नहीं पायेंगें तो उनका और उनके जैसे अपराधी प्रवृति वाले लोगों का मनोबल बढेगा,समाज में अपराध की घटनाएँ और बदेंगीं.दुष्कर्म करने वाले को कानूनी सजा के अतिरिक्त ये भी सजा दी जानी चाहिए की उसकी निजी प्रापर्टी सरकार उससे छिनकर पीडिता को दे दे,ताकि अपराधी को शारीरिक,मानसिक व् आर्थिक तीनो तरह से सजा मिले.कई साल पहले एक विदेशी महिला ने मुझसे कहा था कि इंडिया में स्किन प्राबलम है.गोरी चमड़ी को देखकर लोग घूरतें हैं और मौका मिलने पर छेड़ते भी हैं.कोई सामान खरीदते समय दुकानदार भी सोचतें हैं कि कितना इन्हें लूट लो.भारत घूमने आये विदेशी लोग जब अपने को सुरक्षित नहीं समझते जिन्हें विशेष सुरक्षा दी जाती है,तो यहाँ के लोग तो भगवान भरोसे ही हैं.सिर्फ कानून और उसके पालन से ही समस्या जड़ से हल नहीं होगी,इसके लिए समाज के गंदे माहौल को भी ठीक करना पड़ेगा.माता-पिता बच्चों को अच्छे संस्कार दें,लड़का व् लड़की में भेदभाव न करें.लड़का गलत काम करे तो उसे तुरंत टोकें और लड़कियों को बहादुर बनायें,जो संकट के समय विषम परिस्थितियों का बहादुरी से मुकाबला कर सकें.लड़कियों कि अपेक्षा लड़कों का विवाह जल्दी कर देना चाहिए.मोबाईल में पोर्न वीडियो भरने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो,माता-पिता को भी अपने बच्चों का मोबाईल चेक करते रहना चाहिए की कहीं वो पोर्न विडियो तो नहीं देख रहें हैं.इन्टरनेट पर पोर्न वेबसाइटों पर रोक लगे और बाज़ारों में बिकने वाली पोर्न सामग्रियों पर रोक लगे.देश में लोगों को खासकर बच्चों को संस्कारित करने वाले धर्मगुरुओं और आश्रमों व् संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए,उन्हें अपना कार्य सुचारू रूप से करने का मौका देना चाहिए.जो विवादित धर्मगुरु हैं,जो भक्तों को अपनी निजी प्रापर्टी समझतें हैं और भक्तों के बल पर सरकार को व् कानून को धमकी देतें हैं,उनकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और यदि दोषी पाए जातें हैं तो सजा भी होनी चाहिए और यदि निर्दोष पाए जातें हैं तो आरोप लगानेवालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए.बच्चों में गलत सन्देश नहीं जाना चाहिए कि जन बल ,धन बल और राजनीतिक पहुँच के बल पर इस देश में गलत काम करके भी सजा से बचा जा सकता है.दुर्भाग्य से आज बच्चे समाज को और समाज में घटने वाली बुरी घटनाओं को देख रहें हैं और उनमे ये गलत सन्देश जा रहा है.बड़े होकर वो भी वही करेंगें.अत:आज जरुरत है पूरे सामाजिक ढांचे को सही करने की,इसमें माता-पिता,स्कूल के गुरुजन,मीडिया,सरकार और आध्यात्मिक लोग सबकी अहम् भूमिका है.हम बच्चों को संस्कारित कर भावी पीढ़ी व् भावी समाज को सभ्य व् सुरक्षित बना सकतें हैं.(सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)

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