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विहिप ने २५ अगस्त से १३ सितम्बर के बीच उत्तर प्रदेश के ६ जिलों में चौरासी कोसी परिक्रमा का एलान किया था.उत्तर प्रदेश सरकार ने चौरासी कोसी परिक्रमा पर रोक लगाई हुई हैं.माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अयोध्या में चौरासी कोसी परिक्रमा को शांतिपूर्ण तरीके से कराये जाने की मांग वाली जनहित याचिका शनिवार को ख़ारिज कर दी.कोर्ट में यह सिद्ध नहीं किया जा सका की यह यात्रा धार्मिक व् पारम्परिक है तथा पिछले पचास वर्षों में कभी हुई है.हिन्दू धर्म शास्त्रों के कुछ विद्वान पंडितों के अनुसार चातुर्मास व् भादों मास में चौरासी कोसी परिक्रमा शास्त्रसम्मत नहीं है.धर्म से सम्बंधित यात्रा निकालना या उसमे भाग लेना निश्चित रूप से मौलिक अधिकार है,परन्तु यह पारम्परिक और धर्मानुसार होना चाहिए.देखा-देखी और कम्पिटीसन वश दूसरे धर्म वाले भी यही करने लगे तब क्या होगा?धार्मिक उन्मांद फ़ैलाने के लिए और राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह की यात्रा निकालना ठीक नहीं है.जहाँ तक मोदीजी और बीजेपी की बात है तो जनता उन्हें हृदय से लाइक करे और सन २०१४ के लोकसभा चुनाव में में वोट दे,उसके लिए ऐसा कार्य करें की लोगों का दिल जीत लें.आज जनता अपने क्षेत्र का विकास चाहती है,गरीबी,भूखमरी,मंहगाई,भ्रस्ट्राचार और पिछड़ेपन से छुटकारा पाना चाहती है.जो भी पार्टी जनता की मूलभूत समस्याओं और भावनाओं को समझेगी,जनता उसका साथ जरुर देगी.राम जन्म भूमि स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण सभी चाहतें हैं.एक दिन अयोध्या में भव्य श्री राममन्दिर जरुर बनेगा,परन्तु यह हिन्दू-मुस्लिम दोनों की सहमति से हो तो भविष्य के लिए भी अच्छा होगा.अत:आपस में बैठकर हिन्दू-मुस्लिम आपसी सहमति से कोई रास्ता निकालें,यह चौरासी कोसी परिक्रमा से बेहतर उपाय है.धार्मिक उन्मांद व् अशांति नहीं फैलना चाहिए.माहौल ख़राब होने से किसी का भला नहीं है.सरकार,उसके कर्मचारी,आम जनता,गरीबों और रोज कमाने खाने वालों को बड़ी परेशानी होगी.अत:विहिप को इस यात्रा पर पुनर्विचार करना चाहिए.दूसरे शहरों के मुकाबले में अयोध्या आज भी अति पिछड़ा हुआ क्षेत्र है.चौरासी कोसी परिक्रमा रूपी एक नई परम्परा शुरू करने की बजाय अयोध्या के विकास के लिए जनता व् सरकार को जागरूक किया जाय तो वो ज्यादा बेहतर होगा.(सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)
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