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जीवन का सरल व् सर्वोत्तम मार्ग प्रेम है चाहे वो सांसारिक हो या आध्यात्मिक

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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जिन्दगी क्या है?भगवान श्री कृष्ण ने इसकी सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से परिभाषा दी है.आध्यात्मिक प्रेम को उन्होंने सर्वोत्तम बताया,वहीँ दूसरी तरफ सांसारिक प्रेम को भी उन्होंने नकारा नहीं.सांसारिक प्रेम यदि मर्यादित है और शरीर तक ही सीमित नहीं है तो वो भी धीरे धीरे ऊपर उठाते हुए प्राण,मन,बुद्धि और अहंकार से परे ले जा परमात्मा तक पहुंचा देता है.कृष्ण राधा की ये तस्वीर किसी कलाकार की कल्पना है परन्तु ये तस्वीर प्रेम की अभिव्यक्ति के साथ साथ जिन्दगी की एक परिभाषा भी देती है की जिन्दगी क्या है?पति-पत्नी के बीच कैसा प्रेम होना चाहिए?एक पुरानी फिल्म का गीत मुझे याद आ गया,जो कृष्ण राधा के साथ साथ सभी सच्चे प्रेमियों को भी समर्पित है.सांसारिक रूप से मेरी भी एक पत्नी हैं और एक छोटी बिटिया भी हैं.भगवान से प्रेम,उनके भक्तों की सेवा में अधिकांश समय बीत जाता है,परन्तु मै रोज कुछ समय पत्नी और बेटी के लिए भी जरुर निकलता हूँ.छोटे से जीवन में माता-पिता,भाई-बहन,पत्नी-बच्चे,मित्र और समाज सबसे हम प्रेम करतें हैं,बस प्रेम का रूप हर एक से भिन्न-भिन्न होता है.प्रेम चाहे सांसारिक हो या आध्यात्मिक उसकी यादें जीवन भर साथ रहती हैं और शरीर छोड़ने के बाद साथ जातीं भी हैं.इसीलिए कहा गया है कि-ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.ये संकीर्ण मानसिकता है की बहुत से लोग प्रेम का मतलब केवल सेक्स या लड़का-लड़की के बीच का प्रेम समझतें हैं.प्रेम एक सिक्के की तरह है,जिसके एक तरफ सांसारिक प्रेम है तो दूसरी तरफ पलटने पर आध्यात्मिक प्रेम है.मनुष्य का सांसारिक प्रेम भी एक न एक दिन दूसरी तरफ पलटकर आध्यात्मिक हो जाता है.भगवान से प्रेम एक तरफ जहाँ मनुष्य का कर्तव्य है वहीँ दूसरी तरफ परिवार से प्रेम पिछले जन्मों का एक कर्ज है,जिसे हंसी-ख़ुशी के साथ चुकाना बहुत जरुरी है.परिवार का कर्ज चूका दिया तो समझिये आधा मोक्ष मिल गया.बाकी बचे आधे मोक्ष के लिए जीवन का शेष बचा भाग भगवान की भक्ति में लगा दीजिये.जीवन का सरल व् सर्वोत्तम मार्ग प्रेम है चाहे वो सांसारिक हो या आध्यात्मिक.

ज़िन्दगी प्यार की दो चार घड़ी होती है
चाहे थोड़ी भी हो ये, उम्र बड़ी होती है

ताज या तख़्त या दौलत हो ज़माने भर की
कौन सी चीज़ मोहब्बत से बड़ी होती है
ज़िन्दगी प्यार की…

दो मोहब्बत भरे दिल साथ धड़कते हो जहाँ
सबसे अच्छी वो मोहब्बत की घड़ी होती है
ज़िन्दगी प्यार की…

(फिल्म:अनारकली (1953),संगीत:सी.रामचन्द्र,गीतकार:राजेंद्र कृष्ण,गायक:हेमंत कुमार)1003172_527955357270880_1000977105_nTY

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