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आम आदमी तो अब ये सोचने और कहने लगा है कि साधू संतों से बेहतर तो गृहस्थ हैं

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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जोधपुर पुलिस की बहुत कोशिशों के बाद आसाराम बापू अपने इंदौर स्थित आश्रम में शनिवार को आधी रात के समय गिरफ्तार कर लिए गये.वो अपने बेटे नारायण साईं के साथ आश्रम के एक कमरे में छुपे थे,और उस कमरे को बाहर से ताला लगा दिया गया था.जोधपुर पुलिस और मिडिया से आश्रम के सेवक झूठ बोलते रहे की बापू यहाँ नहीं हैं.आसाराम बापू एक नाबालिग छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किये गए हैं.थाने में ये केस दर्ज होने के बाद से हीआसाराम बापू व् उनके सेवक झूठ और दबंगई पर उतर आये थे.उनके समर्थकों ने दिल्ली में तोड़फोड़ की,पीड़ित लड़की को झूठा कहा.आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं ने तो उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त तक कह दिया.जोधपुर आश्रम में हिंसा का जो नग्न ताडंव हुआ,उसमे कई मीडियाकर्मी घायल हुए.राजथान पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए आसाराम बापू अपने इदौर आश्रम चले गए,अपने को चार करोड़ शिष्यों के गुरु और भगवान का विशेष यार बताने वाले आसाराम बापू बड़े-बड़े नेताओं व् पुलिस उच्च अधिकारियों से राजथान पुलिस के चंगुल से बचाने के लिए गिडगिडाते रहे.उनकी एक शिष्या ने जाकर पीड़ित लड़की के माँ का पैर पकड़ कहा था की बापू को क्षमा कर दें,उनसे गलती हो गई.यदि पीड़ित लड़की के माता पिता दबाब व् धमकी से डरकर आसाराम बापू से समझौता कर लेते और यदि पूरे देश की जनता व् मिडिया पीड़ित लड़की का साथ नहीं देती तो यह मामला भी रफा दफा हो गया होता.आसाराम बापू की गिरफ्तारी के बाद अब पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जाँच हो की उनके खिलाफ जो आरोप लगे हैं वो सही हैं या नहीं?अपने कई विवादित कार्यों,आचरणों व् उनके गुरुकुल में हुई कई बच्चों की रहस्यमय मौतों के कारण आसाराम बापू संदेह के घेरे में बहुत समय से रहें हैं,परन्तु पहली बार कानून के शिकंजे में फंसे है.अब शायद थानों में दर्ज पुराने सभी मामलों की जाँच हो.आसाराम बापू के कुछ समर्थक यह कुतर्क देतें हैं कि आसाराम बापू पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाने वाली लड़की का यौन उत्पीडन होते किसने देखा है?जोधुर आश्रम की जिस कोठरी में पीडिता का यौन शोषण हुआ,उसमे किसी को भी अन्दर जाने की इजाजत नहीं थी,इसीलिए ये कुतर्क ही बेतुका है.सबसे बड़ा सवाल तो ये है की बीमार नाबालिक लडकी को ठीक करने के लिए पूजा-अनुष्ठान बंद कमरे में क्यों किया?और पूजा अनुष्ठान लड़की के माता-पिता के सामने क्यों नहीं किया?यह ऐसे प्रश्न हैं जो नाबालिग छात्रा के लिए पूजा-अनुष्ठान करने वाले की नियत में खोट दर्शातें हैं.बहुत से लोग यह कुतर्क देते हैं कि आसाराम बापू एक कट्टर हिन्दू हैं,जो ४२५ धार्मिक आश्रम,१७०० बाल संस्कार केंद्र और ५० गुरुकुल चला रहें हैं और लाखों हिन्दुओं का धर्मान्तरण रोके हैं,इसीलिए उन्हें क्षमा कर देना चाहिए.यह भी एक कुतर्क है की धार्मिक कार्य करने के कारण किसी आरोपी को क्षमा कर दिया जाये.यदि सभी धर्म वाले अपने अपने धर्म से जुड़े अपराधियों को बचाने लगे और सभी जाति वाले अपने अपने जाति से जुड़े अपराधियों को बचाने लगे तो देश में चारो और अव्यवस्था फ़ैल जाएगी और अपराधों की बाद आ जाएगी.धर्म जाति के आधार पर और अपने वोट बैंक को बचाने के लिए नेताओं ने अपराधियों को बचाया और आज पूरा देश विभिन्न प्रकार के अपराधों की चपेट में आ उसकी सजा भुगत रहा है.अपराधी चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो और चाहे कितनी भी ऊँची राजनीतिक पहुँच वाला क्यों न हो,उसे सजा जरुर मिलनी चाहिए.जनता को महसूस होना चाहिए की सरकार और कानून का राज्य है.पहले से ही लोग कहीं जाने में खतरा महसूस कर रहे थे,अब तो साधू संतों के यहाँ भी परिवार सहित जाने में लोग हिचकेगें.आम आदमी तो अब ये सोचने और कहने लगा है कि साधू संतों से बेहतर तो गृहस्थ है,यहाँ वहां भागने कि बजाय घर में ही रहकर भगवान का भजन करो,जब भगवान को कृपा करनी होगी तब करेंगें,जब दर्शन देना होगा,तब देंगे.लोगों की ऐसी सोच के जिम्मेदार बहुत से पाखंडी व् भ्रष्ट वो साधू संत हैं.जो अपने नीच कर्मो से सच्चे साधू संतों को भी बदनाम कर रहे है.सच्चे संत दूर से ही आशीवाद देते हैं,किसी को छूने और अपनी देह छुआने से भी बचतें हैं.धार्मिक कार्य करते हुए अपराध करना और भी बड़ा अपराध है.धार्मिक व्यक्ति को तो और भी ज्यादा सजा मिलनी चाहिए,क्योंकि वो अपने कुकृत्य से पीड़ित व्यक्ति को ही नहीं बल्कि अपने शिष्यों व् समर्थकों और यहाँ तक की भगवान को भी धोखा दे रहा है.वो व्यक्ति धार्मिक कैसे हो सकता है,जो सबको भगवान का भय दिखाकर अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करे और स्वम भगवान से न डरकर बुरे कर्म करे.भगवान और धर्म के नाम पर व्यवसाय करना और धनबल,जनबल व् राजनितिक बल हाथ में आ जाने पर स्वम को भगवान से भी बड़ा समझना तथा अहंकार के नशे में चूर हो कुकृत्य करना ये सब हमारे देश की बहुत पुरानी बीमारी है,बहुतों को ये रोग लगा और दुर्दशा भी झेले.भगवान सब देखतें हैं और सबके भीतर बैठ के देखतें हैं,इसीलिए एक न एक दिन व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों का दंड जरुर देते हैं,तभी तो कहा जाता हैं की भगवान की लाठी जब किसी पर पड़ती है तो आवाज नहीं करती.(सत्संग रविवार ०१ सितम्बर २०१३ सद्गुरु राजेंद्र ऋषिजी प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम ग्राम-घमहापुर पोस्ट-कन्द्वा जिला-वाराणसी पिन-२२११०६)1097949_556783894357349_1423614101_n

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