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बलात्कार की घटनाएँ रुक क्यों नहीं रहीं हैं? “जागरण जंक्शन फोरम”

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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सुबह के समय मेरे एक हाथ में अख़बार और दूसरे चाय से भरा कप है.अख़बार के मुख्य पेज पर नजरें पड़ती हैं.”सगी बहनों से गैंगरेप” शीर्षक पड़ते ही मन खिन्न और आक्रोशित हो जाता है.चाय छोड़ पूरी खबर पढता हूँ.पूरा समाचार पढ़ बहुत ख़राब लगता है.ऑटो चालक घर छोड़ने के बहाने दो नाबालिग बहनों को ऑटो मालिक के घर ले गया,जहाँ पर चार लोगों ने उनके साथ गैंगरेप किया.सुबह का तरो ताजा शांत मन दुखी और आक्रोशित हो जाता है.चाय कड़वी और बेस्वाद लगती है.किसी की भी बहन-बेटी के साथ ऐसी जीवन को बर्बाद करने वाली घटना घटी हो,उसे जानकर सबको दुःख होता है,गुस्सा आता है और भय भी लगता है क्योंकि हर घर में बहन बेटियां हैं.हर रोज स्कूल कालेज जाने के लिए या अन्य किसी न किसी काम से बहन-बेटियों को घर से बाहर निकलना ही पड़ता है.जब तक वो अपना कार्य पूरा करके घर में वापस न आ जायें तब तक घर के सब लोग चिंतित व् भयभीत रहतें हैं.आज हमारा समाज इतना ख़राब हो गया है कि घर और बाहर दोनों ही जगह किसी पर भी आँख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता है.हम तनाव देने वाले और भयभीत करने वाले समाज में जी रहे हैं,जहाँ पर मन समाज के बारे में सोचकर और कल्पना करके क्रोधित और भयभीत हो जाता है.
देश भर में बलात्कार और गैंगरेप के कई मामलों में आजीवन कारावास से लेकर फांसी तक की सजा सुनाई गई है,परन्तु इससे हमारे समाज के ऊपर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है.बलात्कार व् गैंगरेप की घटनायें दिन-प्रतिदिन बदतीं ही जा रही हैं.बलात्कार और गैंगरेप के अपराधियों को कठोर से कठोर सजा देने के साथ ही हमें इन अपराधों का मूल कारण भी ढूँढना होगा.लड़कियों और महिलाओं का जीवन बर्बाद करने वाले बलात्कार व् गैंगरेप जैसे जघन्य अपराधों का मूल कारण हमारे समाज का बिगड़ता जा रहा माहौल है.आज समाज में भोगवादी संस्कृति हावी है,अश्लील गाने और अश्लील फिल्मे मोबाईल पर लोड कर किशोर व् जवान लड़के देख रहे हैं.उनकी उतेजना को भड़काने के लिए ये आग में घी का काम कर रही है.आज जो हिंदी फिल्मे बन रही हैं उनके बारे में इतना ही कहना काफी होगा कि यदि किसी देश के किशोर व् नौजवानों को बलात्कारी व् अपराधी बनाकर उन्हें बर्बाद करना हो तो हिंदी फिल्मों को वो अपने देश में दिखाना शुरू कर दें.यदि हमें अपने समाज को छेड़खानी बलात्कार व् गैंगरेप जैसे अपराधों से मुक्त करना है तो अश्लील हिंदी फिल्मों पर और अश्लील हिंदी फ़िल्मी गीतों व् लोक गीतों पर तुरंत पाबन्दी लगा देनी चाहिए.
बलात्कार व् गैंगरेप के अपराधियों का चेहरा ढका न जाये बल्कि समाचार चैनलों के जरिये सबको दिखाया जाये.उनके परिवार वाले भी तो देखें कि उन्होंने कितना बड़ा अपराध किया है.उनकी बहन-बेटियां भी देखें कि इन्होने उनके जैसी ही किसी बहन-बेटी की ईज्जत लूटी है.आज के समय में बलात्कार के बहुत से अपराधी बालिग नहीं होने के बहाने सजा से बच जाते हैं.दिल्ली दुष्कर्म कांड का एक अपराधी जिसने पीडिता पर सबसे ज्यादा क्रूर अत्याचार किया था वो नाबालिग होने के कारण मात्र तीन साल की सजा पाकर बच गया.आज 16 से 18 वर्ष के किशोर छेड़खानी और यौन-अपराध ज्यादा कर रहे हैं.इसीलिए अब कानून बनाकर 16 वर्ष के लड़कों को बालिग करार दिया जाना चाहिए.किशोर उम्र के बच्चे आज के समय में मोबाइल और लेपटाप लेकर इन्टरनेट के जरिये अश्लील वीडियो और अश्लील फ़िल्में देख रहे हैं.अशील साहित्य वो चोरी-छुपे पढ़ते हैं.गलत ढंग से लिया गया सेक्स सम्बन्धी ज्ञान यौन-उर्जा न सिर्फ भडकता है बल्कि यौन-अपराध का कारण भी बन जाता है.बहुत से घरों में अच्छे संस्कारों की कमी के कारण अब बच्चे अपने अभिभावकों का कहना ही नहीं मानते और अपनी मर्जी के अनुसार चलते हैं.यही बच्चे गलत संगति में पड़कर नशे का सेवन करते हैं और समाज में विभिन्न तरह के अपराध भी करते हैं.
समाज में बलात्कार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए एक ओर जहाँ कानून को अपराधियों को कड़ा से कड़ा दंड देना होगा,वहीँ दूसरी तरफ समाज को भी अपने रहन-सहन और सामाजिक ढांचे को भारत के अनुकूल ढालना होगा.किशोर और युवा वर्ग अच्छे संस्कारों से ओत-प्रोत हो,इसके लिए माता-पिता के साथ-साथ स्कूल,कालेज और मिडिया सब अपनी और से पूरा प्रयास करें.बच्चे अश्लील साहित्य,अश्लील फिल्मे और इन्टरनेट के जरिये विकृत स्वरुप वाला हानिकर सेक्स ज्ञान हासिल करें उससे अच्छा है कि हम उन्हें स्कूल-कालेजों में सही ढंग से यौन-शिक्षा दें.जिस घर में युवा बहन-बेटियां हैं,उन्हें सबसे ज्यादा अपने नजदीकी रिश्तेदारों पर नज़र रखना चाहिए.अपने किसी भी रिश्तेदार पर आँख मूंद के विश्वास न करें.घरों के भीतर बच्चों का यौन-शोषण अक्सर नजदीकी रिश्तेदार ही करते हैं.घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाले पर हमेशा निगाह रखें.ये भी बच्चो का चोरी-छिपे यौन-शोषण करतें हैं.बच्चों को निडर बनायें,घर से बाहर बच्चे पूरी निडरता से रहें और किसी भी व्यक्ति के बहलाने-फुसलाने पर कहीं जाने को तैयार न हों.बच्चे यदि आप से छेड़खानी या यौन-उत्पीडन की शिकायत करें तो पूरी गंभीरता से तुरंत उस पर धयान दें.छेड़खानी की घटनाओं से यदि समाज और कानून सख्ती से निपटे तो भी बलात्कार की घटनाये कम होने लगेगीं.छेड़खानी की घटनाये ही कई बार आगे चलकर बलात्कार में तब्दील हो जातीं हैं.बलात्कार के अपराधियों को तन मन व् धन तीनो से दंड मिलना चाहिए उन्हें न सिर्फ सार्वजानिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए बल्कि उसकी व्यक्तिगत सम्पति जब्त कर पीडिता को दे देनी चाहिए.आज के युग में हमारी बहन-बेटियों की लाज बचाने के लिए और बहन-बेटियों को ईज्जत लूटने वालों को कद दंड देने के लिए भगवान श्री कृष्ण शरीर रूप से हमारे बीच नहीं हैं.निराकार सर्वव्यापी रूप में उनकी दृष्टि और आशीर्वाद हम सब के साथ है.बहन-बेटियों की लाज बचाने के लिए और बहन-बेटियों की ईज्जत लूटने वालों को कठोर दंड देने के लिए अब देश की अदालतों को ही भगवान श्रीं कृष्ण की भूमिका अदा करनी पड़ेगी.जिस देश और समाज में स्त्री सम्मानित और सुरक्षित नहीं वहां पर कोई भी सम्मानित और सुरक्षित नहीं है.(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६) बलात्कार की घटनाएँ रुक क्यों नहीं रहीं हैं? "जागरण जंक्शन फोरम"

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