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राजनीतिक बयानबाजी रूपी आतिशबाजी “जागरण जंक्शन फोरम”

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक और साल 2002 में मोदी के सुरक्षा सलाहकार रह चुके केपीएस गिल ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्दोष बताया तो सभी दल के नेता एक स्वर में केपीएस गिल की आलोचना करने लगे.सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने अपने मन की बात कह दी कि मै चाहतीं हूँ कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें.उनका इतना कहना था कि उनकी भी आलोचना होने लगी.समझ में नहीं आता है कि हम कैसे अजीब देश में जी रहे हैं,जहाँ पर एक व्यक्ति को अछूत और सांप्रदायिक घोषित कर उसी के इर्द-गिर्द आज की सारी राजनीति घूम रही है.यदि केपीएस गिल कह रहें हैं कि गुजरात के दंगों के समय नरेंद्र मोदी हिंसा खत्म करने के लिए बहुत गम्भीर थे और उस समय दंगा रोकने में राजनीतिक नेतृत्व नहीं बल्कि पुलिस नेतृत्व नाकाम रहा.उनकी बात सही है क्योंकि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में कार्रवाई करना पुलिस का कार्य है.अभी हाल ही में हुए मुज्जफरनगर के दंगों के लिए कौन जिम्मेदार है?यहाँ भी ठीक वही स्थिति है.गुजरात दंगों से कहीं ज्यादा भयानक और बर्बर कांगेस के शासनकाल में हुए 1984 के सिक्ख विरोधी दंगे थे,उसे क्यों लोग भूल जातें हैं?
साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के लिए आज तक सभी दल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराकर और उन्हें सांप्रदायिक घोषित कर मुस्लिमों को खुश कर अपनी राजनीती चमकाते रहे हैं.साम्प्रदायिकता के आगे उन्हें गुजरात में हुआ विकास भी नहीं दिखाई देता है.सभी दल इस वास्तविकता को जानते हैं कि किसी भी प्रदेश का विकास करने के लिए मुख्यमंत्री को पूरी ईमानदारी और दृढ इच्छाशक्ति के साथ हर तरह के घोटाले से बचकर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.विकास के नाम पर गरीब जनता की झोली में तभी कुछ जायेगा जब सत्ता सम्हालने वाले राजनेता अपने लोभ-लालच की झोली नहीं फैलाएंगे.नरेंद्र मोदी ने पूरी ईमानदारी व् दृढ इच्छाशक्ति के साथ गुजरात का विकास किया है.केंद्र में और कई राज्यों में कई बार सत्ता पाने और खोने के बाद भजपा को अक्ल आ गई है कि जनता सिर्फ विकास चाहती है.बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन की अच्छी छवि को बनाने में जितना नीतीश कुमार का योगदान है,उतना ही भाजपा का भी रहा है.भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद से नीतीश कुमार के अच्छे सुशासन की छवि दिनोदिन अब ख़राब ही होती चली जा रही है.राजनीति का स्तर भी इतना गिर गया है कि पटना में हुंकार रैली के दौरान आतंकी हमले से मरे मृतकों के परिजनों से मिलने और उनकी आर्थिक रूप से मदद करने पर भी मोदी की आलोचना हो रही है.मृतकों के परिजनों की मदद बिहार सरकार इसीलिए नहीं कर रही है ,क्योंकि वो लोग भाजपा की रैली में गए थे?
दीवाली के समय राजनीतिक क्षेत्र में इन दिनों जमकर राजनीतिक आतिशबाजी हो रही है.आप भी कुछ राजनीतिक बयानबाजी रूपी आतिशबाजी का आनंद लीजिये.राहुल गांधी को “शहजादा” कहने पर एक नेता जी मोदी को दो दिन में चुप कराने की धमकी देते है.मोदी की जुबान क्या केवल इसीलिए बंद करना चाहते हैं,क्योंकि वो अब सच बोलने लगे हैं?एक नेता जी ने कहा कि मोदी परिवार का मजा क्या जानें?अपने परिवार व् रिस्तेदारों को सत्ता का मजा देने के अलावा क्या आज के नेताओं ने कोई और बड़ा काम किया है?एक नेता जी कहते हैं कि मोदी का सामान्य ज्ञान ठीक नहीं है.मोदी जनसेवा के लिए निकलें हैं,किसी नौकरी के लिए कोई परीक्षा पास करने नहीं.एक नेता जी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जहाँ चाहें खुली बहस कर लें.नरेंद्र मोदी तो पूरे देश भर में घूम-घूम कर खुली बहस कर रहे हैं,बस आप जबाब देते जाइये.
नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता पूरे देश भर में जैसे-जैसे बढ़ती जायेगी,उन पर जुबानी हमले भी तेज होते चले जायेंगे.नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने योग्य हैं या नहीं,इसका फैसला किसी नेता या पार्टी को नहीं बल्कि देश की जनता को करना है.जनता यदि उनके चुनाव पर अपनी मोहर लगा देती है तो आज नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले और तीसरे मोर्चे का सपना देखने वाले बहुत से दल उनके साथ खड़े दिखाई देंगे.अभी उन्हें भरोसा और कोई अंदाजा नहीं है कि नरेंद्र मोदी सत्ता ने नजदीक कहाँ तक पहुंचेंगे.सबसे बड़ी बात उन्हें आज अपने अस्तित्व की लड़ाई मोदी और साम्प्रदायिकता का विरोध करके ही जीतनी है.
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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