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उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में भारत सरकार का पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दीवाली के बाद एक बार फिर सोना की तलाश में खुदाई शुरू करा दिया है.ये खुदाई संत शोभन सरकार की इस भविष्यवाणी के आधार पर कराई जा रही है कि डौंडियाखेड़ा गांव के राजा राव रामबक्श के किला में एक हजार टन सोने का खजाना जमीन के नीचे दबा है.हालाँकि पुरातत्व विभाग खुदाई शुरू करने के समय से ही इस बात से इंकार करता चला आ रहा है कि वो खुदाई जमीन के नीचे सोना दबा होने की भविष्यवाणी के आधार पर कर रहा है और खुदाई का उद्देश्य सोना प्राप्त करना है.पुरातत्व सर्वेक्षण विभागके अनुसार किले में खुदाई का उद्देश्य प्राचीन सभ्यता व् संस्कृति की खोज करना है.इस सच्चाई को अब सब जान गये हैं कि भारत सरकार वास्तव में खजाने के लिए ही खुदाई करवा रही है.एक जगह खुदाई करने पर जब कुछ नहीं मिला तो अब दूसरी जगह खुदाई का काम चल रहा है.उधर संत शोभन सरकार बार-बार यही कह रहें हैं कि खजाना इस तरह से नहीं मिलेगा,जब तक कि उनके कहे अनुसार खुदाई नहीं की जायेगी.वो अब भी ये दावा करते हैं कि यदि वो चाहें तो दो घंटे में खजाना मिल जायेगा.खजाना यदि किसी संत के तपोबल से ही मिलेगा तो ये बात समझ के परे है कि सरकार व्यर्थ में खुदाई करवाकर समय और धन क्यों नष्ट कर रही है?यदि खुदाई संत शोभन सरकार के कहने पर हो रही है तो उनकी पूरी बात मानने में क्या हर्ज़ है?
संत शोभन सरकार ने भारत सरकार को चिट्ठी भेजी थी कि देश की बदहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए किले में जमीन के नीचे दबे एक हजार टन सोने के खजाने को निकालकर उसका सदुपयोग किया जाये.इसके बाद ही भारत सरकार का पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग मजदूरों को कुदाल-फावड़ा थमा खुदाई कराने के कार्य में जुट गया था.एएसआइ माने या न माने,परन्तु सच्च्चाई तो यही है कि खजाने के लिए किले में खुदाई संत शोभन सरकार की भविष्यवाणी के आधार पर ही हो रही है.दो जगह खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिलने पर अब भारत सरकार और शोभन सरकार दोनों की ही आलोचना हो रही है.देश के बुद्धिजीवी तो खुदाई शुरू होने के समय से ही भारत सरकार की आलोचना कर रहे हैं कि वो साधू की भविष्यवाणी के आधार पर खजाना की तलाश करवा के देश में अन्धविश्वास को बढ़ावा दे रही है.राजग के पीएम पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि-“दुनिया हमारे ऊपर इस बेतुके कार्य पर हंस रही है.किसी को सपना आया और सरकार ने खुदाई का कार्य शुरू कर दिया.चोरों व लुटेरों ने भारत के धन को विदेशों में स्थित बैंकों में छिपा कर रखा है,जो 1000 टन सोने से ज्यादा है.अगर सरकार धन वापस लाती है तब आपको सोने के लिए खुदाई कराने की जरूरत नहीं होगी.”.उस समय ये कटु सत्य कहने के लिए मोदी जी की आलोचना हुई थी और रानीतिक कारणों से उन्हें संत शोभन सरकार से माफ़ी मांगनी पड़ी थी,परन्तु अब उनकी बातों में सच्चाई नजर आ रही है.एक तरफ विज्ञानं व् तकनीक में हमने इतनी उन्नति कर ली है की अभी कुछ दिन पहले हमने मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजा हैं,वहीँ दूसरी तरफ एक साधू के कहने पर जमीन के नीचे खजाना तलाश रहे हैं?अब यदि खजाना नहीं निकलता है तो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में दोनों सरकारों (केद्र सरकार व् शोभन सरकार) की छीछालेदर तो होगी ही.
दोनों का सम्मान कायम रहे,इसका अब एक ही रास्ता शेष बचा है और वो ये कि संत शोभन सरकार की बात मान ली जाये और उनके कथनानुसार खुदाई कराई जाये और यदि फिर भी खुदाई में कुछ नहीं निकले तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जाये,जैसा कि.संत शोभन सरकार खुद भी यही बात कह रहे है.अत:अब उचित यही है कि उनके कहे अनुसार चला जाये.हो सकता है कि उनके तपोबल से खजाना मिल जाये!राजा राव रामबख्श सिंह के किले में सोने का खजाना है या नहीं, इस सच से तो पर्दा उठना अब जरुरी हो गया है.अगस्त माह में एक फ़िल्म बनी थी-‘ड्रीम सेलफिश’,जिसकी शूटिंग डौंडियाखेड़ा में भी हुई थी.यह संयोग ही है कि फ़िल्म की कहानी का नायक एक प्रेस रिपोर्टर है,जो एक महल के खंडहर में जाता है और वहाँ पर उसके सपने में एक राजा की आत्मा आकर जमीन के नीचे खजाना होने की बात बताती है.अख़बारों में चर्चा का विषय बनने पर कई लोग जमीन के नीचे खुदाई करके खजाना ढूंढते हैं परन्तु किसी को नहीं मिलता.फ़िल्म के अंत में अन्तोगत्वा फ़िल्म के नायक को खजाना मिल जाता है.हो सकता है कि किले में खजाना होने बात इस फ़िल्म से ही प्रेरित हो और महज अफवाह ही साबित हो.संयोग देखिये कि अगस्त में ये फ़िल्म बनी,सितम्बर में खजाना होने के दावे की चिट्ठी केंद्र सरकार को मिली और अक्टूबर से खजाना हासिल करने के लिए खुदाई शुरू हो गई.इस वास्तविक फ़िल्म के नायक संत शोभन सरकार ही हैं.हो सकता है कि खजाना उनके द्वारा ही मिले.इस वास्तविक फ़िल्म का भी जितना जल्दी हो अंत होना चाहिए चाहे भले ही वो सुखद हो या दुखद.
भारत जैसे धार्मिक देश में अन्धविश्वास बहुत तेजी से फैलता है.हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि खजाना हासिल करने के चक्कर में कुछ लालची लोग झूठे ओझा व् तांत्रिकों के कहने पर पशुबलि से लेकर नरबलि तक देने को तैयार हो जाते हैं.देश भर के पुलिस थानों में दर्ज इस तरह के केसों के आपराधिक रिकार्ड इस बात की गवाही देते हैं.बिना मेहनत किये जल्द से जल्द अमीर होने के लिए हमारे देश में बहुत से लोग भूमि के नीचे दबा खजाना मिलने का सपना देखते हैं.बहुत से लोग जीवन में हमेशा किसी ऐसे चमत्कार की आस लगाये रहते हैं,जो उनकी गरीबी और कर्जों को दूर कर दे.उन्नाव का डौंड़ियाखेड़ा खजाना प्रकरण देश भर में अन्धविश्वास व् अकर्मण्यता को बढ़वा देगा.संत हमेशा सबको यही समझाते हैं कि-“कर बहिंया बल आपनी,छोड़ पराई आस”.अर्थात अपनी मेहनत और अपने बाहुबल पर विश्वास और भरोसा रखो,किसी और से आशा न करो.सबसे बड़ी बात मेरे विचार से ये है कि इस समय देश भर में साधू-संतों की छीछालेदर हो रही है.एक तरफ संत आसाराम बापू के यौन-शोषण प्रकरण ने साधू-संतों की किरकिरी की है तो वहीँ दूसरी तरफ संत शोभन सरकार यदि खजाना निकलवाने में असफल रहते हैं तो साधू-संतो की बची-खुची छवि भी पूरी तरह से धूमिल हो जायेगी.जो सच्चे साधू-संत हैं,जो भगवान में लीन रहते हुए यथासम्भव समाज की सेवा कर रहे हैं,उनका महत्त्व भी लोग नहीं समझेंगे.डौंड़ियाखेड़ा खजाना प्रकरण अब करोड़ों लोगों की आस्था व् विश्वास का प्रश्न बन गया है,इसीलिए इसका जल्द से जल्द हाँ या ना में उत्तर मिलना चाहिए.उन्नाव के डौंड़ियाखेड़ा में एक तरफ एएसआइ आधुनिक विज्ञान के जरिये खजाना ढूंढने का असफल प्रयास कर रही है,तो वहीँ दूसरी तरफ संत शोभन सरकार दावा कर रहे हैं कि खजाना आध्यात्मिक विज्ञान के जरिये ही मिलेगा.डौंड़ियाखेड़ा में विज्ञान और आध्यात्म के बीच जो लड़ाई चल रही है,उसका जल्द से जल्द ख़ात्मा होना जरुरी है,चाहे विजय किसी की भी क्यों न हो.विज्ञानं और आध्यात्म की ये लड़ाई देश भर में अन्धविश्वास और अकर्मण्यता को बढ़ावा दे रही है.
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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