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सब लोग सचिन से प्रेरणा लें “जागरण जंक्शन मंच”

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है ?
शायर इक़बाल का यह शेर सचिन के ऊपर पूरी तरह से फिट बैठता है.सचिन अपने दृढ इरादे के साथ 16 वर्ष की आयु में खेल के मैदान में उतरे.उन्होंने अपनी काबिलियत को पहचाना,एक बड़ा लक्ष्य तय किया और फिर उन्हें साकार करने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे.उनकी मेहनत रंग लायी और अंत में वो सफलता के शिखर पर पहुंचे.आज वो महानता के ऐसे चरमशिखर पर हैं कि कोई उन्हें खेल मंत्री बनाये जाने की बात करता है तो कोई उन्हें भारत रत्न दिए जाने की बात करता है.सचिन ने अपने खेल जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखा.ख़राब समय में उन्हें एंडुलकर तक कहा गया.उन्होंने कभी मुंह से कुछ नहीं कहा,बल्कि अच्छा खेलकर हमेशा अपने बल्ले से जबाब दिया.सचिन से मैंने भी यही सीख ली है कि खराब से खराब समय जीवन में आने पर भी अपनी आलोचना की परवाह नहीं करते हुए समाज को अपना सर्वोत्तम योगदान देते रहने की कोशिश करते रहना चाहिए.सचिन ऐसे महान क्रिकेटर हैं,जो करोड़ों लोगो के दिलों में बसते हैं और जिनका खेल देखने के लिए मैदान में लोगों की भीड़ टूट पड़ती है.
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर अपने करियर का 200वां टेस्ट मैच अपने गृहनगर मुंबई में 14 नवम्बर से खेल रहे हैं,जो की अपनेआप में ही एक विश्व रिकार्ड है.वो इस टेस्ट मैच के बाद क्रिकेट के खेल से सन्यास लेने जा रहे हैं.सचिन अनेक रिकार्डों के बेताज बादशाह हैं.अपने 24 साल के बेदाग करियर में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक और 35 हजार से ज्यादा रन बनाये हैं.सभी ये मानते हैं कि उनका रिकार्ड टूटना असम्भव है,परन्तु मुझे लगता है कि रिकार्ड टूटने के लिए ही बनते हैं.उनके रिकार्ड नए खिलाडियों के लिए हमेशा ही लक्ष्य और प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे.एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जब सचिन ने सबसे पहले दोहरा शतक लगाया तो सब यही कह रहे थे कि उनका ये रिकार्ड जल्दी नहीं टूटेगा,परन्तु वनडे मैच में दोहरा शतक बनाकर उनके रिकार्ड की बराबरी पहले वीरेंद्र सहवाग ने की और अभी हाल ही में रोहित शर्मा ने भी दोहरा शतक उनके रिकार्ड की बराबरी की है.
भारतीय टीम में इतने नए प्रतिभवान खिलाडी अब आ गये हैं कि सचिन के रिकार्ड को तोडना उनका सपना होगा और वो सचिन के रिकार्ड तक पहुँचने को अपना लक्ष्य मान के चलेंगे.सचिन तेंदुलकर बहुत भागयशाली क्रिकेटर हैं,उन्होंने क्रिकेट के खेल से सम्बंधित जितने सपने देखे,उनमे से अधिकतर सपने साकार हुए हैं.उनका सबसे बड़ा सपना वर्ल्ड कप जीतने का था ,जो पूरा हुआ.सचिन ने क्रिकेट जीवन में खेल की उंचाईयों तक पहुँचने का सपना देखा और अपनी मेहनत और आत्मबल से उन सपनो को पूरा करते हुए रिकार्डों का अम्बार लगा दिया.अब सचिन के बनाये रिकार्ड तोडना दुनिया के सभी देशों के खिलाडियों के लिए एक सपना बन गया है.सचिन की सबसे बड़ी विशेषता मुझे ये लगती है कि वो बहुत विनम्र है,उनमे किसी तरह का अहंकार नहीं है.अपनी हर बड़ी उपलब्धि के बाद वो अपना सिर और बल्ला आसमान की तरफ उठाकर भगवान को धन्यवाद देना नहीं भूलते हैं.वो अपने पिता,अपने कोच और अपने आध्यात्मिक गुरुजनो को भी अपने ही ढंग से धन्यवाद देना कभी नहीं भूलते हैं.बहुत से बड़े लोगों का जिनका वो बहुत सम्मान करते हैं,उनसे कहीं भेंट होने पर वो पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं.
सचिन भारत में खेल ही नहीं बल्कि राजनीति,मिडिया,उद्योग जगत से लेकर लगभग हर क्षेत्र के लोगों के लिए एक रियल महानायक बनकर उभरे हैं.नए खिलाडियों के वो आदर्श हैं और नए खिलाडियों को अच्छा खेलने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते है और उन्हें खेल से सम्बंधित बहुत सी जानकारी भी देते हैं.कभी ऐसा भी दौर था,जब भारतीय क्रिकेट टीम जीत के लिए सचिन के खेल पर निर्भर रहा करती थी और अब नये प्रतिभाशाली खिलाडियों के जोश से लबालब भरी भारतीय क्रिकेट टीम का ऐसा सुनहरा दौर चल रहा है कि सचिन के बिना भी भारतीय क्रिकेट टीम बड़ी आसानी से मैच जीत रही है.इसमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सचिन का भी योगदान है.एक तरफ उन्होंने युवा खिलाडी महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय क्रिकेट टीम कप्तान बनवाया,तो दूसरी तरफ ड्रेसिंग रूम में नए उदीयमान खिलाडियों को अच्छा खेलने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया.सचिन बहुत समय से अच्छा खेलते रहे हैं,परन्तु पिछले दो-तीन साल से वो अपने आक्रामक खेल और अपनी प्रसिद्धि के अनुरूप नहीं खेल पा रहे हैं.अत: मेरे विचार से उन्होंने टी20,वनडे,आईपीएल के बाद अब अंत में टेस्ट मैच से भी सन्यास लेने का सही समय पर बिल्कुल सही फैसला लिया है.
हम सभी को पूरी उम्मीद है कि क्रिकेट के खेल से अब रिटायर होने के बाद भी सचिन किसी न किसी रूप में इस खेल से जुड़े रहेंगे और अपने लम्बे करियर की उपलब्धियों व् अनुभवों का लाभ नए उदीयमान खिलाडियों को देते रहेंगे.सचिन जितने धन से अमीर क्रिकेटर हैं,वो दिल से भी उतने ही अमीर इंसान हैं.सचिन बहुत सी सामाजिक संस्थाओ से जुड़कर तन मन धन से बहुत से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं.सचिन ने हमेशा भारत के लिए खेलते हुए देश से और देश के राष्ट्रगान से बेपनाह मुहब्बत किया है.इसीलिए अंत में मै यही कहूंगा कि जो सचिन के प्रशंसक हैं,वो सचिन से सबसे बड़ी शिक्षा देशप्रेम और देश के राष्ट्रगान से प्रेम की लें.आप महसूस करें कि आप सचिन के साथ राष्ट्रगान गाकर देश और सचिन दोनों को सम्मानित कर रहे हैं-
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्‍कल बंग,
विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्‍छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
जय हिन्द! जय हिन्द! जय हिन्द!

(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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