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भारत सरकार ने शनिवार १६ नवम्बर को क्रिकेट खिलाडी सचिन तेंदुलकर और मशहूर रसायन विज्ञानी सीएनआर राव को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की है.इस समय ४० वर्ष के हो चुके सचिन रमेश तेंदुलकर रिकार्डों के बादशाह हैं.सचिन तेंदुलकर ने अपने २४ साल के क्रिकेट करियर में क्रिकेट के दोनों प्रारूपों में बहुत शानदार प्रदर्शन किया है.टेस्ट क्रिकेट में ५१ शतक और एक दिवसीय क्रिकेट में उन्होंने ४९ शतक बनाये हैं.अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक बनाने के अलावा भी बहुत सारे रिकार्ड सचिन के नाम हैं.इस बात में कोई संदेह नहीं कि सचिन क्रिकेट के खिलाडियों के लिए एक रोल मॉडल है,वो अन्य खेलों के खिलाडियों के लिए भी एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं.सचिन को भारत रत्न देने की मांग पिछले कई वर्षों से क्रिकेट ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रो के भी मानिंद लोग कर रहे थे.वो भारत रत्न पाने के एक सही हक़दार हैं.
भारत रत्न सम्मान ७९ वर्षीय प्रसिद्द रसायनशास्त्री सीएनआर राव को भी देने की घोषणा की गई है.उनका पूरा नाम प्रोफ़ेसर चितामणि नागेश रामचंद्र राव है.उन्हें पद्म विभूषण सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.वो विज्ञानं पत्रिकाओं में बहुत सारे लेख और ४५ से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं.इस समय वो बंगलौर स्थित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में काम कर रहे हैं.वो प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद् में अध्यक्ष भी हैं.वो कई प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में वैज्ञानिक सलाहकार परिषद् के सदस्य रहे.विज्ञानं के क्षेत्र में भारत ने इतनी उन्नति कर ली है कि वो मंगल ग्रह तक अपना यान भेजने में कामयाब हुआ है,इसका श्रेय प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को दिया जाता है,जिन्होंने अपनी योजनाओं और नीतियों से भारत में वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा दिया.प्रख्यात वैज्ञानिक सीएनआर राव वैज्ञानिकों के बीच तब प्रसिद्द हुए थे जब उन्होंने बंगलौर में मटेरियल साइंस सेंटर और सॉलिड स्टेट कैमिकल यूनिट की स्थापना की थी.प्रोफ़ेसर सीएनआर राव दुनिया की कई प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य है.दुनिया भर के वैज्ञानिक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में प्रदर्शित उनकी विलक्षण प्रतिभा को सलाम करते हैं और उनकी उपलब्धियां सचिन के सौ शतकों से कम नहीं आंकी जातीं हैं.
भारतीय खेलों के पितामह माने जाने वाले मेजर ध्यानचद को भी भारत रत्न दिए जाने की चर्चा चल रही थी.परन्तु उनके नाम की घोषणा नहीं हुई.मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म २९ अगस्त, १९०५ को इलाहाबाद में हुआ था.उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.इस दिन इस महान खिलाड़ी को सम्मान देते हुए कई पुरस्कार विभिन्न तरह के खेलों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाडियों को दिए जाते हैं.मेजर ध्यानचंद की तुलना फुटबॉल खिलाडी पेले और क्रिकेट खिलाडी ब्रैडमैन से की जाती है.मेजर ध्यानचंद को १९५६ में पदमभूषण से सम्मानित किया गया था.हाकी के खेल के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने ओलम्पिक खेलों में १०१ गोल और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में ३०० गोल दागे हैं और उनका ये रिकार्ड आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है.एक हॉकी ओलम्पिक मैच में ११ गोल उन्होंने किये थे.उन्होंने लगातार तीन ओलम्पिक खेलों (१९२८,१९३२ और १९३६) में सर्वाधिक गोल दाग कर भारत को विश्व विजेता बनाया था.मेजर ध्यानचंद के खेल की सबसे बड़ी जादूगरी ये थी कि गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपकी हुई लगती थी.लोगों को बड़ा आश्चर्य होता था और उनके हॉकी स्टिक के ऊपर शंका होती थी,यही कारन है कि उनकी हाकी स्टिक को तोड़कर देखा गया था कि कहीं इसके भीतर चुम्बक तो नहीं है.एक बार उनकी हाकी स्टिक की जाँच की गई थी कि कहीं इसमें गोंद तो नहीं लगा है.हाकी के खेल के वो इतने बड़े जादूगर थे कि जर्मन तानाशाह हिटलर और महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन उनके खेल के दीवाने हो गए थे.उस समय जर्मनी में तानाशाह हिटलर का शासन था और हिटलर मेजर ध्यानचंद के खेल के इतने बड़े प्रशंसक थे कि मेजर ध्यानचंद को जर्मनी की और से खेलने का निमंत्रण दिया और अपनी सेना में बहुत ऊँचा पद देने का भी लालच दिया,लेकिन सच्चे देश प्रेमी मेजर ध्यानचंद ने इस आमंत्रण को ठुकरा दिया था.मेजर ध्यानचंद की मृत्यु ३ दिसंबर,१९७९ को हुई थी.भारतीय ओलम्पिक संघ ने उन्हें शताब्दी का खिलाड़ी घोषित कर अपनी तरफ से एक बहुत बड़ा सम्मान दिया था.उन्हें भारत रत्न देने की मांग काफी समय से की जा रही है.
भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए सचिन तेंदुलकर और प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को चुना गया है परन्तु मेजर ध्यानचंद की महानता इन दोनों से तुलना करने पर किसी भी तरह से कम नहीं लगती है,बल्कि इन दोनों से अधिक ही लगती है.मेजर ध्यानचंद को बहुत पहले ही देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिल जाना चाहिए था.परन्तु बहुत अफ़सोस है कि भारत में हर चीज को राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है और सत्ता में बैठे लोग किसी महान हस्ती को सम्मानित करने में भी राजनीतिक दृष्टि से अपनी लाभ-हानि निहारते हैं.सचिन तेंदुलकर स्वयं एक महान खिलाडी है,इसीलिए उन्हें मेजर ध्यानचंद की महानता को स्वीकार करते हुए पहले मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने की सलाह देना चाहिए था.इससे देश भर में सचिन की महानता और बढ़ती.इस समय सचिन की लोकप्रियता का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए कांगेस पूरी कोशिश कर रही है कि सचिन उनकी पार्टी में शामिल हो सक्रीय राजनीति में आ जाएँ.मेरे विचार से सचिन को राजनीति से दूर रहना चाहिए.उन्हें ये समझना चाहिए कि उन्हें राजयसभा सदस्य बनाने और भारत रत्न देने के पीछे एक राजनीतिक चाल भी हो सकती है.ये सचिन की कड़ी मेहनत और ईश्वर की कृपा का प्रतिफल है कि आज उनके पास धन से लेकर बड़ा से बड़ा पुरस्कार और पूरी दुनिया में प्रसिद्धि तक किसी चीज की कमी नहीं है और कुछ पाने को अब शेष भी नहीं बचा है,इसीलिए उन्हें राजनीति का मोहरा बनने से बचना चाहिए.यदि वो राजनीति में जाते हैं तो उनके प्रशंसक तो कम होंगे ही साथ ही राजनीति का कीचड़ भी उनके पाक-साफ दामन पर खूब उछलेगा.
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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