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सत्य की खोज में ज्ञानी और भक्त “जागरण जक्शन मंच”

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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सत्य की खोज में लगे ज्ञानियों का मै बहुत सम्मान करता हूँ,परन्तु जहाँ वो ये कहते हैं कि मै सत्य को जान गया हूँ और दुनिया में मै ही एकमात्र ज्ञानी हूँ इसीलिए मेरी हर बात मानो.बस यहीं से पाखंड शरू हो जाता है.पाखंड कोई बुरा शब्द नहीं है.इसका अर्थ है-सम्पूर्ण सत्य के एक खंड मात्र की जानकारी.सत्य का एक टुकड़ा पा लेने से कोई सर्वज्ञ नहीं हो जाता है.आप यदि कहें कि ये संसार एक समुन्द्र है और इंसान उस समुन्द्र से निकली लहर.ये लहर भी कुछ देर बाद फिर समुन्द्र में समां जाती है.शेष बचता है समुन्द्र यानि ये संसार.मै नहीं मानता कि सम्पूर्ण सत्य बस इतना ही है.साढ़े तीन हाथ का आदमी ज्ञान की खोज में मै मै करके मर जाता है और ठीक से अपने को भी नहीं जान पाता है,फिर भला सारी सृष्टि के रहस्य क्या जान पायेगा.मुझे बचपन से ही ज्ञानी से ज्यादा प्रिय भक्त लगे.वो अपनी अज्ञानता स्वीकार करते हैं और अपने को कभी सर्वज्ञ नहीं समझते है.भक्त की अज्ञानता भक्ति से दूर हो जाती है,परन्तु ज्ञान बढ़ते जाने पर भी ज्ञानी की अज्ञानता दूर नहीं हो पाती है,बल्कि बढ़ती ही जाती है.
कौन दूर करेगा ज्ञानी की अज्ञानता? वो तो अपने सिवा किसी दूसरे को मानता ही नहीं है.ज्ञानी कहता है-मैंने सब कुछ जान लिया है.अब कुछ जानना शेष नहीं बचा है.ज्ञानी को अपने भीतर छिपी अज्ञानता का बोध हो ही नहीं पाता है.वो अपने अज्ञान को भी ज्ञान समझ बैठता है.भक्त कहता है-हे प्रभु मै कुछ नहीं जानता,मै अज्ञानी हूँ.मेरा अज्ञान दूर करो.मैंने तुम्हे अपना सब कुछ मान लिया है.ज्ञान के पथ को तलवार की धार पर चलना कहा गया है,ज्ञानी जीवन में अनेको बार अपने भीतर छिपे विकारों को भी अपने कुतर्कों से सत्य साबित कर पाखंड भरा अपूर्ण जीवन जीता है.मैंने अपने जीवन में बहुत से ऐसे ज्ञानियों को देखा है जो ज्ञान की ऊँची-ऊँची बाते करेंगे,लेकिन अपने संपर्क में आने वाले या अपने नजदीक रहने वाले लोगों को लोगों को बार-बार इमोशनल ब्लैकमैल भी करते रहते हैं.वो अपने कुतर्कों से झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने में माहिर होते हैं.ज्ञानी का मन ज्ञान के तर्क-कुतर्क से ठोस होते चला जाता है और भक्त का मन भक्ति करने से पिघलते चला जाता है और एक दिन अमन हो जाता है,जो सबसे बड़ी उपलब्धि है.इसीलिए ज्ञानी से ज्यादा मुझे भक्तों में दिलचस्पी रहती है.
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
सत्य की खोज में ज्ञानी और भक्त "जागरण जक्शन मंच"

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