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यौन शोषण-नशेड़ियों की दिल्लगी “जागरण जंक्शन फोरम”

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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प्रकृति रूपी भगवती ने स्त्री की रचना करके और उसे सृजन करने की शक्ति देकर उसे संसार के लिए भगवती बना दिया है.संसार में यदि स्त्री न होती तो ये कल्पना करना मुश्किल है कि क्या होता ? मेरे विचार से संसार में यदि स्त्री न होती तो निश्चय ही ये संसार एकदम नीरस होता और संसार में मनुष्य का सृजन कैसे होता,यह भी एक जटिल प्रश्न बन जाता !स्त्री पुरुष का मिलन संसार के सृजन के लिए अनिवार्य है.यदि स्वेक्षा से समर्पण भाव हो तो पुरुष और स्त्री दोनों एक दूसरे के लिए अनमोल उपहार हैं.पुरुष और स्त्री जब विवाह जैसी मर्यादा से बंधकर प्रेमपूर्वक और आपसी सहमति से यौन सबंध बनाते हैं तो दोनों ही आनन्दित होते हैं.बहुत से लोग बिना विवाह किये भी और बहुत से लोग विवाहित होने के बाद भी अन्य से यौन सम्बन्ध बनातें हैं.बहुत से लोग यौन आनंद के लिए जिस्म के बाज़ार का भी सहारा लेते हैं.यौन सम्बन्ध एक प्राकृतिक क्रिया है,जो स्त्री और पुरुष दोनों को आनंदित करता है,बशर्ते वो आपसी सहमति से हो.जब यौन सम्बन्ध आपसी सहमति से न होकर पुरुष द्वारा बलपूर्वक जबरदस्ती किया जाता है तो उसे बलात्कार का नाम दिया जाता है.आज के समय में बलात्कार और यौन शोषण देश की एक जटिल समस्या बन गई है.बलात्कार और महिलाओं का यौन शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है.हर रोज अख़बार में महिलाओं से बलात्कार और यौन शोषण से सम्बंधित बहुत सी ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं.टीवी न्यूज़ चैनलों पर अक्सर ऐसी घटनाओं के बारे में न सिर्फ विस्तृत रूप से समाचार दिखाया जाता है,बल्कि इस मुद्दे पर बुद्धिजीविओं को बुलाकर खुलकर चर्चा भी की जाती है.
महिलाओं का बलात्कार और यौन शोषण करने वाले समाज के हर क्षेत्र के लोग हैं.कम पढ़े लिखे या अनपढ़ लोग भी ऐसा कुकृत्य करते हैं तो वहीँ दूसरी तरफ मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोग भी ऐसा अपराध करते हैं.आशाराम बापू और नारायण प्रेम साई जैसे धार्मिक लोग एक तरफ यौन शोषण के मामलों में फंसे हैं तो वही दूसरी तरफ तहलका पत्रिका के मुख्य संपादक तरुण तेजपाल जैसे बुद्धिजीवी और ज्ञानी आदमी पर भी अपने महिला सहकर्मी पत्रकार का यौन शोषण करने का गम्भीर आरोप लगा है.आज के समय में महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोप बहुत से मंत्री,नेता,अधिकारी,दौलत वाले और सत्ता तक अपनी पहुँच रखने वाले लोग,पत्रकार और धार्मिक लोगों पर लगे हैं.इनमे से बहुत से लोग नशा करके महिलाओं का यौन शोषण करते हैं और बाद में उसे बड़ी बेहयाई से “नशेड़ी की दिल्लगी” कहते हैं.ईश्वर न करें कि किसी के साथ ऐसी घटना हो परन्तु यदि उनके परिवार में किसी महिला के साथ ऐसी घटना घटी तो क्या वो उसे भी “नशेड़ी की दिल्लगी” कहकर बात ख़त्म कर पाएंगे ? यौन शोषण करने वालों की संवेदनहीनता देखिये कि अपनी माँ,बहन और बेटियों को परदे में छुपा के रखते हैं और दूसरों की माँ,बहन और बेटियों के शरीर से पर्दा उतारते हैं,उनकी इज्जत-आबरू लूटते हैं.अपने को बुद्धिजीवी और ज्ञानी समझने वाले बहुत से कुतर्की ये कहते हैं कि बलात्कार में स्त्री को भी उतना ही आनंद आता है,जितना पुरुष को.कोई उनसे पूछे कि यदि उनके परिवार में ऐसा कोई हादसा हो तो क्या तब यही बात वो कहना पसंद करेंगे ? एक स्त्री से बलात्कार होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है,क्या यही आनंद है,जो उस मरने वाली स्त्री को मिला है.ऐसे ज्ञानियों को शर्म आनी चाहिए.
आपसी सहमति से प्रेमपूर्वक सेक्स करने में और किसी की इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक बलात्कार करने में बहुत अंतर है.बलात्कार की शिकार स्त्री घर में और समाज में दोनों जगह अपना मान-सम्मान खो देती है और कुछ केसों में तो ऐसी महिलाये अपना मानसिक संतुलन खोकर एक जिन्दा लाश बन जाती हैं.बलात्कार और यौन शोषण की शिकार महिलाओं की हंसती-खेलती पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है.आज जरुरत इस बात की है कि महिलाओं का यौन शोषण और बलात्कार करने वालों को शीघ्र से शीघ्र और कड़ी से कड़ी सजा दी जाये.महिलाओं का यौन शोषण करने के बाद बड़ी बेहयाई से इसे मामूली बात कहने वाले आशाराम बापू,नारायण प्रेम साई और तरुण तेजपाल जैसे लोग यदि किसी मुस्लिम देश में रहकर ये कुकृत्य किये होते तो वहाँ की कठोर सजाओं से इनकी देह ही नहीं बल्कि रूह भी कांप जाती.यदि आध्यत्मिक दृस्टि से विचार करें तो महिलाओं का यौन शोषण और बलात्कार करने वाले लोग मनोविकृत और कुसंस्कारी होते हैं.इनके अंतर्मन की ये विकृति ही है कि किसी महिला से बलात्कार अथवा उससे होने वाले यौन शोषण को अपने कुतर्कों से जायज ठहराते हैं.कुछ ज्ञानी और बुद्धिजीवी तो ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि बलात्कार महिलाएं पसंद करती हैं,उन्हें इसमें आनंद आता है.ऐसे बुद्धिभ्रस्टों से कोई ये पूछे कि इनके घर में इनके परिवार के किसी सदस्य के साथ ऐसा हादसा हो तो क्या तब भी इनकी यही राय होगी ?ये भी इन्हे बताना चाहिए.इस बात पर खामोश क्यों हो जाते हैं ?
तरुण तेजपाल जैसे ज्ञानी और बुद्धिजीवी पत्रकार नैतिक रूप से इतना नीचे गिर गए कि अपने सहकर्मी महिला पत्रकार से होटल की लिफ्ट में दो बार बलात्कार करने की कोशिश किये जो उनकी बेटी की उम्र की है और जो उनकी बेटी की सहेली भी है.लिफ्ट में जब वो महिला पत्रकार से छेड़खानी कर रहे थे तब महिला पत्रकार रोते हुए उनसे छोड़ देने की गुजारिश कर रही थी.तरुण तेजपाल जैसे लोगों को अपने कुकर्मो पर लज्जित होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.अपने कुकर्मों को स्वीकार न करके अब वो उलटे महिला पर ही आरोप लगाएंगे और उनके वकील पीड़ित महिला को ही चरित्रहीन साबित करेंगे.ऐसा घटिया जीवन जीने वाले लोगों की जिंदगी को धिक्कार है.इतने संवेदनहीन ज्ञानी और बुद्धिजीवी लोगों से तो लाखों गुना बेहतर अनपढ़ लोग हैं.तरुण तेजपाल,आसाराम बापू और नारायण प्रेम साईं जैसे वीआईपी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए,जिससे कि बलात्कार और यौन शोषण जैसे दंडनीय कार्य करने वालों में कानून के प्रति भय पैदा हो और आम जनता की दृष्टि में कानून की मर्यादा कायम रहे.आज जरुरत इस बात की है चाहे छोटे बच्चों का यौन शोषण हो या महिलाओं का यौन शोषण हो,यौन शोषण के दोषी लोगों को चाहे वो कितने भी बड़े वीआईपी क्यों न हों,उन्हें कठोर सजा देकर हमें ये साबित करना होगा कि कानून की नज़र में सब एक समान हैं.अपनी धन-दौलत और राजनितिक पहुँच के बल पर कोई अपराधी सजा से बचना नहीं चाहिए.बच्चों या महिलाओं,किसी का भी यौन शोषण या बलात्कार हो ये सभ्य समाज के लिए कलंक है और सभ्य समाज को कलंकित करने वालों पर कोई रहम न किया जाये.इन पर दया दिखाने से समाज में गलत सन्देश जायेगा.
देश भर में महिलाओं से बलात्कार और यौन शोषण करने वाले ज्यादातर अपराधी नशेड़ी पाये गए हैं.इनके लिए नशा एक बहाना है कि हम तो नशे में थे,क्या कर बैठे,पता नहीं ! एक महिला का कई बार यौन शोषण करने के आरोप में फंसे एक ज्ञानी और बुद्धिजीवी आरोपी ने यौन शोषण को “नशेड़ी की दिल्लगी” कहा.वो ये दिल्लगी अपने बेटी के जैसी लड़की के साथ कर रहे थे.उस देश का क्या हाल होगा और क्या भविष्य होगा,जहाँ पर बलात्कार और यौन शोषण नशेड़ियों की दिल्लगी बन गया है.हमारे देश में आज अपराधी अपनी दौलत और अपनी राजनीतिक पहुँच का फायदा उठा सजा से बच जा रहे हैं.देश में अपराधों को बढ़ावा देने वाली इस प्रवृति को हमें रोकना होगा.कुछ लोग बलात्कारियों को माफ़ करने और उन्हें सुधारने की बात करतें हैं,जो कि गलत और असम्भव सी बात है.इससे अपराध और बढ़ेंगे.वर्त्तमान समय में ही अपराध इतना बढ़ गया है कि अपराधियों के लिए बलात्कार और यौन शोषण भोजन और चाइनीज चीजों की तरह हो गया है,भूख लगी तो खाना खा लिया और इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया यानि यूज एंड थ्रो.यही सब गलत शिक्षा बच्चे भी ग्रहण कर रहे हैं.भविष्य में यही बच्चे बड़े होकर अपराधी और बलात्कारी बनेंगे.अच्छा हो कि अब हम लोग जागें,अच्छा हो कि हम लोग और गिरने से बचें.देश भर की अदालतों को महिलाओं से बलात्कार और यौन शोषण करने वालों को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए,ताकि हमारे बच्चो को सही शिक्षा मिले,बच्चे अपराधियों को सजा मिलते देख कानून का सम्मान करें और कोई भी गलत काम करने से बचें.
महिलाये अब घर में और घर के बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं.कामकाजी महिलाओं के लिए अब कहीं भी आना जाना और सम्मान सहित नौकरी करना बहुत मुश्किल काम हो गया है,परन्तु अच्छी जिंदगी जीने के लिए कामकाज करना भी जरुरी है.अत:अब एक ही उपाय है कि महिलाएं संगठित हों और अपनी सुरक्षा स्वयं करने के लिए जागरूक हों.महिलाओं को किसी भी व्यक्ति के ऊपर आँख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए.व्यक्ति के अंतर्मन में गड़बड़ी पैदा कर बलात्कार और यौन शोषण के लिए उकसाने वाली नशा सारे अपराधों की जड़ है,आइये हम सब मिल के नशीले पदार्थ बेचने के खिलाफ आवाज़ उठायें.सरकारों से इस सम्बन्ध में कुछ भी अपेक्षा करना व्यर्थ है,क्योंकि नशे के कारोबार चलने से उन्हें बड़ी आय प्राप्त होती है.देशभर के राज्य सरकारों की स्थिति नशा के सम्बन्ध में बहुत हास्यास्पद है,राज्य सरकारों का एक विभाग है-आबकारी विभाग,जो शराब बनाने के ठेके देता है और दूसरा है मद्धयनिषेध विभाग,जो लोगों को दारु पीने से मना करता है.सरकारें खुद भ्रमित हैं कि दारु से होने वाली अथाह आमदनी देखें कि शरीर और आत्मा दोनों को बर्बादी की तरफ ले जाने वाली दारु पर प्रतिबन्ध लगाएं.आइये हम सब लोग मिलकर ये प्रण करें कि अपने व्यक्तिगत जीवन में नशे से दूर रहेंगे और नशे के खिलाफ एक वैचारिक जन आंदोलन चलाएंगे.
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)यौन शोषण-नशेड़ियों की दिल्लगी "जागरण जंक्शन फोरम"

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