- 534 Posts
- 5673 Comments
“““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““`
““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““`
मेरा क्या नाम है
वास्तव में कोई नाम नहीं है !
मेरा गांव कहाँ है
इस जग में कोई गांव नहीं है !
मेरा क्या ठांव है
यात्री तेरा कोई ठांव नहीं है !
मेरा होनापन क्या है
कुछ नहीं बस एक सफ़र है !
मुझे जाना कहाँ है
वही जहाँ से कभी आये थे !
हम कहाँ से आये थे
याद नहीं कहाँ से आये थे !
कैसे याद आएगा
अपने असली घर का पता !
उसे हम कहाँ ढूंढे
पता बताने वाला है लापता !
ज्ञानियों ने कहा-
सुनो,सोहम का अहम मै !
भक्तों ने कहा है-
अपने ही ह्रदय की गुफा में !
अपने ही ह्रदय की गुफा में !!
“““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““`
““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““““
(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
Read Comments