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प्रेत योनि में भटकती हुई आत्माओं को अपने वश में कर जहाँ एक ओर बहुत से तांत्रिक समाज के हित के लिए उनका सदुपयोग कर रहे हैं तो वही दूसरी तरफ बहुत से तांत्रिक अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए और दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए उनका दुरूपयोग भी कर रहे हैं.कई सालों तक मैंने बहुत गहराई से इस विषय पर रिसर्च किया.उस रिसर्च का साररूप भटकती हुई आत्माओं के प्रयोग अंतिम भाग के रूप में प्रस्तुत है.
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धार्मिक ग्रंथों में जिसे आत्मा और जीवात्मा कहा गया है,तंत्र में और आम जनता की भाषा में उसे ब्रह्म और भूत-प्रेत कहा गया है.इसके अस्तित्व और सदुपयोग पर विस्तृत रूप से चर्चा करने के बाद अब इस विषय के अंतिम भाग में बहुत से आत्माओं को अपने वश में कर उसका दुरूपयोग करने वालों कि चर्चा करूँगा.बहुत से तांत्रिक और ओझा-सोखा प्रेतयोनि में भटक रही आत्माओं को सिद्ध कर अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए,वासनापूर्ति के लिए,धन कमाने के लिए और दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए उसका प्रयोग कर रहे हैं.आजकल ज्योतिष और तंत्रमंत्र का एक बहुत बड़ा बाज़ार देश में बन गया है.प्रिंट मिडिया और टीवी चैनलों ने भी ज्योतिष और तंत्रमंत्र का खूब प्रचार -प्रसार किया है.देखने में लगता है कि भारत ज्योतिषियों और तांत्रिकों का देश है,लेकिन वास्तविक स्थिति ठीक इसके उलट है.देशभर में मुश्किल से मात्र पच्चीस प्रतिशत ज्योतिषी,तांत्रिक और ओझा-सोखा शिक्षित और जानकर होंगे,बाकी पचहत्तर प्रतिशत अनपढ़ और ढोंगी हैं.
पच्चीस प्रतिशत सही लोगों में भी अपने विषय के विशेषज्ञ विरले ही होंगे.यही वजह है कि ज्योतिष,तंत्रमंत्र और भूत-प्रेत के नाम पर देशभर में ठगी अपने चरम पर है.ढोंगी और पाखंडी ज्योतिषियों,तांत्रिकों और ओझा-सोखाओं के चक्कर में पड़कर अनगिनत लोग अपना कीमती समय,धन और कुछ केसों में तो इज्जत तक गवां रहे हैं.जिस तांत्रिक,ज्योतिषी और ओझा-सोखा को कोई जानकारी नहीं है,वो भी एक ही बात तोते की तरह रट के सुना देता है की-इसे ब्रह्म ने पकड़ा है.या कह देगा की इस घर में ब्रह्म रहता है.किसी पंडित की आत्मा को वो ब्रह्म कहते है और बाकी जातियों की आत्मा को भूत-प्रेत.इसका अर्थ है कि प्रेतयोनि में भी जातिवाद हावी है.प्रेतसिद्धि किये हुए बहुत से पेशेवर ज्योतिषी,तांत्रिक और ओझा-सोखा मोटी रकम लेकर अपने प्रेतों के जरिये किसी को बीमार कर देते हैं,किसी का एक्सीडेंट करा देते हैं और किसी की जान तक भी ले लेते हैं,किसी का व्यवसाय बांध देते है और किसी के घर में कलह करा देते हैं.इन अपराधों का कोई प्रत्यक्ष सबूत न होने के कारण वो क़ानूनी सजाओं से भी बचे रहते हैं.
प्रेतों के जरिये ठगी करने क़े कुछ उदाहरण मै दे रहा हूँ.एक होटल में एक दिन मै बैठा था.इतने में एक साधू आया और होटल क़े मैंनेजर से कुछ देर बात करने क़े बाद बोला कि अपने हाथ में सौ का नोट रखो और मुट्ठी बांध लो.मैनेजर ऐसा ही किया.कुछ देर में उसने मुट्ठी खोलने को कहा.मैनेजर की मुट्ठी में से रुपया गायब था और उसकी जगह ताम्बे का एक ताबीज था.मैनेजर इस चमत्कार से प्रभावित होकर ताबीज को बार-बार माथे लगा रहा था और साधू उसे सौ रूपये की चपत लगा क़े चलते बना.
एक पंडित जी प्रेतसिद्धि करके ऐसी ठगी करते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते.वो हमारे एक परिचित क़े घर गए और उनसे कहा कि इस घर में एक ब्रह्म है.वही आप लोगो को परेशान किये है.उसकी पसंद की चीजें आप मुझे दे दीजिये मै पूजापाठ करके बसे यहाँ से हटा दूंगा.घरवालों ने कहा कि वो ब्रह्म स्वयं यदि हमें बतायेगा कि उसे क्या चाहिए तो सब सामान हमलोग दे देंगे.वो पडित जी इस बात को मान गए.अगले दिन वो आये घर क़े मालिक से एक थाली में आटा सानने को कहे,जब आटा सन चूका तो वो मंत्र पढ़ने लगे.कुछ देर बाद बोले कि वो ब्रह्म आकर एक पर्ची इस आटे की लोई क़े भीतर डाल गया है.वही सब सामान उसे चाहिए.घर क़े मालिक ने जब आंटे की लोई में ढूंढा तो उसे कई चपत किया हुआ सफेद कागज की पर्ची मिली.उस पर्ची को उन्होंने खोला तो उसमे चालीस सामानों की लम्बी सूची थी.पंडित जी को वो सब सामान बाज़ार से मंगा क़े दे दिए.लगभग पचास हजार का चुना लगा क़े पडित जी चले गए.बाद में पता चला कि समानो की ये पर्ची उनकी लड़की लिखती है और वो सिद्ध किये हुए प्रेत क़े जरिये.ये पर्ची आंटे की लोई में डलवा देते हैं.
एक तांत्रिक जमीन से गड़ा धन निकालने क़े नाम पर ठगी करते हैं.वो अपने प्रेत क़े जरिये दो चार चांदी क़े सिक्के जमीन में किसी जगह गड़वा देते हैं और उसे निकलकर दे देते हैं और कहते है कि यहाँ पर भारी मात्रा में सोना चांदी है,परन्तु कायदे से पूजा करनी होगी तभी वो धन मिलेगा.अब इसके बाद भारी मात्रा में गड़ा धन पाने क़े लालच में लोग उनके पास दौड़ते रहते हैं और वो कई सालों तक उसको ठगते जाते हैं.अंत में लोग थकहार कर उनके पास जाना बंद कर देते हैं,तबतक वो बीसो हजार रूपये ठग चुके होते हैं.
एक बाबा जी जिन्न सिद्ध किये हुए हैं कोई उनके पास जाता है तो जिन्न के जरिये अजमेर से प्रसाद मंगा के खिलाते हैं ये चमत्कार दिखाकर प्रभावित कर लेते हैं.फिर समस्या समाधान और पूजापाठ नाम पर बीस हजार रूपये ठग लेते हैं.
एक व्यक्ति किसी ओझा के यहाँ जाते थे.उनकी चारपाई के नीचे प्रतिदिन कभी अड़हुल का फूल रखा मिलता था तो कभी चारपाई में कील लगी मिलती थी.ओझा इसे उनके भाई-भाभी भी करतूत बताता था और पूजापाठ के नाम पर पांच सालों में लाखों रूपये खा गया.इसी चक्कर में वो अपनी जमीन तक बेंच दिए और अपने भाई-भाभी के जान के दुश्मन बन गए.जब वो मेरे पास सलाह मांगने आये तो मै उनसे कहा कि आप अपना भला चाहते हैं तो सबसे पहले उस ओझा के यहाँ जाना बंद कर दीजिये.आप की चारपाई के नीचे जो अड़हुल का फूल मिलता है तथा छपाई में कील लगी मिलती है,वो सब आपके भाई-भाभी नहीं बल्कि उस ओझा की करतूत है वो अपने वश में किये प्रेतों के जरिये ये सब कर रहा है और आप का धन लूटकर आप को बेवकूफ बना रहा है.मेरे समझाने पर वो ओझा के यहाँ जाना बंद कर दिए.उनकी चारपाई के नीचे अब अड़हुल का फूल मिलना और चारपाई में कील लगना सबकुछ बंद हो गया और भाई-भाभी से सम्बन्ध फिर से अच्छे हो गए.
एक इंजीनियर साहब एक दिन बताने लगे की वो अपनी बेटी की शादी के लिए गहने एक सूटकेस में भरकर बलिया से वाराणसी आ रहे थे.सूटकेस में दो ताला लगा हुआ था.ट्रेन की जिस बोगी में वो बैठे थे,उसी में काले कपडे पहने जटाजूट बढ़ाये दो तांत्रिक भी थे.वो रह रह कर होंठो में कुछ बुदबुदाते थे.इंजीनियर साहब अपनी जगह से न ही हिले और न सूटकेस खोले.अपने घर आकर जब सूटकेस खोले तो उसमे और सब सामान था,परन्तु लाखों के गहने गायब थे.प्रेतों के जरिये तांत्रिक उनके गहने गायब कर दिए थे.बलिया में वो स्वयं वो अपने हाथ से गहने सूटकेस में रखे थे और ताला लगाये थे.पुरे रास्ते भर वो कहीं सूटकेस खोले भी नहीं थे.बहुत से तांत्रिक रुपए और गहने दुगुना करने के नाम पर प्रेतों के जरिये लोगों की मूल रकम भी लूट ले जाते हैं.
अंत में मै यही कहूंगा की हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए.अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत रखना चाहिए.जिसकी विल पॉवर मजबूत होती है,उसके ऊपर भूत-प्रेतों का असर कम पड़ता है.दुर्गासप्तशती का कवचपाठ,हनुमान चालीसा आदि अपनी विल पॉवर को मजबूत करने के लिए प्रतिदिन पढ़ सकते हैं.आप गायत्रीमंत्र का जप भी कर सकते हैं.अपने मन का भय दूर करने के लिए इस सिद्ध मंत्र का भी जप कर सकते हैं-!! ॐ श्री हनुमते रामदूताय नम:!!
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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