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एक पोस्ट स्नेहा के लिए-शुक्रिया और शुभरात्रि स्नेहा

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सुबह साढ़े तीन बजे मैं उठा तो मुझे चक्कर आ रहा था.बायीं तरफ सिर करने पऱ कमरा घूमने लगता था.दिल तेजी से धड़क रहा था.मैं बिस्तर से उठने की कोशिश किया तो कदम डगमगाने लगे.लगा कि मैं गिर जाउंगा.मेरी पत्नी और बिटिया गहरी नींद में सो रहीं थीं.मुझे घबराहट हो रही थी,फिर भी मैंने हिम्मत कर आलमारी खोली और वीपी नापने वाली मशीन निकालकर वीपी नापा,जो की बढ़ा हुआ था.होम्योपैथिक मेडिसिन रश टॉक्स २०० की कुछ बूंदे मैंने जीभ पर गिरा लीं.
आलमारी से सरवाइकल कॉलर’ निकालकर मैंने गर्दन में लगा लिया.दो घंटे बाद मैंने वीपी कम करने के लिए एक कप में एक घूंट पानी डाल उसमे होम्योपैथिक दवा हाई टोन की दस बूंद डाला और पी गया.थोड़ी देर में वीपी चेक किया तो लगभग नार्मल था.मैं गर्म पानी पिया और किसी तरह से नित्य क्रिया से निपट गर्म पानी से स्नान किया.चक्कर मुझे अब भी आ रहे थे.डॉक्टरों के बताये अनुसार मैंने कई तरह के व्यायाम किये.दो बिस्कुट खाकर डॉक्टरों की बताई हुई चक्कर रोकने की दवा वर्टिगोन लिया.पंद्रह मिनट बाद चक्कर आना बंद हो गया.एक दो महीने बाद मुझे ये दिक्कत हो जाती है.
पिछले चार साल से ‘सरवाइकल स्पोन्डीलोसिस (कशेरुकासन्धिशोथ) नमक रोग झेलने का आदि हो चूका हूँ.इस रोग में सर्वाइकल स्पोन्डिलाइसिस’ का स्नायुओं पर दबाव पड़ता है और चक्कर आते हैं और गर्दन में दर्द भी होता है.मेरे डॉक्टर मित्र मुझसे नाराज रहते हैं कि आप लगातार दिनभर लोगों के बीच क्यों बैठते हैं ? आप दोपहर को आराम किया कीजिये.मैं उनकी बात नहीं सुनता.महर्षि दधीचि ने तो इंद्र को अपनी रीढ़ कि हड्डी दान में दे दी थी,मैं वो तो नहीं कर सकता परन्तु परेशान लोगों के लिए अपनी शारीरिक परेशानी के वावजूद समय तो दे ही सकता हूँ.मेरी बिटिया जाग गई थी,उसे लेकर छत पर गया और उसे गोद में लिए हुए धूप में कुछ देर टहलता रहा.
उधर गेट के बाहर मिलने के लिए बहुत से लोग खड़े थे.मैं नीचे आकर गेट खोला लोगों को अंदर बुला लिया.स्नेहा हाथों में मिठाई का डिब्बा लेकर मेरे पास आती है.बंगलौर में एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर हो गई है.वो बहुत खुश है.उसके माता-पिता मुझसे आग्रह करते हैं कि स्नेहा शादी करने के लिए राजी नहीं है.आप इसे समझाइये,आपकी बात मानती है.मैं स्नेहा से पूछता हूँ कि तुम शादी क्यों नहीं करना चाहती हो ?
स्नेहा गम्भीर होकर कहती है-मुझे नफरत है इन लोगों से.जब मैं पेट में थी तो माँ ने जानबूझकर भारी से भारी सामान उठाया ताकि गर्भपात हो जाये और मैं संसार में न आ सकूँ.जब मैं गर्भ में पांच महीने की थी तो तो ये लोग गर्भपात कराने डॉक्टर के पास गए थे.डॉक्टर को इन्होने मुंहमांगी रकम देने का ऑफर दिया लेकिन वो ईमानदार डॉक्टर नहीं मन और मेरी माँ को चेतावनी दी कि कहीं और जाकर जबदस्ती गर्भपात कराओगी तो बच्चे साथ साथ तुम्हारी भी मौत हो सकती है.मुझे संसार में ये लोग प्रेम से नहीं लाये है.मैं तो बस संयोग से आ गई हूँ.मुझे नफरत है स्त्री से भी और पुरुष से भी.मैं शादी नहीं करुँगी और नौकरी करते हुए अकेले जीवन गुजारुंगी.
तुम स्त्री और पुरुष दोनों से नफरत करती हो.मैं भी तो एक पुरुष हूँ,फिर मेरा कहा क्यों मानती हो ?-मैंने उसे समझाने की दृष्टि पूछा.
वो बोली-आप इन दोनों भावों से ऊपर हैं,इसीलिए आपके प्रति अगाध श्रद्धा है.आप जो कहेंगे मैं करुँगी,बस आप शादी करने लिए मुझे मत कहियेगा.
ठीक है नहीं कहूंगा,लेकिन मेरा कम्प्यूटर तो देख लो.बार बार मॉनिटर की लाईट जल बुझ रही है.वो दूसरे कमरे में जाकर मेरा कम्प्यूटर ठीक करने लगी.आधे घंटे बाद मेरे पास आकर बोली कि रैम हिल गया था.मैंने साफ करके ठीक से लगा दिया है.मैं अगली बार आउंगी तो आप के लिए एक लेपटॉप लेती आउंगी.
नहीं तुम मत लाना,मैं खरीद लूंगा-मैं उसे मना कर दिया.मैं उसे शादी करने के बारे में समझाना चाह रहा था परन्तु बहुत से लोगों की भीड़ के बीच मैं उसे समझा नहीं पाया.मैंने उसकी लाई मिठाई सबको बांटी और उसे जाने को कह दिया.जाते समय उसके माता पिता बहुत निराश थे.वो मेरे पास बहुत उम्मीद लेके आये थे.मैं उन्हें निराश होकर जाते देखकर दुखी था.
स्नेहा तुम भी अपनी जगह पर सही हो,लेकिन तुम्हे शादी करनी चाहिए.अपने माता पिता की पुरानी गलतियों से ये शिक्षा लो कि तुम वैसी गलती नहीं करोगी और जब कोई स्नेहा तुम्हारे गर्भ में होगी तो तुम उसे बड़े प्यार से इस संसार में लाओगी और और उसका पुरे लाड़ दुलार के साथ उसका पालन पोषण करोगी.मैं जनता हूँ कि तुम अपने लेपटॉप पर आज रात को मेरा ये लेख जरुर पढ़ोगी.शारीरिक अस्वस्थता के वावजूद भी मैं तुम्हारे लिए ये ब्लॉग पोस्ट कर रहा हूँ.मेरा कम्प्यूटर ठीक करने के लिए शुक्रिया और शुभरात्रि स्नेहा.
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)