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प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम में मकर संक्रांति पर्व

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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प्रकाशनार्थ समाचार
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धर्म एक परमात्मा,बहु भांति के पंथ,
बोध करावें सद्गुरु,साररूप सब ग्रन्थ.
घमहापुर (कंदवा) वाराणसी में स्थित प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम में मकर संक्रांति पर्व पर दिन मंगलवार दिनांक १४ जनवरी २०१४ ई. को निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.
कार्क्रम का शुभारम्भ प्रात:११ बजे भजन गायन से होगा.आश्रम के कई सत्संगी भाई-बहन अपनी मधुर आवाज में संतों के भजन प्रस्तुत करेंगे.आश्रम के आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषिजी दोपहर १२ बजे श्रद्धालु भक्तों के बीच अपने आशीर्वचन व्यक्त करेंगे.सद्गुरुजी दोपहर १२ वबजे से लेकर रात्रि के ८ बजे तक आश्रम के भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद देते रहेंगे.आश्रम में इस दिन खिचड़ी रूपी प्रसाद का वितरण दोपहर को सद्गुरुजी के प्रवचन के पश्चात् शुरू होगा और रात्रि ८ बजे तक निरंतर जारी रहेगा.इस शुभ अवसर पर हर भंडारे की भांति इस बार भी विभिन्न तरह के जनकल्याणकारी कार्य होंगे जो निशुल्क रूप से सबको सुलभ होंगे.प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम इस पुनीत अवसर पर सभी आध्यात्म प्रेमियों को सादर आमंत्रित करता है.मकर संक्रांति पर्व की आप सभी को बधाई.
सचिव
(वशिष्ठ नारायण सिंह)
प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,
ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,
जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६

प्रकाशनार्थ समाचार
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मनुष्य परमात्मा की आवाज सुनना भूल चूका है,इसीलिए दुखी है

वाराणसी के कंदवा क्षेत्र के घमहापुर गांव में स्थित सुरत-शब्द योगमार्ग अनुयायी आश्रम प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ में मकर संक्रांति के अवसर पर दिन मंगलवार तारीख १४ जनवरी २०१४ ई.को सत्संग और खिचड़ी के भंडारे का आयोजन किया गया.कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रात:११ बजे भजन गायन से हुआ,जिसमे श्री शिवशंकर सिंह,त्रिलोकीनाथ पाण्डेय,रामकीर्ति कुशवाहा,उमेश वर्मा,अरविन्द कुमार,वृजभूषण गिरी,सनातन मौर्य,पूजा पाण्डेय.दुर्गा देवी,नयनतारा देवी और कु.प्रतिभा सिंह आदि ने भक्ति भावना से ओतप्रोत होकर भावविभोर कर देनेवाले भजन सुनाये.
श्रद्धालु भक्तों की भीड़ के बीच दोपहर एक बजे प्रवचन करते हुए आश्रम के आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषिजी ने कहा कि-“आज मनुष्य इसीलिए दुखी है,क्योंकि वो शब्द यानि परमात्मा की आवाज को सुनना भूल चूका है.शब्द यानि परमात्मा की आवाज हर मनुष्य के भीतर है और वो परमात्मा द्वारा निर्मित एक डोरी है,जिसे पकड़कर हम अपने शाश्वतधाम सतयलोक वापस जा सकते हैं और संसार के सरे दुखों से छुटकारा प् सकते हैं.शब्द की जानकारी किसी संत सद्गुरु से होती है.”
अपने विस्तृत प्रवचन के मध्य सद्गुरुजी ने कहा कि-“शरीर,मन,वाणी से जो भी कर्म करें वो भगवन को समर्पित कर दें,इससे आपके मन में शांति बनी रहेगी और अहंकार रूपी सबसे बड़ी बीमारी से भी आप दूर रहेंगे.मकर संक्रांति पर्व से हमें यह शिक्षा ग्रहण करना चाहिए कि संसार में सबकुछ गतिशील है.कई जन्मो की यादों की गठरी लिए हमारी चेतना भी समय के साथ गतिशील है.अपनी चेतना को गतिशील समय से परे ले जाना ही समाधी है,जिसे महावीर जी ने स्थिर समय कहा है.विज्ञानं के अनुसार सृष्टि में तीन तत्व-अंतरिक्ष,समय और पदार्थ है,जबकि आध्यात्म के अनुसार भगवान,जीव और माया और यही सृष्टि के तीन तत्व हैं.”
अपने प्रवचन के अंत में सद्गुरुजी ने कहा कि-“अपने तन,मन और धन से दान देना मनुष्य का परम कर्तव्य है.अपनी वस्तु,बुद्धि और बल को गरीबों और जरूरतमंदों के हित में लगाना सर्वश्रेष्ठ सात्विक दान है.दान देने से तथा भगवन के आगे सर नवाने से सिर पर नाचता हुआ पाप गिरकर जमीन पर आ जाता है.दान देने से अंत:करण शुद्ध होता है और मन व बुद्धि परमात्मा में लग जाती है.”
सद्गुरुजी ने प्रवचन के बाद जिज्ञासु जीवों को ईश्वर-पथ पर अग्रसर होने के लिए नामदान दिया.इस अवसर पर बहुत से जनकल्याणकारी कार्य जैसे दवा,वस्त्र व् अन्न आदि का वितरण आश्रम के शिष्यों द्वारा किया गया.डॉक्टर राजेश राय और डॉक्टर शालिग्राम त्रिपाठी जी ने अपनी मेडिकल सेवाएं बहुत से लोगों को निशुल्क रूप से प्रदान कीं.खिचड़ी का भंडारा दोपहर बाद दो बजे से शुरू हुआ,जो रात्रि के आठ बजे तक चलता रहा.
सचिव
(वशिष्ठ नारायण सिंह)
प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,
ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,
जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६

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