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जनवरी २६ ,१९५० भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण है. देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियो का सपना साकार हुआ. भारत का संविधान इसी दिन पूरी तरह से लागू हुआ और भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य बन गया, इसीलिए इस महत्वपूर्ण दिन को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. २६ जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है. गणतंत्र दिवस पूरे देश मे बहुत उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाता है. आज 26 जनवरी 2016 को देश के 67वें गणतंत्र दिवस पर देश के आजादी और इसकी रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को नमन करते हुए गणतंत्र दिवस के कुछ उपयोयोगी और शिक्षाप्रद शुभकामना सन्देश संकलित करके के मैं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ-
१-हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
२-इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के,
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
३-मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
दुनिया के दांव पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
४-तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के
ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के,
आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के,
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
५-अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है
सैकड़ों क़ुरबानियाँ देकर ये दौलत पाई है
मुस्कराकर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियाँ
कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है
ख़ाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
६-हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
क्या चलेगी ज़ुल्म की अहले वफ़ा के सामने
जा नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने
लाख फ़ौजें ले के आई अमन का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
७-एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
वक़्त की आज़ादी के हम साथ चलते जाएंगे
हर क़दम पर ज़िंदगी का रुख़ बदलते जाएंगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार\-ए\-वतन
अपनी ताक़त से हम उसका सर कुचलते जाएंगे
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
८-करते हैं झुक -कर सलाम हम
सरहद की हर हद पर तुम हो ,
दुश्मन की हर जद पर तुम हो !
लेते हैं जो स्वतंत्र सांस हम ,
उस हर सांस के रक्षक तुम हो !!
कभी कारगिल में रखवाली ,
या हो मुम्बई में गोली -बारी !
इनसे जो बेफिक्र बनाये ,
उस हर सोच के रक्षक तुम हो !
धरती कांपे या आये सुनामी ,
हो जीवन की आँखों में पानी !
हर मुश्किल से राहत देकर ,
उस राहत के रक्षक तुम हो !
करते हैं झुक -कर सलाम हम ,
तुम हो तो न कभी गुलाम हम !
कभी जो खाये दर हम सबको ,
उस ज़ालिम दर के भक्षक तुम हो !!
९-लहराओ सबके दिल में देश के लिए तरंग
जिंदगी है कल्पनाओ की जंग
कुछ तो करो इसके लिए दबंग
जियो शान से भरो उमंग
लहराओ सबके दिल में देश के लिए तरंग
१०-इस तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना
ये बात हवाओं को बताये रखना ,
रौशनी होगी चरागों को जलाये रखना ,
लहू देकर जिस तिरंगे की हिफाज़त हमने की ,
इस तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना.
११-जान भी करदी हमने वतन के नाम पर
जान तो करदी हमने वतन के नाम पर ,
शान तो करदी हमने वतन के नाम पर ,
कुर्बानियो से पाई है हमने आज़ादी ,
हमारा वतन तो लाखो मैं एक है ,
जान भी करदी हमने वतन के नाम पर .
१२-मेरा भारत देश महान
देश बंटा था जब टुकड़ो में ,
पटेल ने था किया था योगदान .
फिर हुआ अखंड सदा को ,
मेरा भारत देश महान .
१३-करती हैं इसका गुणगान
उत्तर में हिमालय शोभित ,
जो है इसकी उत्तम शान .
दक्षिण में सागर कि लहरें ,
करती हैं इसका गुणगान .
१४-सारा इक है हिंदुस्तान
भाषा बोली अलग अलग हैं ,
फिर भी सबका है सम्मान .
पूरब से लेकर पश्चिम तक ,
सारा इक है हिंदुस्तान !
१५-लुटा कर , दीप जलाये है
दाग गुलामी का धोया है जान
लुटा कर , दीप जलाये है
कितने दीप बुझा कर , मिली
है जब यह आज़ादी तो फिर
इस आज़ादी को रखना होगा हर
दुश्मन से आज बचाकर .
१६-आज हर घर पर तिरंगा लहराओ
इंडियन होने पर करिये गर्व ,
मिलके मनाएं लोकतंत्र का पर्व ,
देश के दुश्मनों को मिलके हराओ ,
आज हर घर पर तिरंगा लहराओ.
१७-सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
आओ हम सब मिलके भाई
कोशिश करे कि झंडा उचा रहे हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
संकलनकर्ता- सद्गुरुजी. जागरण जंक्शन परिवार को और इस मंच के सभी ब्लॉगर मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई. हमसब लोग इस देश में गरिमा और सम्मान के साथ जीवन जियें और देश व समाज के लिए अपनी सामर्थ्य और योग्यता के अनुसार जो भी सेवा सम्भव हो सकें, वो जरुर करें. यही मेरा शुभकामना है. जय हिन्द ! जय हिन्द ! जय हिन्द !
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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