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वेलेंटाइन डे १४ फ़रवरी-प्रेम सन्देश देता प्रेम दिवस

सद्गुरुजी
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वेलेंटाइन डे १४ फ़रवरी-प्रेम सन्देश देता प्रेम दिवस
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पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय.

संत कबीर साहब कहते हैं कि पुस्तकें पढ़ पढ़ कर इस संसार से कितने लोग विदा हो गए,परन्तु वास्तविक ज्ञान उन्हें प्राप्त नहीं हो सका.पुस्तके पढ़ने की बजाय यदि हम अपने माता-पिता,भाई-बहन,पत्नी-बच्चों,मित्रों और गरीब-जरूरतमंद लोगों से प्रेम करना सीख लें तो यही सांसारिक प्रेम विस्तृत होकर एक दिन आध्यात्मिक प्रेम यानि ईश्वरीय प्रेम में बदल जायेगा और ढाई अक्षर वाले शब्द “प्रेम” का गूढ़ और वास्तविक अर्थ भी हमें समझ में आ जायेगा.प्रेम के कई रूप हैं.हर रूप का भिन्न भिन्न आनंद और महत्व है.
हर धर्म में प्रेम को भगवान का दर्जा दिया गया है.प्रेम ईश्वर और प्रकृति का दिया हुआ एक अनुपम उपहार है.मनुष्य ही नहीं बल्कि संसार के सभी प्राणी जीवन भर प्रेम की तलाश की तलाश में रहते हैं.प्रेम हमें दूसरों से ही नहीं बल्कि खुद से और खुदा से भी जोड़ता है,इसीलिए कहा जाता है कि जिसे किसी का प्रेम मिल गया वो समझ ले कि खुदा की खुदाई उसे मिल गई.संत-महात्मा इसीलिए प्रेम की प्रेम की इतनी बड़ाई करते हैं.
संत वेलेंटाइन ने प्रेम के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था.रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस के शासनकल में सैनिक और अधिकारियों को विवाह करने की इजाजत नहीं थी.सम्राट क्लॉडियस का ये विचार था कि शादी करने से मर्दों की शक्ति और बुद्धि क्षीण होती है.संत वेलेंटाइन ने राजाज्ञा का विरोध करते हुए अनेक सैनिकों और आधिकारियों को विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया.सम्राट क्लॉडियस ने इस बात से नाराज होकर 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया.संत वेलेंटाइन की याद में आज भी हर वर्ष 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे यानी प्रेम दिवस के रूप में मनाया मनाया जाता है.
जितना आज वेलेंटाइन डे युवाओं में लोकप्रिय है,उतना आज से पच्चीस साल पहले नहीं था,परन्तु प्रेम की तलाश ठीक वैसी ही थी जैसी आज है.अपने कालेज के दिनों में मैंने बहुत डरते डरते कॉपी में एक फ़िल्मी गीत के बोल को प्रेम सन्देश के रूप में भेजा था.उस फ़िल्मी गीत के बोल थे-
वो पास रहें या दूर रहें नज़रों में समाये रहते हैं
इतना तो बता दे कोई हमें क्या प्यार इसी को कह्ते हैं.

मेरा सौभाग्य था कि उधर से जो जबाब मिला वो भी सकारात्मक था.उसने भी कॉपी में एक फ़िल्मी गीत के ये बोल लिखकर जबाब दिया था-
धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम
मुझे करार नहीं जबसे बेकरार हो तुम
ज़ह-ए-नसीब अता की जो दर्द की सौग़ात
वो गम हसीन है जिस गम के जिम्मेदार हो तुम

मैं बहुत भाग्यशाली था जो अपने प्रेम को पा लिया था,परन्तु साढ़े तीन साल बाद समय के क्रूर हाथों ने उसे मुझसे हमेशा के लिए छीन भी लिया-
चले आज तुम जहाँ से, हुयी जिंदगी परायी,
तुम्हे मिल गया ठिकाना, हमें मौत भी ना आयी..

अपने जीवन में मैंने सच्चे प्रेमियों का हमेशा ही बहुत आदर किया है और बहुतों की अपने सामर्थ्य के अनुसार मैंने मदद भी की है.मैं विवाह समारोहों में जाने से बचता हूँ,लेकिन उन सैकड़ों विवाह समारोहों में जाकर मुझे बहुत आत्मिक प्रसन्नता हुई,जिसमे दो सच्चे प्रेमियों का इस नफरत से भरे संसार में बड़े सौभाग्य से सुखद मिलन हुआ था.आज के युग के प्रेमियों के कुछ प्रेम सन्देश मैंने संकलित किये हैं,जो वेलेंटाइन डे की बधाई देते हुए उन्हें प्रेम सन्देश पुष्प के रूप में समर्पित है-
१-खुद को खुद की खबर न लगे ,
कोई अच्छा भी इस कदर न लगे ,
आप को देखा है बस उस नज़र से ,
जिस नज़र से आप को नज़र न लगे …
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२-सभी नगमे साज़ में गाए नहीं जाते ,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते ,
कुछ पास रह कर भी याद नहीं आते ,
कुछ दूर रह कर भी भूलाये नहीं जाते …
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३-तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा ,
मगर हमारी तरह तुम्हे कौन चाहेगा ,
ज़रूर कोई चाहत की नज़र से तुम्हे देखेगा ,
मगर आँखें हमारी कहाँ से लाएगा ..!!
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४-किसी एक से करो प्यार इतना ,
के किसी और से प्यार करने की गुंजाईश न रहे ,
वो मुस्करादे आप को देख कर एक बार ,
तो ज़िन्द्गी से फिर कोई ख्वाइश न रहे …
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५-आपको पा कर अब खोना नहीं चाहते .
इतना खुश हो कर अब रोना नहीं चाहते .
यह आलम है हमारा आपकी जुदाई का .
आँखों में नींद है मगर सोना नहीं चाहते .
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६- हर दुआ कबूल नहीं होती ,
हर आरज़ू पूरी नहीं होती ,
जिनके दिल में आप जैसे लोग रहते हो ,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नहीं होती .
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७-बस एक छोटी सी हाँ कर दो ,
हमारे नाम इस तरह सारा जहाँ कर दो ,
वो मोहब्ब्तें जो तुम्हारे दिल में हैं ,
उन को ज़ुबान पर लाओ और बयां कर दो !
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८-ख़ुशी से दिल को आबाद करना …
और ग़म को दिल से आज़ाद करना ,
हमारी बस इतनी गुजारिश है के हमें भी
दिन में एक बार याद करना ..
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९-जैसे हवा का झोंका ,
शहद की मिठास ,
जैसे फूलों की खुशबु ,जैसे प्यार ,
जानते हो सुब से खूबसूरत एहसास क्या है ,
आप का साथ …..!
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१०-प्यार शब्दो का मोहताज नहीं होता .
दिल में हर किसी के राज़ नहीं होता ;
क्यूँ इंतज़ार करते है सभी वैलेंटाइन डे का .
क्या साल का हर दिन प्यार का हक़दार नहीं होता ?
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११-आशिक़ ने पूछा खुद से
तूने दुनिआ को प्यार का दुश्मन क्यों बना दिया ..
खुदा हंसा और बोला
आशिक़ों ने कौन सा मेरे साथ अच्छा किया है …
उन्होंने तो यार को ही खुदा बना दिया
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१२-इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती ,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती ,
आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्ताँ ,
मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज़ नहीं होती !
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१३-जब तन्हाई में आपकी याद आती है ,
होंठो पे एक ही फरियाद आती है …
खुदा आपको हर ख़ुशी दे ,
क्योंकि आज भी हमारी हर ख़ुशी आपके बाद आती है ..
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१४-सोचा आप से बात करूँ
फिर सोचा , एक मुलाक़ात करूँ ,
फिर सोचा , क्यूँ न इंतज़ार करूँ ,
फिर सोचा , क्यूँ न एक काम करूँ ,
एक पियारा सा एसएमएस आप के नाम करूँ
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१५-ज़रूरत ही नहीं अलफ़ाज़ की ,
प्यार तो चीज़ है बस एहसास की ,
पास होते तो मंज़र ही क्या होता ,
दूर से ही खबर है हमे आपकी हर सांस की …
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१६-आपके आने से ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है ,
दिल में बसी है जो वो आपकी ही सूरत है ,
दूर जाना नहीं हमसे कभी भूलकर भी ,
हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है .
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१७-कितना भी चाहो , न भूल पाओगे
हम से जितना दूर जाओ नज़दीक पाओगे
हमें मिटा सकते हो तो मिटा दो
यादें मेरी , मगर …
क्या सपनो से जुदा कर पाओगे हमें
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१८-हमसे दूर जायोगे कैसे ,
दिल से हमे भुलायोगे कैसे ,
हम तो वो खुसबू हैं जो आपकी
साँसों में बस्ते हैं ,
खुद कि साँसों को रोक पायोगे कैसे
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१९-हर पल ने कहा एक पल से …
पल भर के लिए आप मेरे सामने आ जाओ …
पल भर का साथ कुछ ऐसा हो …
कि हर पल तुम ही याद आओ …
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२०-जब खामोश आँखों से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है
तुम्हारे ही मोहब्बत में खोये रहते हैं
पता नहीं कब दिन कब रात होती है
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२१-जिंदगी में तुमसे
एक लम्बी मुलाकात हो !
मिलकर साथ बैठे हम
और लम्बी बात हो !
करने को सिर्फ
तेरी – मेरी बात हो….!
रुक जाये वक़्त
फिर दिन हो न रात हो !!
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२२-ताज या तख़्त या दौलत हो ज़माने भर की,
कौन सी चीज़ मुहब्बत से बड़ी होती है..
दो मुहब्बत भरे दिल साथ धड़कते हो जहां,
सबसे अच्छी वो मुहब्बत की घडी होती है..

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आलेख,संकलन और प्रस्तुति= (सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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