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पाकिस्तान में हिंदुओं की बद से बदतर होती स्थिति

सद्गुरुजी
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पाकिस्तान में हिंदुओं की बद से बदतर होती स्थिति
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अभी कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के कराची शहर के प्रेस क्लब में पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय ने एक सेमिनार का आयोजन किया.सेमिनार में चर्चा का विषय था-“पाकिस्तान में हिन्दू मुद्दे और समाधान.” इस गोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने पाकिस्तान में हिंदुओं की बहन बेटियों का हो रहा जबरन धर्म परिवर्तन मिडिया के माध्यम से सारी दुनिया के सामने उजागर किया.इस गोष्ठी में आये एक पाकिस्तानी हिन्दू राजकुमार ने अपना गुस्सा और दुःख बयान करते हुए बताया कि वर्ष २०१२ में उसकी भतीजी रिंकल कुमारी का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उसका विवाह एक मुसलमान से करा दिया गया.पुलिस और कोर्ट दोनों ने उनका साथ नहीं दिया और इस जबरन धर्म परिवर्तन कर किये गये नाजायज विवाह को जायज करार देकर हिंदुओं के मुंह पर नाइंसाफी का तमांचा मार दिया.पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अन्याय और अत्याचार का खुलासा करते हुए मिडिया के सामने छह साल की जमुना और दस साल की पूजा को पेश करते हुए भुक्तभोगियों ने बताया कि इन मासूम बच्चियों पर धर्मपरिवर्तन के लिए दबाब बनाया गया.इस गोष्ठी में पाकिस्तान में पैसे और रसूख वाले मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के मासूम बच्चों के साथ किये जा रहे यौन-शोषण पर भी चर्चा की गई.
पाकिस्तान में हो रहे हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन पर नवभारत टाइम्स में छपा एक समाचार साभार प्रस्तुत है-
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि देश में नाबालिग हिन्दू लड़कियों का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय बहुत चिंतित है.
मानवाधिकार आयोग की वर्ष 2010 की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत से मामलों में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनके साथ रेप किया जाता है और बाद में उन्हें धर्म परिवर्तन पर मजबूर किया जाता है.सिंध प्रान्त विशेष कर देश की व्यापारिक राजधानी कराची में जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं हो रही हैं। पाकिस्तान की सीनेट की अल्पसंख्यक मामलों की स्थाई समिति ने अक्टूबर 2010 में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस उपाए करने का आग्रह किया था.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं केवल सिंध तक सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों में भी ऐसा हो रहा है.अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण होता है,उनके साथ रेप किया जाता है और बाद में यह दलील दी जाती है कि लडकी ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है.उसकी मुस्लिम व्यक्ति से शादी हो गई है और वह अपने पुराने धर्म में लौटना नहीं चाहती.

पाकिस्तान में हिंदुओं की बद से बदतर होती जारी स्थिति पर इण्डिया टुडे ने एक विस्तृत लेख प्रस्तुत किया था,उसका कुछ अंश मैं आभार सहित प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि सारी दुनिया इस सच्चाई से अवगत हो सके कि पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों कि बदतर स्थिति है-
” कराची के ल्यारी इलाके में 13 साल की एक हिंदू लड़की पूनम को पिछले साल मार्च में अपहृत कर लिया गया और उसे अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया. उसके माता-पिता अपनी बेटी पर मौलवियों के प्रभाव को देखकर काफी हैरान थे.
पूनम के 61 वर्षीय चाचा भांवरू ने इंडिया टुडे को बताया, ”वह बेहद डरी हुई थी. उसने मुझे बताया कि अब वह मुसलमान बनकर उनके साथ रहने जा रही है.” पूनम अब मरियम हो गई है.
मासूम पूनम के इस तरह धर्म परिवर्तन पर किसी ने विरोध में आवाज नहीं उठाई, क्योंकि ल्यारी में लगभग सभी हिंदू परिवार वर्षों से इस धार्मिक अत्याचार को झेल रहे हैं.
पाकिस्तान में अपहरण आम बात है. लेकिन 16.8 करोड़ की आबादी वाले मुसलमानों के मुल्क में 27 लाख हिंदुओं के समुदाय को जिस बात ने हिला कर रख दिया है, वह है छोटी उम्र की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन. बहुत से लोगों का मानना है कि यह काम एक साजिश के तहत किया जा रहा है ताकि बचे-खुचे हिंदुओं को पाकिस्तान से बाहर खदेड़ा जा सके.
सिंध प्रांत में नवाब शाह नामक जगह के 46 वर्षीय सनाओ मेघवार कहते हैं, ”हम चिंतित हैं. हमने अपने बच्चों को भारत या किसी अन्य देश में भेजना शुरू कर दिया है. हम भी जल्द ही यहां से जाने की तैयारी कर रहे हैं.” उनके लिए चिंतित होने का कारण भी है. स्थानीय एजेंसियों की ओर से किए गए शोध के मुताबिक पाकिस्तान में हर महीने औसतन 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है.
विभाजन के समय 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 15 फीसदी थी, जो अब मात्र 2 फीसदी रह गई है. कई हिंदू पाकिस्तान छोड़ कर चले गए हैं, तो उनसे ज्‍यादा हिंदू मारे जा चुके हैं और कुछ ने जिंदा रहने के लिए इस्लाम को स्वीकार कर लिया है.
हिंदुओं को सिर्फ अलग मतदाता के तौर पर मतदान की इजाजत है और उन्हें अपनी शादियां पंजीकृत कराने का अधिकार नहीं है.पाकिस्तान में यदि किसी हिन्दू का किसी मुसलमान से झगड़ा या विवाद होता है तो वहाँ की पुलिस और कोर्ट मुस्लिमों का ही साथ देती है और हिंदुओं को तरह तरह से प्रताड़ित करती हैं.कई आतंकी संगठनो द्वारा हिंदुओं को डरा धमकाकर उनसे अवैध रूप से धन वसूली की जाती है.हिन्दू किसी होटल में जाने से बचते हैं क्योंकि उनके साथ होटलों में अक्सर बदसलूकी की जाती है.पाकिस्तान में शिक्षा प्राप्ति से लेकर नौकरी पाने तक में हर जगह हिंदुओं के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें घृणा की नज़र से देखा जाता है.
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उनकी तकलीफों का यहीं अंत नहीं है. 19 जुलाई, 2010 को रावलपिंडी के श्मशान घाट को, जहां हिंदू और सिख अपने सगे-संबंधियों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करते थे, खत्म कर दिया गया.वहाँ के स्थानीय निवासी जगमोहन कुमार अरोड़ा सवाल करते हैं,”अगर मस्जिदों को तोड़ कर वहां घर बना दिए जाएं तो मुसलमानों को कैसा लगेगा?” वहां के हिंदुओं को अंतिम संस्कार करने के लिए मृतक देह को लेकर ८६ किलोमीटर का सफर तय करके जिला ननकाना साहिब जाना पड़ता है.”

पाकिस्तान में हिन्दू सांसदों और विधायकों कि क्या स्थिति है,ये भी जान लीजिये-” पाकिस्तान में पिछले साल सिंध प्रांत की विधानसभा से 67 वर्षीय विधायक रामसिंह सोढा के इस्तीफे और कच्छ से उनके परिवार के पलायन ने पाकिस्तान और भारत दोनों देशों में हलचल मचा दी थी. उनके इस फैसले को पाकिस्तान में कट्टर मुसलमानों के हाथों हिंदुओं पर बढ़ते जुल्म के संकेत के तौर पर देखा गया.एक वकील रहे सोढा ने इंडिया टुडे के सीनियर एडिटर उदय माहूरकर से कच्छ के नख्तराना में बात की. लेकिन वे बहुत संभलकर बोले क्योंकि उनके बहुत से रिश्तेदार अब भी पाकिस्तान में रहते हैं.”
पाकिस्तान के मंदिरों की बात करें तो वहांपर लघभग 428 मंदिर है,जिसमे से सिर्फ 26 में ही पूजा-पाठ होता है.पाकिस्तान के पांच प्रसिद्द हिन्दू मंदिर निम्लिखित हैं-
१=कटासराज मंदिर, चकवाल, पाकिस्तानी पंजाब में स्थित है.
२=हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान में है.
३=गोरी मंदिर, थारपारकर, सिंध मैं है.
४=मरी सिन्धु मंदिर परिसर, पंजाब में है.
५=शारदा मंदिर, पाक अधिकृत कश्मीर में है.
पाकिस्तान के हिन्दू मंदिरो पर वहाँ के मुस्लिम कट्टरपंथी बराबर हमले करते रहते हैं.वहाँ के अधिकतर मंदिरों में मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से न तो पूजापाठ होती है और न ही उनका सही ढंग से रख रखाव हो पा रहा है,जिसके कारण अधिकतर मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए हैं.ये मंदिर कभी भी इबादत के बुतखाने और इस्लाम के खिलाफ बताकर नेस्तनाबूत किये जा सकते हैं.वहाँ के मंदिरों पर हो रहे मुस्लिम आतंकवादी हमले का नवभारत टाइम्स में छपा समाचार देखिये-
“पाकिस्तान के नॉर्थ-वेस्ट रीजन पेशावर में 160 साल पुराने मंदिर में कुछ लोगों ने हमला बोल दिया.हमलावर मूर्तियों को ले उड़े और मंदिर में तोड़-फोड़ मचा दी.धार्मिक किताबों को जला दिया और तस्वीरों को फाड़ दिया.इस मंदिर पर पिछले दो महीने में यह तीसरा हमला है.इस ऐतिहासिक मंदिर को अदालत के आदेश पर पिछले साल ही खोला गया था.हिन्दू समुदाय के नेताओं ने बताया कि हमलावरों ने गोरखमठ मंदिर के भीतर की तस्वीरें जला दीं और उसमें रखीं मूर्तियां उठा ले गए.यह मंदिर गोर गाथरी इलाके के पुरातत्व परिसर में स्थित है.मंदिर के संरक्षकों ने बताया कि पिछले दो महीने में यह तीसरा हमला है.”
भारत सरकार को पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे को पाकिस्तान सरकार के समक्ष और अंतररास्ट्रीय मंच पर पूरी गम्भीरता से उठाना चाहिए.हिंदुओं की हितैषी समझी जाने वाली भाजपा को ये मुद्दा पूरे देशभर में और पूरी दुनिया में जोरशोर से उठाना चाहिए.पाकिस्तान में हिंदुओं का वजूद दिनोदिन मिटता ही जा रहा है.वो इतना जुल्म क्यों सह रहे हैं,आखिर वो भी तो इंसान हैं और हमारे भाई हैं.उन्हें भी तो अपने देश में सुखशांति से जीने का अधिकार है.उनके सम्मान और गरिमा की हमें रक्षा करनी चाहिए.अत:इस समस्या का शीघ्र से शीघ्र निराकरण जरुरी है.पाकिस्तान सरकार से भी मेरा अनुरोध है कि वो इस ओर ध्यान दे.किसी भी देश के सरकार की काबिलियत इस बात पर निर्भर करती है कि वहांपर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा कितनी है.पाकिस्तान सरकार अपने देश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने के मामले में अबतक पूरी तरह से असफल ही साबित हुई है.
हमारे देश में हिन्दू बहुसंख्यक हैं,लेकिन उनकी अस्मिता ओर पहचान धीरे धीरे ग्रंथों में ही सिमटती जा रही है.हिन्दू अस्मिता पर इस देश में कहीं अंग्रेजियत हावी हो रही है है तो कहीं धर्म परिवर्तन हावी हो रहा है.मैं हिन्दू राष्ट्र का समर्थक नहीं हूँ,क्योंकि ये भारत जैसे बहुधर्मी देश में असम्भव सी बात है,परन्तु मैं इस बात का समर्थक हूँ की इस देश को उसका सही नाम ओर सही पहचान मिलनी ही चाहिए.मैं भारत के नेताओं को एक सुझाव देना चाहूंगा कि हमारे देश का नाम ” भारत और इंडिया ” से बदलकर ” हिंदुस्तान ” रखने पर विचार करें,जिस शब्द में असीम गरिमा और सम्मान है और जो आजादी के समय की इस देश की संस्कृति और एकता की पहचान थी.
आज के समय में धर्म का स्वरुप असहिष्णु,हिंसक और विकृत होता चला जा रहा है.ये बहुत चिंता की बात है.पहले धर्म की यात्रा दिल से शुरू होती थी और लोककल्याण करते हुए खुदा के पास तक जाती थी.अब तो धर्म की यात्रा दिमाग से शुरू होती है और हिंसा व धार्मिक उन्माद पर जाकर समाप्त हो जाती है.अब धर्म से सहिष्णुता गायब हो चुकी है,उसकी जगह ” एकोहम द्वितीयो नास्ति ” जैसी घातक और संकीर्ण प्रवृति जन्म ले चुकी है.मुस्लिम कट्टरपंथी एक ही स्वप्न देखते हैं कि सारी दुनिया में सिर्फ उन्ही के धर्म का राज हो.अपने इस झूठे स्वप्न को पूरा करने के लिए वो हर तरह की हिंसा तथा बाल यौन-शोषण से लेकर हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन तक का गलत रास्ता अख्तियार किये हुए हैं,जो इस्लाम के नियमों के भी सरासर खिलाफ हैं.ये सब गलत काम करके वो इस्लाम धर्म का प्रचार नहीं कर रहे हैं,बल्कि इस्लाम धर्म को नुकसान ही पहुंचा रहे हैं.अगर वास्तव में उन्हें इस्लाम धर्म और खुदा से मोहब्बत हैं तो उन्हें ऐसा गलत काम करने से बचना चाहिए और इस बात पर जरुर विचार करना चाहिए कि ये सब गलत काम करके एक दिन वो अपने प्यारे और पाक खुदा को क्या अपना पापों से भरा दागदार मन और बेगुनाहों के खून से सना अपना नापाक चेहरा दिखा पाएंगे ? क़यामत के दिन क्या खुदा उन्हें माफ़ करेंगे ? इन सवालों का कोई जबाब उनके पास नहीं है.
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अंत में दुनिया के सभी धर्मानुयायियों से मैं यही कहूंगा कि आइये हमसब मिलकर सारी को सुंदर,शांतिपूर्ण और सुख से रहने लायक बनायें.बनायें.हममे से कोई नहीं जानता है कि अगला जन्म हम कहाँ मिलेगा ? संतों का कहना है कि हम जिससे बहुत नफरत करते हैं अगले जन्म में खुदा या राम हमें उन्ही के बीच भेज देते हैं,इसीलिए हमें दुनिया के किसी भी व्यक्ति से नफरत नहीं करना चाहिए.एक ही परमात्मा है,चाहे उसे हम राम कहें या खुदा कहें.साहिर लुधियानवी साहब की फिल्‍म ‘धर्मपुत्र’ के लिए लिखी गई ये क़व्‍वाली एक शिक्षाप्रद भजन के रूप में हिन्दू मुस्लिम दोनों ही धमानुयायियों को प्रेमसहित सादर समर्पित है-
काबे में रहो या काशी में निस्‍बत तो उसी की ज़ात से है
तुम राम कहो या रहीम कहो मतलब तो उसी की ज़ात से है.
ये मस्जिद है वो बुतख़ाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
भई मक़सद तो है दिल को समझाना चाहे ये मानो चाहे वो मानो.
ये शेख़-ओ-बरहमन के झगड़े सब नासमझीं की बातें हैं
हमने तो है बस इतना जाना चाहे ये मानो चाहे वो मानो.
गर जज्बा-ए-मोहब्‍बत सादिक़ हो हर दर से मुरादें मिलती हैं
मंदिर से मुरादें मिलती हैं, मस्जिद से मुरादें मिलती हैं
काबे से मुरादें मिलती हैं काशी से मुरादें मिलती हैं
हर घर है उसी का काशाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो.

कठिन शब्‍दों के अर्थ देखें=निस्बत–सम्बन्ध,बुतख़ाना–मंदिर.शेखो-बहरमन–मुस्लिम-हिन्दू धर्मोपदेशक,काशाना–घर,जज्बा-ए-मोहब्‍बत–राम या खुदा से प्रेम का भाव,सादिक़–पक्‍का.
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आलेख,संकलन और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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