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भारत में मतदान को अनिवार्य करने की जरुरत है
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सभी मतदाताओं से मेरा आग्रह है कि आप १२ मई को मतदान के अंतिम चरण में जिन क्षेत्रों में मतदान है,वहां के मतदाता अपने घरों से बाहर निकलें और जाकर मतदान करें.लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव चुनाव का दिन है.हमारे देश के गांवों में अधिकतर लोग बहुत प्रसन्नता के साथ वोट डालने के लिए जाते हैं,परन्तु शहरों में बहुत से लोग वोट डालने नहीं जाते हैं.ये तथाकथित पढ़े लिखे घर बैठकर केवल सरकारों और नेताओं को कोसते हैं,गाली देते हैं और टीवी पर वोटिंग होते देखते हैं,चुनावी सर्वे और चुनावी विश्लेषण बहुत चाव से देखते सुनते हैं और चुनाव परिणाम जानने को उत्सुक रहते हैं कि कौन जीता और कौन हारा ? वोटिंग वाले दिन बहुत से लोग अपने घरों में क़ैद होकर टीवी पर किसी फिल्म का लुत्फ़ उठा रहे होते हैं.
पांच साल तक सरकार को और नेताओं को कोसने वाले लोग जब अच्छे लोगों को चुनने का समय आता है तो तब जाकर वोट देने की बजाय अपने घरों में घुसकर आराम करते हैं.वोट न डालने वाले बुद्धजीविओं और पढेलिखे लोगों से बेहतर तो गांव के अनपढ़ और कम पढेलिखे लोग हैं जो मतदान का महत्व समझते हैं.केवल आधी आबादी के वोटों से चुनी गयी अस्थिर सरकारें आख़िर कैसे पूरे देश के बारे में और हर व्यक्ति के बारे में सोच सकती हैं?हम सब लोग अपने का प्रयोग नहीं करते हैं,इसीलिए देश में कई दलों की मिलीजुली अस्थिर,भ्रस्ट,सौदेबाजी वाली और अयोग्य सरकारें बनती और बिगड़तीं हैं.बिहार सहित देश के कई राज्यों में वोट देने के प्रति उदासीन रहने वाले जो लोग बर्बादी के रसातल में पहुँच गए थे,वो लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपनी और अपने प्रदेश की स्थिति सुधारने का काम खुद किये.
इस समय हमारे देश की जो ख़राब आर्थिक स्थिति है और भ्रस्टाचार में डूबी हुई प्रशासनिक व्यवस्था है,उससे हम सभी लोग वाकिफ हैं.इस समय हमारे देश को एक स्थिर और ईमानदारी से सुशासन करने वाली सरकार की जरुरत है.देश में चुनाव आयोग और कोई भी सरकार केवल चुनाव के आयोजन की व्यवस्था भर ही कर सकती है,पर वोट डालकर मताधिकार की व्यवस्था का सदुपयोग करना हमारा दायित्व है.हमारे देश में मतदान को अनिवार्य करने की व्यवस्था चल रही है,गंभीरता से ये विचार किया जा रहा है कि वोट न डालने वालों के सभी नागरिक अधिकार अगले पांच साल तक के लिए वापस ले लिया जाये,जिससे उन लोगों को यह समझ में आ जाये कि वोट देना कितना जरुरी है.यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि बिना किसी उचित कारण के वोट न देने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए.अनिवार्य मतदान का अर्थ है कि कानून के अनुसार किसी चुनाव में मतदाता को अपना मत देना या मतदान केन्द्र पर उपस्थित होना अनिवार्य है.यदि कोई वैध मतदाता,मतदान केन्द्र पहुंचकर अपना मत नही देता है तो उसे पहले से घोषित कुछ दण्ड का भागी बनाया जा सकता है.
कई देशों में ये नियम लागू है.जैसे स्विट्जरलैंड,बवेरिया,बुलगेरिया,बेल्जियम,आदि देशों ने अनिवार्य मतदान की व्यवस्था अपनाई है.बवेरिया की व्यवस्था के अनुसार यदि मतदाताओं की पूरी संख्या के एक तिहाई से अधिक लोग मतदान में भाग नहीं लेते तो अनुपस्थित मतदाताओं को पुन: चुनाव कराने का पूरा व्यय वहन करना पड़ता है.बेल्जियम ने अनुपस्थित मतदाताओं के लिये तीन दंड निर्धारित किए हैं जैसे-अंतर्विवेक पर अर्थ दंड,उनकी सार्वजनिक भर्त्सना तथा उनके मताधिकार पर रोक.हमारे देश में बिना किसी उचित कारण के वोट न डालने वालों को दंड दिए बिना शत-प्रतिशत मतदान संभव नहीं है.वोट न देने वालों पर सख्ती के साथ साथ चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के लिए कुछ अन्य उपाय भी करे,जैसे-ऑनलाइन वोट देने की व्यवस्था की जाये और सचल मतदाता केंद्र बनाये जाए,जहांपर आधार कार्ड यानि भारतीय नागरिगता कार्ड दिखाकर वोट देने की व्यवस्था की जाये.देश के सभी नागरिकों का यदि कम्प्यूराइज्ड डाटा तैयार कर लिया जाये तो देश में किसी भी तरह की फर्जी वोटिंग पूरी तरह से रुक जायेगी.ये तो भविष्य की बातें हैं,परन्तु फ़िलहाल अभी ये सब संभव नहीं है.अभी तो सिर्फ मतदाताओं को जागरूक ही किया जा सकता है.जागो मतदाता जागो.
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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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