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मुस्लिम भाई भाजपा को वोट देने के लिए विचार करें
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काबे में रहो या काशी में निस्बत तो उसी की ज़ात से है
तुम राम कहो या रहीम कहो मतलब तो उसी की ज़ात से है ।।
ये मस्जिद है वो बुतख़ाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
भई मक़सद तो है दिल को समझाना चाहे ये मानो चाहे वो मानो ।।
साहिर लुधियानवी साहब की लिखी हुई ये क़व्वाली मुझे बचपन से ही बहुत पसंद है.हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का मैं हमेशा से ही समर्थक रहा हूँ.वर्तमान समय में तो अनगिनत मुस्लिम परिवारों से मेरा परिचय हैं,परन्तु आज से कई वर्ष पहले जब मैं दिल्ली में एक कम्पनी में मैनेजर था तो मैंने बहुत से योग्य मुस्लिम युवकों को नौकरी दिलाने में बिना किसी भेदभाव के उसी प्रकार मदद की थी,जिस प्रकार से हिन्दू युवकों की किया था.
मेरी कम्पनी में काम करने वाले एक मुस्लिम युवक ने काफी समय तक मेरे लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया था.उसकी याद आज भी मेरे दिल में है.
मैंने हमेशा सबसे समवर्तिता का व्यवहार किया है.आज मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी समस्या यही है कि उनके साथ समवर्तिता यानि एक समान व्यवहार नेता नहीं कर रहे हैं.वो बहुत चालाकी से सिर्फ समदर्शिता की बात करते हैं कि हिन्दू-मुस्लिम एक समान हैं,परन्तु उनका मन छल कपट से भरा हुआ है और वो सत्ता पाने के लिए हमारे देश के मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक भर समझते हैं.
काशी सहित देश के कई भागों की मुस्लिम बस्तियों में मैं गया हूँ.वहांपर ऐसा नरकीय दृश्य मैंने देखा कि मेरी आँखों से आंसू छलक आये और उनकी कोई मदद न कर पाने की मज़बूरी में मेरा सिर शर्म से झुक गया.हिन्दुओं की ये सोच सही नहीं है कि देश के मुसलमान बहुत पैसे वाले है और बहुत ठाटबाट से रह रहे हैं.मुस्लिमों में बहुत कम लोग अमीर हैं.अगर मैं ईमानदारी से कहूँ तो मुस्लिमों में हिन्दुओं से ज्यादा गरीबी है.अधिकतर के रहन सहन का स्तर बहुत दयनीय है.
बहुत से गरीब परिवार के मुस्लिम घरों में न दरवाजा है न खिड़की..फटे हुए मैले कुचैले बोरे दरवाजे और खिड़कियों पर लटके हुए दिखाई देते हैं..गलियों में गंदगी भरी पड़ी है..उसी गंदगी के बीच रहते लोग और खेलते कहते बच्चे..सीवर का पानी टूटी-फूटी सड़क पर बह रहा है..उसी सीवर के गंदे पानी को हेलकर आते जाते लोग..इसी गन्दी बस्ती के बीच जीवन बिताने वाले ने जाने कितने बुनकरों ने गरीबी और भुखमरी से तंग आकर आत्महत्या कर लिया था..
हिन्दुओं की तरह से मुसलमान भी जाति-प्रथा की समस्या से जूझ रहे हैं.काफी समय पहले बहुत से हिन्दू जब मुसलमान बने थे,तब उन्होंने मुस्लिम धर्म को अपनाने के बाद भी अपनी जाति व्यवस्था को नहीं छोड़ा,बल्कि उसे जारी रखा.मुस्लिम समाज में धुनहा, अंसारी, दर्जी सैय्यद, कसाई, काजी, खटीक, नाई, शेख आदि बहुत से जातियाँ हैं.सैय्यद ऊँची जाति, कसाई नीची जाति तथा शेख जातियों का स्थान दोनों के बीच में है.हर जाती जाति का एक वंशानुगत व्यवसाय है.जातियों की उच्चता एवं निम्नता व्यवसाय की उच्चता एवं निम्नता के आधार पर तय होती है.
मुस्लिम वोट बैंक की बात जो बात कही जाति है,वो पूरी तरह से सही नहीं है,क्योंकि मुस्लिम समाज भी पूरी तरह से एकजुट नहीं है.मुस्लिम समाज में भी खानपान एवं सामाजिक व्यवस्था में जातीय आधार पर भेदभाव किया जाता है.बहुत सी उच्च जातियां निम्न जातियों से भोजन और वैवाहिक रिश्ता का व्यवहार नहीं रखती हैं.सभी मुस्लिम जातियां धर्म के मामले में कट्टर नहीं हैं.
मुस्लिमों में बहुत सी जातियां हिन्दू त्यौहारों को मानते हैं और हिन्दुओं के देवी-देवताओं को भी मानते हैं.हिन्दुओं की ये ग़लतफ़हमी है कि सभी मुस्लिम गौ-मांस भक्षक होते हैं किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है.धोषी और किंगरिया ये ऐसी मुस्लिम जातियां हैं जो न तो गौ-मांस खाते हैं और न गौ-मांस खाने वाली अन्य मुस्लिम जातियों से भोजन और वैवाहिक रिश्ता का व्यवहार ही रखते हैं.
मुस्लिम समाज को एकजुट होकर इस बात का चिंतन करना चाहिए कि आजादी के बाद से लेकर अबतक अधिकतर मुसलमानो की जो नरकीय रहन सहन वाली स्थिति है,शिक्षा,आर्थिक क्षेत्र और नौकरी में पिछड़ापन है,महिलाओं और बच्चो की ख़राब स्थिति है तथा इतनी ज्यादा गरीबी,बेरोजगारी और भूखमरी है,उसकी बजह क्या है..और उसके लिए जिम्मेदार कौन है..उनकी समस्याओं का निदान क्या है..इन सब सवालों पर देश के मुस्लिमों को अब गहराई से सोच विचार करना चाहिए.
मेरी समझ से मुस्लिमों की सारी समस्याओं के लिए इस देश की वोट बैंक की मतलबी राजनीति जिम्मेदार है.भारत के मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के तहत छले गए है.उन्हें ड्रामेबाज सेकुलर नेताओं से धोखा के सिवा और कुछ नहीं मिला है.देश के सभी मुस्लिम भाइयों से मेरी अपील है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में वो फिर से वोट बैंक की मतलबी राजनीति का शिकार न हो और इस बात पर विचार करें कि केंद्र में एक समवर्ती और स्थिर सरकार लाने के लिए एकजुट होकर भाजपा को क्यों न वोट दें..
देश के चहुंमुखी विकास के लिए और अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए उन्हें भाजपा और मोदीजी को समर्थन देना चाहये.मोदीजी को लेकर जो अफवाहें और काल्पनिक भय देश के मतलबी नेताओं ने देश के मुसलमानो के मन में पैदा किया है,उससे उन्हें बाहर निकलकर और निडर होकर मोदीजी को भारी बहुमत से केंद्र की सत्ता में लाना चाहिए ताकि उनकी बेहतरी और विकास के लिए वो सब कार्य हों जो आजादी के बाद से लेकर अबतक नहीं हुए हैं.अंत में हिन्दू और मुस्लिम सभी भाईयों को मेरा यही सन्देश है-
क्यों हम लड़ें एक ऐसी जंग
जिसमे न हिन्दू जीते और न ही मुसलमान !
और जिसमे हमेशा हारती रहें
रोती बिलखती इंसानियत और मरे इंसान !!
क्यों न हम बने ऐसे इंसान
ईश्वर और खुदा जिसके दिल में बसता हो !
देखकर दूसरों का दर्द
उसका आंसू हमारी आँखों से छलकता हो !!
!! जयहिंद !! !! वन्देमातरम !!
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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