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अपराधियों को संसद से बाहर करने का संकल्प शुभ है

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अपराधियों को संसद से बाहर करने का संकल्प शुभ है
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भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदीजी ने अपराधियों को संसद से बाहर करने का जो शुभ संकल्प लिया है,उसकी जितनी भी तारीफ की जाये वह कम है.मोदी ने हरदोई में आयोजित एक चुनाव रैली में कहा कि-“‘‘मैंने फैसला किया है कि १६ मई के बाद जब नई सरकार का गठन होगा, मैं यह पता लगाने के लिए एक समिति का गठन करूंगा कि किसके खिलाफ क्या मामला लंबित है.उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान अपने खिलाफ मामलों का ब्योरा देते हैं.मैं इसमें भेदभाव नहीं करूँगा.यदि भाजपा और राजग के उम्मीदवार भी हों तो मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा.’’
मोदीजी ने कहा कि वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधी जेल भेजे जाएं.साथ ही, उच्चतम न्यायालय से मामलों की सुनवाई तेजी से करने को कहा जाएगा.मोदी जी ने एक बहुत शुभ संकल्प लेते हुए आपराधिक छवि वाले सांसदों पर कार्रवाई करने का वादा किया ताकि देश की राजनीति और भारतीय संसद को अपराध मुक्त किया जा सके
राजनीति का अपराधीकरण कोई नई बीमारी नहीं है.आजादी के बाद जब भारत में संविधान लागू हुआ और लोकसभा और राज्यों के विधानसभा के चुनाव होने शुरू हुए,तभी से राजनीति का अपराधीकरण होना शुरू हो गया था.
उस समय बहुत से नेता चुनाव जीतने के लिए धनबल के साथ साथ अपराधियों के बाहुबल का भी सहारा लेते थे.अपराधी लोगों को डरा धमकाकर अपने किसी खास नेता के पक्ष में वोट डालने का दबाब बनाते थे.ये सिलसिला दशकों तक चलता रहा.उसके बाद अपराधियों ने नेताओं को समर्थन देने की बजाय खुद ही चुनाव लड़ना शुरू कर दिया और एक से बढ़कर एक अपराधी धनबल और बाहुबल से चुनाव जीतकर देश की लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में पहुँचने लगे.सत्ता में आने के बाद बहुतों ने अपनी राजनितिक पहुँच और ओहदे का दुरूपयोग करते हुए अपने को साफ पाक साबित कर दिया.अपराधी प्रवृति के नेता थोड़ा बहुत सभी दलों में हैं.
राजनितिक दल अपने फायदे के लिए और किसी भी तरीके से चुनाव जीतने के लिए आपराधिक इतिहास वाले और दागदार छवि वाले लोगों को चुनाव में टिकट दे देते हैं.यही वजह है कि संसद और विधानसभाओ में बड़ी संख्या में ऐसे लोग चुनाव जीतकर पहुँच रहे हैं,जिनका आपराधिक रिकार्ड थानो में दर्ज है.सभी राजनितिक दल अपने दल के अपराधी नेताओं को बचाने का यही बहाना देते हैं कि अभी उनका दोष सिद्ध नहीं हुआ है और उच्च न्यायलय द्वारा अंतिम निर्णय नहीं आया है.निर्वाचन आयोग ने सभी दलों के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि उन लोगो को चुनाव में उम्मीदवार न बनायें,जिनके खिलाफ ऐसे आरोपपत्र दायर हैं,जिसमे तीन वर्ष से अधिक की सजा हो सकती है.
अपराधी नेताओं का हर दल में बोलबाला हैं.कुछ समय पहले जब सुप्रीमकोर्ट ने अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए सांसदों और विधायकों को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था,तब राजनितिक दलों ने खूब हो हल्ला मचाया था और सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले को प्रभावहीन बनाने के लिए वो अध्यादेश लाना चाहते थे,परन्तु वो इसमें कामयाब नहीं हुए.
हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या यह हैं कि नेताओ के आपराधिक मामले कोर्ट में वर्षों तक चलते रहते हैं,जिसका फायदा उठाकर वो चुनाव जीतते हैं और संसद,विधायक और यहाँ तक कि मंत्री तक बनकर सत्ता का आनंद लेते रहते हैं.
देश में अब एक ऐसा कानून बनना चाहिए कि नेताओ के आपराधिक मामलों का निपटारा विशेष अदालतों द्वारा एक वर्ष के भीतर कर दिया जाये,ताकि अपराधी प्रवृति के लोग सत्ता के गलियारों तक पहुँच ही न सकें.लोकसभा चुनाव के बाद कौन प्रधानमंत्री बनेगा,यह तो आने वाला समय ही बताएगा,परन्तु भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदीजी ने अपराधियों को संसद से बाहर करने का जो शुभ संकल्प लिया है,उसका सभी राजनितिक दलों को और सारे देशवासियों को स्वागत और समर्थन करना चाहिए.!! जयहिंद !!
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)
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