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मोदीजी भारत के भावी प्रधानमन्त्री-विदेशी मिडिया
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रेडियो रूस के विशेषज्ञ और रूस के सामरिक अध्ययन संस्थान के एक विद्वान बरीस वलख़ोन्स्की रेडियो रूस पर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जी के नामांकन के बारे में कहते हैं-” नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को हिन्दुओं की पवित्र नगरी वाराणसी में अपना परचा भरा.वाराणसी में मतदान १२ मई को होगा.मोदी ने इस अवसर पर एक रोड शो भी किया.इस रोड शो में बड़ी संख्या में शामिल उनके समर्थकों को देखकर इसमें सन्देह की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई कि बनारस में मोदी की ही जीत होगी.”
ब्रितानियाई अख़बार ’डेली टेलिग्राफ़’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि-“पाकिस्तान के उच्चस्तरीय राजनयिकों ने बताया है कि उन्हें भारत में हो रहे संसदीय चुनाव में न केवल नरेन्द्र मोदी की जीत होने की आशा है, बल्कि वे यह भी मानते हैं कि दुपक्षीय समस्याओं पर व्यापक बातचीत करने के लिए भी मोदी बहुत अच्छे रहेंगे.” भारत की भावी सरकार विदेशनीति क्या होगी,इस बारे में अभी से ही पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी है.पाकिस्तान के साथ साथ अब दुनिया के अधिकतर देशों ने इस बात को स्वीकार लिया है कि मोदी भारत के भावी प्रधानमन्त्री बन सकते हैं.
रेडियो रूस के अनुसार-” समाचारपत्र ” डेली टेलिग्राफ़’ को पिछले महीने ही पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशनीति सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने यह बात बताई थी कि पाकिस्तान की सरकार नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने से चिन्तित नहीं है और सरताज अज़ीज़ को पाकिस्तान का विदेशमन्त्री माना जा सकता है क्योंकि पाकिस्तान में विदेश विभाग प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ के ही पास है.अब फिर पाकिस्तान के किन्हीं अज्ञात उच्चस्तरीय राजनयिकों ने अख़बार से यह बात कही है कि पाकिस्तान की नज़र में मोदी ही प्रधानमन्त्री पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं.
पाकिस्तानी राजनयिकों का तर्क सीधा-सा है कि मोदी एक ताक़तवर नेता हैं और वे विश्वसनीय ढंग से ऐसी बातचीत कर सकते हैं, जिसके बाद खाली घोषणाएँ नहीं होंगी, बल्कि दो देशों के बीच तनाव घटाने के लिए वास्तविक क़दम उठाना भी सम्भव होगा.
यही नहीं, विगत मार्च में ’डेली टेलिग्राफ़’ को इण्टरव्यू देते हुए सरताज अज़ीज़ ने वह पुराना अनुभव भी याद दिलाया था, जब भारतीय जनता पार्टी के ही प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ दो देशों के रिश्तों को बहुत ज़्यादा बेहतर करना सम्भव हुआ था.ये संयोग की बात है कि इस समय पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ हैं और भारत में फिर भाजपा की सरकार बनने की संभावना दिख रही है.
ऐसा लग रहा है कि मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद अपने पड़ोसियों के साथ भारत के भावी रिश्तों में जो सबसे बड़ा ख़तरा दिखाई दे रहा था, वह दूर हो गया है.आश्चर्य की बात तो यह है कि एक और तथ्य की तरफ़ ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसे लेकर न सिर्फ़ पश्चिम के प्रभावशाली क्षेत्र, बल्कि भारत में भी बड़ी बेचैनी बनी हुई है.चीन और पाकिस्तान दोनों ही मोदी को लेकर चिंतित हैं.चीन को ये भय है कि यदि मोदी सतत में आते हैं तो न सिर्फ भारतीय बाजारों पर उसकी पकड़ खत्म हो जाएगी बल्कि भारतीय सीमा में घुसपैठ करने पर उसे करारा जबाब भी मिलेगा.पाकिस्तान को चिंता है कि मोदी के सत्ता में आने पर यदि वो भारत की सीमा पर कोई हमला करता है या भारत में कोई भी आतंकी हरकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जबाब मिलेगा.
पश्चिम के कुछ निश्चित क्षेत्रों की भावनाओं को व्यक्त करने वाले अख़बार का यह विचार भी यही सिद्ध करता है कि आज नरेन्द्र मोदी वास्तव में भारत के सबसे ताक़तवर नेता हैं. लेकिन यदि भारत के पुराने दुश्मन पाकिस्तान के लिए मोदी की ताक़त इस बात में व्यक्त होती है कि उनके साथ विश्वसनीय बातचीत की जा सकती है तो पश्चिम के लिए मोदी के शासनकाल में भारत की स्वतन्त्र नीतियों का मतलब होगा कि कम से कम पाँच साल के लिए एशिया में पश्चिमी नीति के ’विश्वसनीय एजेण्ट’ के रूप में भारत से विदाई.भारत पश्चिमी देशो का पिछलग्गू बनकर नहीं रहेगा.
इस पृष्ठभूमि में भारत के उदार मीडिया द्वारा मतदाताओं के सामने मोदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास देखकर ज़रा भी आश्चर्य नहीं होता है.नरेन्द्र मोदी की पार्टी को राष्ट्रवादी और साम्प्रदायिक बताते हुए यह उदार मीडिया ख़ुद नरेन्द्र मोदी को नरसंहारक बताता है,लेकिन यदि कुल मिलाकर स्थिति पर नज़र डाली जाए तो हम देखते हैं कि सभी आरोपों के बावजूद सिर्फ़ नरेन्द्र मोदी ही ऐसे नेता हैं जो भारतीय समाज के धर्म-निरपेक्ष स्वरूप पर ज़ोर दे रहे हैं, जबकि काँग्रेस और उसका समर्थक मीडिया साम्प्रदायिक कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है.
हाल ही में एक भारतीय टेलीविजन चैनल पर बोलते हुए नरेन्द्र मोदी ने कार्यक्रम के संचालक को बुरी तरह से डाँटा था, जो यह कोशिश कर रहा था कि मोदी को ’हिन्दू राष्ट्रवादी’ बताया जाए.मोदी ने तब कहा था- मेरा यह मानना है कि सरकार का सिर्फ़ एक ही धर्म है और वह धर्म है भारत.सरकार के पास सिर्फ़ एक ही धार्मिक पुस्तक है, वह धार्मिक पुस्तक है संविधान और सरकार सिर्फ़ एक ही तरह की वफ़ादारी निभा सकती है, कि वह अपनी जनता के प्रति वफ़ादार हो.
चाहे कुछ भी हो, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रधानमन्त्री बनने की सम्भावना यही दिखाती है कि उनका उद्देश्य यह नहीं है कि आज अपने राजनीतिक विरोधियों पर जीत हासिल की जाए और फिर कल अपने पुराने दुश्मनों से समझौता किया जाए, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य तो यह है कि अपनी नकारात्मक छवि को तोड़ा जाए, जो उन लोगों ने बनाई है, जो उनके ख़िलाफ़ खुलकर नहीं बोलते, लेकिन इस बात की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं कि वास्तविक राजनीतिज्ञ की उनकी छवि को धूमिल किया जा सके.
(रेडियो रूस और ’डेली टेलिग्राफ़’ के सौजन्य से साभार)
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रिसर्च,संकलन और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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