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असम में हुई हिंसा के लिए वास्तव में दोषी कौन है

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असम में हुई हिंसा के लिए वास्तव में दोषी कौन है
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असम में हिंसा में अब तक मरने वालों की संख्या ३३ से भी अधिक है.हिंसाग्रस्त असम के बोडो-बहुल कई जिलों में दहशत का माहौल है.तीन जिलों में कर्फ्यू जारी है.गुरुवार रात को हिंसा भड़कने के बाद कोकराझार, बास्का और चिरांग जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया और स्थिति पर काबू पाने के लिए देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं.एक तरफ असम में इंसान मर रहे है और इंसानियत हिंसा की भेंट चढ़ रही है,वहीँ दूसरी तरफ असम में हुई हिंसा को लोकसभा चुनावों में भुनाने की होड़ मची हुई है.हमारे देश की छोटी बड़ी सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर हिंसा करवाने का आरोप लगा रही हैं.जहां एक तरफ सत्ता पक्ष और केंद्र सरकार इस हिंसा में विपक्षी पार्टी बीजेपी और उसके नेता नरेंद्र मोदी का हाथ होने की बात कर रही है वहीं,बीजेपी इस घटना को कानून-व्यवस्था की नाकामी बता राज्य और केंद्र सरकार को दोष दे रही है.
कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने असम में हुई हिंसा के लिए बीजेपी के पीएम पर के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया है.कपिल सिब्बल मुताबिक-“मोदी ने देश का माहौल खराब किया है.उसी का नतीजा है असम में हुई हिंसा.”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी नरेन्द्र मोदी पर असम में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया.बारामुला लोकसभा क्षेत्र के तंगमार्ग में चुनावी रैली में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि-“असम में 30 मुसलमानों की हत्या कर दी गयी है.क्योंकि भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने वहां एक भाषण दिया था और लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया था.तीन दिन पहले मोदी ने असम में अपनी रैली के दौरान राज्य में रहने वाले सभी मुसलमानों को बांग्लादेशी कहा था और इसी के परिणामस्वरूप उनपर हमले हुए हैं.”
असम में हुई हिंसा के लिए भाजपा ने केंद्र व् राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि दोनों जगहों की सरकारें हिंसा रोकने में विफल हुई हैं.भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में हिंसा के लिए असम की तरूण गोगोई एवं केंद्र की यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। रवि शंकर प्रसाद ने असम की तरूण गोगोई सरकार एवं केंद्र सरकार पर असम में कार्रवाई न करने का आरोप लगते हुए कहा कि-” वोटबैंक की राजनीति के कारण तरूण गोगोई सरकार क्षेत्र में हिंसा पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है.”असम में हुई हिंसा की निंदा करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि-“दोषियों को अवश्य पकडा जाना चाहिए.”साथ ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के उस आरोप को`आधारहीन बताया जिसमें सिब्बल ने कहा था कि असम में हिंसा नरेंद्र मोदी की वजह से फैली.
असम में हुई हिंसा के लिए वास्तव में कौन जिम्मेदार है,ये सच जानने के लिए ये कुछ बयान पढ़िए.असम के पुलिस महानिदेशक बिश्नोई कहते हैं कि इन हत्याओं के लिए नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का संगबिजित गुट ज़िम्मेदार है.
बोडोलैंड मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन (एबीएमएसयू) के महासचिव रकीबुल इस्लाम ने कहा, ”क्लिक करें बोडोलैंड क्षेत्र में 24 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. तब से ही मुसलमानों को बोडो संगठनों द्वारा धमकियां दी जा रही थीं.उनका मानना था कि मुसलमानों ने बोडो उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ वोटिंग की है.”
असम में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशी मुस्लिमो की संख्या लाखों में है.राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य में केवल 2.37 लाख अवैध प्रवासी हैं.जबकि बीजेपी और ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन के अनुसार असम में 30 लाख से लेकर 50 लाख तक बांग्लादेशी रह रहे हैं.साल 1985 में असम में बांग्लादेशी लोगों की मौजूदगी के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार २५ मार्च १९७१ के बाद असम में विदेश से आ कर बसने वाले सभी लोगों को उनके देश वापस भेज दिया जाएगा.बहुत अफ़सोस की बात है की वोट बैंक की राजनीती के चलते कांग्रेस ने इस पर आजतक अमल नहीं किया.न तो बांग्लादेशी मुसलमानो की पहचान की गई और न ही उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा गया.इसका नतीजा असम में अनेक बार हुई हिंसा ही नहीं है बल्कि असम में उठ रही अलग कार्बी आंगलांग और बोडोलैंड राज्यों की मांग भी है.जिसको लेकर कई संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया है.
कानून मंत्री कपिल सिब्बल,जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारुख अब्दुल्ला ये तीनो ही झूठ बोलने में माहिर हैं.इनके मन में मोदी का ऐसा खौफ छाया हुआ है कि रोज उनके खिलाफ कोई न कोई झूठा बयान देते हैं.सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने की खातिर जनता को हर रोज गुमराह करने की कोशिश करने वाले इन नेताओं में इतनी भी देशभक्ति नहीं है कि ये लोग कह सकें कि भारत में अवैध रूप से बसने वाले बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जाये,जो असम ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अशांति,हिंसा और उग्रवाद का कारण बनते जा रहे है.नरेंद्र मोदी के जीतने भी विरोधी नेता हैं,उनका छदम सेकुलरिज्म हिन्दुओं का विरोध करना और उन्हें अपराधी साबित करना भर रह गया है.इन लोगों ने महज वोट बैंक की राजनीति करने के लिए देश की हिन्दू मुस्लिम जनता के ह्रदय में भी एक दूसरे के प्रति अविश्वास,संदेह,भय और नफ़रत का बीज बो दिया है.वास्तव में ये लोग सेकुलर नहीं बल्कि सांप्रदायिक नेता हैं.हकीकत ये है कि हिन्दू मुस्लिम की बात न करके १२५ करोड़ भारतीयों के विकास की बात करने वाले नरेंद्र मोदी ही एकमात्र इस देश के सेकुलर नेता है.
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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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