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लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में हम भी भागीदार बने
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काशी में आज लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मनाया गया.वाराणसी लोकसभा सीट के लिए आज भारी मतदान हुआ.पूरी काशी आज पोलिंग बूथों पर उमड़ आई थी.चुनाव आयोग के लिए ये बहुत ख़ुशी की बात है और चुनाव में कम वोटिंग के लिए फेमस काशी के लिए बहुत गर्व की बात है.काशी में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का श्रेय मोदीजी को देना चाहिए,जिन्होंने मतदान से उदासीन रहने वाले अधिकतर मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग को मतदान केंद्र तक आने के लिए प्रेरित किया.मोदी का क्रेज बच्चे युवा और बुजुर्ग सभी में दिखा है.महिलाओं ने भी इस बार मोदीजी की वजह से मतदान में बड़े उत्साह से भाग लिया है.मैं और मेरी पत्नी भी मोदीजी से प्रभावित होकर वोट करने के लिए गए.
आज सुबह मैंने यज्ञ किया और ईश्वर से प्रार्थना किया कि हमारे देश में एक स्थिर और ईमानदार सरकार बने जो जो धर्म,जाति,लिंग,रंग और क्षेत्र आदि से सम्बंधित कोई भेदभाव न करके हमारे देश के १२५ करोड़ भारतियों के विकास के लिए काम करे.यज्ञ और प्रार्थना के बाद मैंने तीन घंटे तक फोन रिसीव करके मिलने के लिए आने वाले सभी लोगों को मना किया.आज चुनाव की वजह से मैंने किसी को भी मिलने का समय नहीं दिया था.मैं वोट डालने जाने के लिए तैयारी करने लगा.तभी पीले रंग की खूबसूरत साड़ी में लिपटी मेरी श्रीमतीजी मेरे सामने आ प्रकट हुईं-मैं वोट डालने जा रही हूँ..आप बिटिया को संभालिये..मेरे पीछे पड़ी है..कह रही है कि मुझे भी तैयार करो..मैं भी वोट डालने जाउंगी..टीवी पर देख सुन के कितने दिन से रट्टा लगा रही है-“अब की बार मोदी सरकार”..”अच्छे दिन आने वाले हैं”..देखिये अभी भी वही सब रट रही है..लीजिये संभालिये इसे..
बिटिया को मैं गोद में लेते हुए पूछा-आपकी तीन अंगुलियां काफी बुरी तरह से जलीं हुईं हैं..घाव और दर्द से आप परेशान हैं..कैसे वोट डालने जाएँगी..
हाँ..दर्द तो बहुत हो रहा है..परन्तु वोट डालने मैं जरूर जाउंगी..हमारे घर के सामने वाली दीदी साथ में जा रहीं हैं..कोई दिक्कत नहीं होगी..-मेरी श्रीमतीजी इतना कहकर गेट खोल चल दीं.मेरी बिटिया मेरी गोद में जाने के लियए उछलते कूदते हुए रोना चिल्लाना शुरू कर दी.मैं उसे कस के अपनी गोदी में पकड़ते हुए समझने लगा-बिटिया..अभी तो तुम अढ़ाई साल की भी नहीं हुई हो..जब बड़ी हो जाना और अठारह साल की हो जाना तब जरूर वोट डालने जाना..मेरी बिटिया मतदान करने वाली एक देशभक्त नागरिक बनेगी..
वो गेट की तरफ भागने की कोशिश करते हुए और जोर जोर से रोने लगी.मैं उसे लेकर उठ गया और इधर उधर घूमने लगा.रोशनदान पर बैठे देशी कबूतर के जोड़े को दिखाने लगा-देखो बिटिया उसकी चोंच कैसी टेढ़ी है..गेहूं का दाना लेकर कैसे खाती है..टिंग..टिंग..
वो हंसने लगी.तभी उसकी नजर शूस्टैंड पर रखी हुई नील रंग की अधजली छोटी सी मेज पर गई.वो मेज की तरफ हाथ दिखा रोते हुए बोली-मम्मी ने जला दिया..
कोई बात नहीं बेटा..मैं दूसरी मेज मंगवा दूंगा..लाल रंग की मेज चाहिए या नीले रंगकी..-बिटिया को पुचकारते हुए मैंने पूछा.
नीले रंग की..-वो मेज की तरफ हाथ दिखाते हुए बोली.
तीन दिन पहले उसकी ये छोटी सी प्यारी मेज आधी रात को उस समय धूं धूं करके आधी जल गई,जब घरमे बिजली चली गई थी और मेरी श्रीमतीजी उसपर मोमबत्ती जलाकर सो गईं थीं.जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा कि बिटिया की प्लास्टिक की मेज धूं धूं करके जल रही है.वो जलती हुई मेज को उठाकर नलके के नीचे ले जा रहीं थीं कि तभी उनकी तीन अंगुलियो पर मेज का जलता हुआ प्लास्टिक टपक गया.वो मेज को फैंककर मेरे पास भागते हुए आई.ठन्डे पानी में मैंने उनका हाथ डुबो दिया.होम्योपैथी की दवा कैन्थरिस लेकर अंगुली पर लगाया और उनकी जीभ पर उस दवा की कुछ बूंदे टपकाया.सुबह तक वो जलन और दर्द से परेशान रहीं.उनकी तीनों जाली हुई अँगुलियों पर फफोले निकल आये थे.सुबह होते ही मैंने फोन करके एक डॉक्टर को बुलाया और अच्छे ढंग से इलाज कराया.
लगभग दो घंटे बाद मेरी श्रीमतीजी वोट देकर आ गईं.आते ही बिटिया को अपनी गोद में लेते हुए बोलीं-जाईये..आप भी वोट डाल आईये..फिर बाद में बहुत भीड़ हो जाएगी..
मैं आपकी हिम्मत की दाद देता हूँ..जली हुई अँगुलियों में इतना तेज दर्द झेलते हुए भी वोट डालने गईं..आपको मेरा सलाम..-मैं बोला.
रहने दीजिये उसकी जरुरत नहीं..ये तो मेरा कर्तव्य था..बिटिया अब बड़ी हो रही है..मैं स्वयं वोट डालकर ही उसे ईमानदारी से शिक्षा दे सकूंगी कि बिटिया बड़ी होकर तुम भी वोट डालना..देखो मेरी अंगुली में लगी ये स्याही इस बात का प्रमाण है कि मैंने वोट डाला है..
मुझे पत्नी की बात बहुत अच्छी लगी.वो बहुत शिक्षित,सुसंस्कारी और समझदार हैं.मैंने हमेशा ईश्वर को धन्यवाद दिया है कि उसके मुझे बहुत विद्वान मित्र और पत्नी दिए.मैं इस मामले में बहुत सौभाग्यशाली हूँ.
मैं घर के अंदर से तैयार होकर आया और पडोसी की गाड़ी पर बैठकर मतदान करने के लिए चल पड़ा.सुबह के साढ़े ग्यारह बज रहे थे.हमारा मतदान केंद्र एक इंटर कालेज में था.जहाँ पर सुरक्षा के भारी इंतजाम थे और वहांपर जनता की बहुत भीड़ जुटी हुई थी,परन्तु मैंने भी दृढ निश्चय कर लिया था कि वोट देकर ही घर लौटूंगा.मतदान पर्ची और मतदान कार्ड हाथ में लेकर मैं भी लाईन में खड़ा हो गया.पोलिंगबूथ पर इतनी भीड़ मैं आज तक नहीं देखा था.
मेरे पीछे खड़े एक सज्जन बता रहे थे कि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय अपने कुर्ते पर कांग्रेस के चुनाव निशान पंजा का बैज लगाकर पोलिंगबूथ पर वोट देने गए थे,इसीलिए उनके खिलाफ कार्यवाही होगी.एक दूसरे सज्जन कह रहे थे कि आम आदमी पार्टी का एक नेता रुपया बांटते हुए पकड़ा गया है.एक तीसरे सज्जन कहने लगे-अरे भईया..ई केजरीवलवा बहुत से लईकन के पांच सौ रुपया रोज दे के आपने प्रचार करवलस ह..खूब रुपया चुनाव में लुटवलस ह..
एक अन्य सज्जन कमेंट करने लगे-केजरीवाल बड़ा सत्यवादी बनता है..लेकिन चुनाव प्रचार बाकायदे सेल्समैन रखके कराया है..मानो कोई प्रोडक्ट बेच रहा हो..
एक बुजुर्ग सज्जन बोले-बाबू अब चुनाव नेतवन क बिजनेस बन गईल बा..चुनाव में दो चार करोड़ रुपया फूंक के जीतअ..और फिर पांच साल खूब बिजनेस करअ..जनता के मूर्ख बनवले रहअ..जनता के एही घाम खड़ा करा के मुअावह..अउर अपने एसी में बईठअ..
इससे पहले कि उनकी और बाते मैं सुन पाता,मेरा मतदान कक्ष के भीतर जाने का नंबर आ गया.मतदान कक्ष के भीतर गया तो एक वृद्ध माताजी मतदान कर्मचारियों से पूछ रहीं थीं कि-कउन स बटन दबाईं..हमके त बुझाते नईखे..
एक मतदानकर्मी ने अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे दूर से ही उन्हें समझाया-दादी..अपनी पसंद क चुनाव निशान चुन के हरिअरका बटन दबा दअ.,
मैं सोचने लगा कि इनके जैसे न जाने कितने अनपढ़ या कम पढ़ेलिखे वृद्धों को ये दिक्कत हो रही होगी.चुनाव आयोग को मताधिकार का प्रयोग करने के प्रचार के साथ साथ ईवीएम मशीन का प्रयोग करना भी अनपढ़ या कम पढेलिखे लोगों को सिखाना चाहिए.मैंने कुछ और कमियां भी मतदान केंद्र पर देखी.ईवीएम मशीन को कागज के गत्ते से घेरा गया था,जबकि इसका बाकायदे एक बढियां स्टैंड होना चाहिए.वोटरों की लम्बी लाईन लगी होने पर मतदाता धूप में काफी देर तक खड़े रहते हैं.उन्हें ऐसी दिक्कत न हो इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए.अधिकतर मतदान केन्द्रों पर पीने का साफ पानी और साफ़सुथरे टॉयलेट की कोई व्यवस्था नहीं होती है.चुनाव आयोग को इस और ध्यान देना चाहिए.
एक मतदान कर्मचारी ने मेरे बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली के पीछे नाखून की तरफ स्याही लगाई और मुझे ईवीएम मशीन के पास भेज दिया.ईवीएम मशीन का बटन दबाते ही एक मधुर ध्वनि कमरे में गूंजी और मेरा वोट मशीन में दर्ज हो गया.मतदान वाले कमरे से बाहर निकला तो मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा था कि मैंने वोट डाला.अफ़सोस मुझे इस बात का था कि मेरी वृद्ध और बीमार माताजी चाहते हुए भी वोट डालने न आ सकीं.चुनाव आयोग को ऐसे वृद्धों के लिए सचल मतदान की व्यवस्था करनी चाहिए,जो घर जाकर वोट ले सकें.मतदान में भाग लेने वाले आश्रम के सभी अनुयायियों,मित्रों,परिचितों और रिश्तेदारों को बहुत बहुत धन्यवाद.!! जयहिंद !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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