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कैंसर से जूझती कंचन के लिए सबलोग दुआ कीजिये

सद्गुरुजी
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कैंसर से जूझती कंचन के लिए सबलोग दुआ कीजिये
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मोबाइल चार्जिंग पर लगा हुआ था और उसकी घंटी रह रहकर बहुत देर से बज रही थी.मिलने के लिए आये लोगों के बीच से मैं उठा और जाकर चार्जर से मोबाइल को अलग कर फोन रिसीव किया-हेलो..कौन..
प्रणाम गुरूजी..मैं कंचन(बदला हुआ नाम) बोल रही हूँ..-उधर से एक लड़की की आवाज आई.
कौन कंचन..-आवाज से मैं उसे पहचान नहीं पाया.
जी..मैं कंचन बोल रही हूँ..मुझे लंग कैंसर है..मैं आपके पास पहले अपने पिताजी के साथ और फिर अपने दोस्त संजीव के साथ आई थी..-उस लड़की की आवाज आई.
हाँ..कंचन..मुझे याद आ गया..अब तुम्हारी तबियत कैसी है..-मैंने पूछा.
जी..मुझे जल्द ही आपरेशन के लिए फिर मेदांता हॉस्पिटल जाना पड़ेगा..डेढ़ साल बाद मेरे लंग में फिर कैंसर की गांठ बन गई है..-इतना कहते कहते वो रो पड़ी.
कंचन..घबड़ाओ मत..तुम बहुत बहादुर लड़की हो..-मैं उसे समझाना चाहा.
मैं अब मरने से नहीं डरती हूँ..परन्तु जबतक मेरा जीवन है..मैं जीवन के हर पल को शांति और ख़ुशी के साथ भोगना चाहती हूँ..आज आप मेरे बारे में कोई फैसला कर दीजिये..आप जो फैसला करेंगे..मुझे स्वीकार होगा..मैं और संजीव(बदला हुआ नाम) इसी समय आपके पास आ रहे हैं..हमदोनों के पापा भी साथ में आ रहे हैं..-कंचन सुबकते हुए मोबाइल पर बोल रही थी.
आज फैसला करूँ..क्या तुम मुझे विचार करने के लिए थोड़ा और समय नहीं दे सकती हो..-मैं असमंजस में पड़ते हुए बोला.
नहीं गुरुदेव..आज अपना निर्णय बता दीजिये..हाँ या ना..हमलोग आ रहे हैं..-वो रोते हुए बोली और मोबाइल का कनेक्शन काट दी.
मोबाइल मेज पर रख मैं आश्रम के कमरे में आया और वहांपर बैठे लोंगो के दुखदर्द को सुना और उन्हें उनके कष्टों से छुटकारा पाने का सरल उपाय बताया.आधे घंटे में मैं सबको विदाकर खाली हो गया.
मैं आलमारी से एक फाइल निकालकर उसमे से कंचन और संजीव की जन्मकुंडली ढूंढने लगा.कुछ देर बाद दोनों की जन्मकुंडली मिल गई.मैं फाईल आलमारी में रखने लगा तभी गेट खुलने की आवाज आई.दरवाजे से बाहर झांककर देखा तो गेट खोलकर कंचन और संजीव गेट के भीतर आते दिखे.मैंने उनसे कहा-गेट अंदर से लगाकर आना..
मैं दोनों की कुंडली और पंचांग हाथ में लेकर अपनी गद्दी पर बैठ गया.थोड़ी ही देर में बैगनी कलर की सलवार कमीज और चुनरी में लिपटी कंचन कमरे के अंदर आकर मेरा अभिवादन की और अपने हाथ में ली मिठाई का डिब्बा मेरी गद्दी के पास रखी मेज पर रख मुस्कराते हुए मेरे सामने दरी पर बैठ गई.
मै एक नजर उसके गोरे सुन्दर चेहरे की तरफ देखा.कई वर्षों से लंग कैंसर की पीड़ा झेल रही उस लड़की के चेहरे पर की मुस्कुराहट थी और हंस के जीवन जीने की ललक थी.कीमो थेरेपी से इलाज चलने के कारण उस लड़की की सुन्दर आँखों के ऊपर के भवों के बाल उड़ गए थे और सिर के भी बाल उड़ गए थे,इसीलिए वो अपना सिर वो चुनरी से ढके हुए थी.उसका सुन्दर चेहरा अजीब सा लग रहा था.
कैसी हो कंचन..-मैंने उसके चेहरे से नजरे हटाते हुए पूछा.
जीवन मृत्यु से जूझ रहीं हूँ गुरुदेव..आपको याद करके बहुत शांति मिलती है..आज भोर में सपने में आपके दर्शन हुए..सुबह उठते ही मैंने प्रण कर लिया कि आज आपसे जरूर मिलूंगी..-कंचन बोली.
तुम्हारे साथ आये बाकी लोग कहाँ हैं..उन्हें बुलाकर लाओ..-मै बोला.
बाहर हाथ मुंह धो रहे होंगे..सबको पान और गुटका खाने की गन्दी आदत है..-कंचन ये कहते हुए कमरे के बाहर चली गई.थोड़ी देर में सबलोग कमरे में आये और अभिवादन कर मेरे सामने बैठ गए.
कैसर से पीड़ित इस लड़की की हालत आप लोग देख रहे हैं..फिर भी गुटका और पान आपलोग खा रहे हैं..जिस आश्रम में इन सब चीजों का सेवन करके आना सख्त मना है..वहां भी आपलोग पान और गुटका खा के आते हैं..कल आश्रम का बाथरूम साफ करवाते हुए मै देखा कि वहांपर गुटका के रेपर और पान की पीक के निशान पड़े हुए थे..शर्म आनी चाहिए आपलोगो को.. -सबसे पहले मैंने सबको डांटा.
सब सिर झुका चुप रहे.कोई कुछ बोला नहीं.सब अपनी गलती महसूस कर रहे थे.उन्हें और शर्मिंदा न करते हुए मैंने उस विषय को वहीँ खत्म कर दिया.कंचन सिर झुका मुस्कुरा रही थी.
कंचन..तुम्हे मालूम है कि तुम कैंसर से पीड़ित हो और तुम्हारा जीवन खतरे में है..फिर भी तुमने इस लड़के से विवाह करने का निर्णय लिया है..तुमने अच्छी तरह से सोच समझ लिया है न..-मैंने कंचन से पूछा.
कंचन मेरी तरफ देखते हुए दृढ स्वर में बोली-हाँ गुरुदेव..मैंने अच्छी तरह से सोच समझ के ही संजीव से शादी करने का फैसला किया है..इसने पिछले चार साल में मेरे हर सुखदुःख में साथ दिया है..मेदांता हॉस्पिटल में पिछले कई सालों से कैंसर से जूझने की जो लड़ाई मैं लड़ रही हूँ..इसने उस संघर्ष में रातदिन मेरा साथ दिया है..इसीलिए मैंने इससे विवाह करने का फैसला किया है..परन्तु आपका फैसला मेरे लिए सर्वोपरि है..यदि आप मना कर देंगे तो मैं इससे विवाह नहीं करुँगी..जो मेरे लिए हितकर हो आप बताइये…इतना बोलते बोलते उसकी आँखे भर आईं.
मैंने संजीव की तरफ देखते हुए पूछा-संजीव..तुम जानते हो कि इसके लंग कैंसर की गांठ का दुबारा आपरेशन होने जा रहा है..और इसका जीवन खतरे में है..तुम ये भी जानते हो कि कंचन से विवाह करके तुम्हे परेशानियों और दुःख के सिवा कुछ नहीं मिलने वाला है..फिर भी तुम क्यों इससे क्यों विवाह करना चाहते हो..
संजीव कंचन की तरफ एक नजर डाल बोला-सर..मैं इससे बहुत प्रेम करता हूँ..मैंने इसे बहुत नजदीक से देखा है..कैंसर जैसे जानलेवा रोग से इसने बहुत बहादुरी से संघर्ष किया है..मैं जीवनभर इसकी बहादुरी को नहीं भूलूंगा..सर मेदांता हॉस्पिटल में जब इसे कीमो थेरेपी दी जाती है तो नर्से सलाईन चढाने के लिए जब इसके हाथ में नस ढूंढती है तो सुई से न जाने कितनी नसे कौंच डालती हैं..इसके हाथ से खून निकलता है परन्तु आँखों से आंसू नहीं..दर्द से उफ़ तक नहीं करती है..सर ये बहुत साहसी और महान लड़की है..पहले आपरेशन के बाद बीकॉम सेकेण्ड ईयर के एग्जाम्स जब ये दी थी तो इसकी कमर में एक थैली बंधी थी..जिसमे एक नली के माध्यम से इसके लंग से निकलने वाला मवाद गिर रहा था..सर मैंने ऐसी साहसी लड़की और कोई दूसरी नहीं देखी..मुझे गर्व है कि मैं इसका दोस्त हूँ..सर मैं इसके रोग के बारे में सबकुछ जानते हुए भी इससे विवाह करना चाहता हूँ..इसका जो भी जीवन शेष है..उसे मैं अपने प्यार और सेवा से भरना चाहता हूँ..संजीव की आँखों से आंसू बहने लगे.वो सिर झुकाकर सिसकने लगा.
उसकी बात सुनकर मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ने लगी.मैं सोचने लगा कि-ये दोनों ही एक दूसरे के प्रति समर्पित और महान हैं..मैं सौभाग्यशाली हूँ..आज कितने दिनों के बाद ऐसे सच्चे प्रेमियों के दर्शन कर रहा हूँ..ऐसे प्रेमियों की चरणरज से मेरा आश्रम पवित्र हो रहा है..परन्तु दोनों की जन्म कुंडलियों से जो निष्कर्ष निकलता है..वो इनका दिल तोड़नेवाला है..उसके अनुसार तो बहुत कम गुण बनता है..और संजीव मंगला भी है..ज्योतिष के अनुसार तो दोनों का विवाहयोग बनता ही नहीं है..मैं कुछ देर के लिए असमंजस में पड़ गया.
कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने एक नजर दोनों प्रीमियों पर डाली और फिर संजीव के पिताजी की तरफ देखते हुए पूछा-आपलोग इस शादी के लिए तैयार हैं..
वो हाथ जोड़ बोले-बाबाजी..ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से अगर इन दोनों के विवाह का योग बनता हो तो जरूर विवाह होगा..इनके विवाह का फैसला तो आप ही को करना है..
मैंने एक गहरी साँस लेते हुए कंचन के पिताजी से पूछा-आप इस शादी के लिए तैयार हैं..
वो मेरी तरफ देखते हुए बोले-गुरूजी..मैं तो आपसे ये तीसरी बार मिल रहा हूँ..परन्तु मेरे जो रिश्तेदार मुझे आपके पास ले के आये थे..उनका तो पूरा परिवार आपको भगवान मानता है..मैं भी उसी भाव से आपके पास आया हूँ..आप जो भी आदेश देंगे..मैं मान लूंगा..
मैं भगवान नहीं हूँ..उसका एक छोटा सा भक्त हूँ..इतना कहकर मैं आँखे बंदकर सोचने लगा.
मैं अजीब दुविधा में फंसा हुआ था.एक तरफ ज्योतिष और ग्रह नक्षत्र तो दूसरी तरफ एक दूसरे से अटूट प्रेम करने वाले दो प्रेमी.किसका पक्ष लूँ..मेरे लिए ये फैसला करना बहुत मुश्किल काम था.
तुम्हारा बीकॉम फ़ाइनल का एग्जाम्स हो गया..-मैंने कंचन से पूछा.
हाँ गुरुदेव..इसका भी बीकॉम फ़ाइनल का एग्जाम्स हो गया है..कंचन बोली.
दुबारा ऑपरेशन के लिए मेदांता हॉस्पिटल कब जाना है..-मैंने पूछा.
जी..अगले महीने जून के आखिर में..-कंचन बोली.
मैं कुछ क्षण ईश्वर को याद किया और फिर हाथ में पंचांग लेकर उसे खोलकर विवाह मुहूर्त देखा.कंचन और संजीव के पिताजी की तरफ देखते हुए बोला-छह जून को इन दोनों का विवाह किसी मंदिर में कर दीजिये..
मेरी बात सुनकर कंचन और संजीव के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे.कंचन के पिताजी भी खुश थे.
जैसी आपकी आज्ञा..पर दोनों के गुण और ग्रह नक्षत्र तो मिल रहे हैं न ..-संजीव के पिताजी बोले.
हाँ..सबकुछ ठीक है..-एक गहरी साँस खींचते हुए मैं बोला.मैं अपने पास वाली मेज पर पड़ा मिठाई का डिब्बा लेकर उसे खोला और कंचन की तरफ बढ़ाते हुए बोला-आप सब को बहुत बहुत बधाई..लो कंचन ये मिठाई सबको बाँट दो..
कंचन ख़ुशी से चहकते हुए उठ खड़ी हुई और मिठाई का डिब्बा अपने हाथ में ले मेरे नजदीक कर दी-पहले गुरुदेव आप लीजिये..
थोड़ा सा बर्फी का टुकड़ा मैंने लेकर मुंह में डाल लिया.कंचन सबको मिठाई बाँटने लगी.वो कमरे के बाहर जाकर मिठाई बाटने लगी.सबलोग पानी पिए और फिर मेरे पास आकर बैठ गए.बाहर कुछ और लोग भी मिलने के लिए आये हुए थे.इसीलिए मैंने कहा-अब आपलोग जाइये..और शादी की तैयारी कीजिये..
गुरूजी..इन बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए अगर आप छह जून को मंदिर में आ जाते तो आपकी अनन्य कृपा होती..-कंचन के पिताजी खड़े होते हुए हाथ जोड़ बोले.
ठीक है..मैं आ जाऊंगा..उसदिन सुबह फोन कर देना..और किसी को भेज देना..मैं बोला.
गुरुदेव मैं स्वयं आपको लेने आऊंगा..-संजीव ख़ुशी से बोला.
सब अभिवादन कर जाने लगे.तभी कंचन मेरे नजदीक आ मेरे पांव छू ली और बोली-गुरुदेव मुझे क्षमा कीजियेगा..आपका पैर छूकर मैं आश्रम का नियम तोड़ी हूँ..परन्तु मैं क्या करूँ..मेरा मन नहीं माना..मेरा मन कह रहा है कि आपको छूकर मैं ठीक हो जाउंगी..आपके पास आकर मुझे असीम शांति मिली और जीवन जीने का सही रास्ता भी मिला..-वो अपनी आँखे पोंछते हुए बोली.
अपने मन में धैर्य और शांति बनाये रखना..कई बार जीवन में चमत्कार भी होता है..ईश्वर करें कि तुम्हारे साथ भी ऐसा ही हो..तुम्हारी जब इच्छा हो मेरे पास आ जाना..मैं तुम्हारे लिए दुआ करूँगा..अब तुम जाओ..-मैं रुंधे स्वर में बोला.
जीवन में कभी कभी सच और झूठ का साथ देने में असमंजस की अजीब स्थिति आ जाती है.मैंने दो प्रेमियों का साथ देना उचित समझा.मैं जानता हूँ कि वो दो तीन वर्ष से ज्यादा जीवित नहीं रहेगी.वो दो तीन वर्ष उसके लिए बेहद कष्टप्रद हैं.उस कष्टप्रद जीवन में संजीव का निच्छल प्रेम ही उसके लिए संजीवनी का काम करेगा.वही उसके मन में जीवन जीने की चाह बनाये रखेगा और वही उसके कष्टमय जीवन में कुछ खुशियां प्रदान करेगा.कैसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रही कंचन के लिए आप सब लोग दुआ कीजिये.आप लोगों की दुआ और इस फ़क़ीर की दुआ उसे स्वस्थ करे और उसका दुखमय जीवन सुखमय हो जाये.उसका दर्दमय जीवन खुशियों से भर जाये.
उनके गेट से बाहर जाने के बाद मैंने अपने कम्प्यूटर से निकाली हुई कंचन और संजीव की कुंडली फाड़ के गद्दी के नीचे फेंक दी.मेरे लिए ज्योतिष और ग्रह नक्षत्रों से भी महत्वपूर्ण उनका सच्चा प्रेम था.अपनी आँखे पोंछते हुए मैंने बाहर बैठे लोंगो को आवाज दी-हाँ..आपलोग अंदर आ जाइये..
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