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प्रभु प्रार्थना करने की सही विधि क्या है-जंक्शन फोरम

सद्गुरुजी
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प्रभु प्रार्थना करने की सही विधि क्या है-जंक्शन फोरम
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अक्सर धर्मगुरु लोग अपने अनुयायी बढ़ाने के लिए अपने धर्म के पूजा पाठ की प्रशंसा और अन्य धर्म के पूजा पाठ की निंदा करते हैं.ईश्वर का सानिध्य और शक्ति प्रेम और भक्ति से मिटी है न कि रटे रटाये प्रार्थना का उच्चारण करने से.इस सम्बन्ध में एक बहुत सुन्दर लघुकथा है.एक आदिवासी इलाके के तीन भोले भाले साधु प्रार्थना और भक्ति के नाम पर बस यही रटते रहते थे-हे प्रभु..हम तीन हैं..तुम तीन हो..हमपर दया करो..वर्षों पहले किसी संत ने उन्हें ये प्रार्थना सिखाई थी.वो तीनो साधु अपने क्षेत्र में प्रसिद्द थे.वे प्रार्थना की मग्नावस्था में रहते थे तो अक्सर उनके इर्दगिर्द अक्सर अद्भुद चमत्कार हो जाते थे.उन साधुओं की भक्तिमय दिनचर्या अपने ढंग से जारी थी.
एक दिन उनके इलाके में अपने धर्म का प्रचार करने के लिए एक पादरी आया.उसने उन तीनो साधुओं की प्रार्थना को सुना तो उनकी प्रार्थना विधि को गलत बताया और उन्हें अपने धर्म के शस्त्रीय विधिविधान के अनुसार सही प्रार्थना करना सिखाया.साधुओं ने पूरे मन से सीखा.उन्हें सही प्रार्थना करना सीखा पादरी नौका पर बैठ वहां से रवाना हो गया.जब नौका नदी के मध्य पहुंची तो पादरी ने अचानक देखा कि वो तीनो साधु एक दूसरे का हाथ पकड़कर पानी पर तेजी से दौड़ते हुए उसकी तरफ चले आ रहे हैं.
वे करीब आ जोर से चिल्लाते हुए बोले-पादरी जी..हमलोग आपकी सिखाई हुई प्रार्थनाएं भूल गए हैं..हमें फिर से सीखा दीजिये..
पादरी ने आश्चर्य से उन्हें निहारते हुए कहा-भक्तों..आपकी भक्ति को पहचानने में मुझसे गलती हुई है..आपलोग जो प्रार्थना कर रहे थे..वही सही है..आपलोग अपनी पहलेवाली प्रार्थना को ही जारी रखिये..मैं अज्ञानी हूँ..जो आपलोगों की अदभुद भक्ति को पहचान नहीं पाया..
वो तीनो साधु अपने क्षेत्र में लौट गए और अपनी पहलेवाली प्रार्थना करने लग-हे प्रभु..हम तीन हैं..तुम तीन हो..हमपर दया करो..
जबरदस्ती अपने मत या धर्म का प्रचार करने वालों को मैं उस पादरी की तरह अज्ञानी मानता हूँ.भगवान श्रीकृष्ण की ये बात मुझे प्रिय लगती है कि अपने धर्म में जन्म और मृत्यु दोनों श्रेयस्कर है.दूसरे के धर्म को अपनाने की बात भी वही व्यक्ति सोचना है जो अपने धर्म की अच्छाइयों से परिचित नहीं है और दूसरे के धर्म की निंदा भी वही करता है जो अपने धर्म को भली भांति जानता ही नहीं है.
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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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