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रेल किराये में भारी बढ़ोतरी करने के फैसले का विरोध
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मोदी सरकार ८ जुलाई को रेल बजट पेश करेगी,लेकिन सरकार ने उससे पहले ही किरायों में भारी बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है.मिडिया से प्राप्त समाचारों के अनुसार केंद्र सरकार रेल किराये में भारी बढ़ोतरी करने जा रही है.रेल किराया १४.२ प्रतिशत तक बढ़ सकता है और माल भाड़े में भी ६.५ प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जा सकती है.प्राप्त समाचारों के अनुसार बेसिक किराये में १० प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी,जबकि ४.२ प्रतिशत फ्यूल अजस्टमेंट कॉस्ट है.ये बढ़ाये जाने वाले दाम 25 जून से लागू हो सकते हैं.जो लोग बहुत पहले से ही २५ जून या उससे आगे का रेल टिकट कटा चुके हैं,उन्हें भी बढ़ा हुआ किराया यात्रा करते वक्त टीटीई को देना होगा.
कई वर्षों के बाद रेल भाड़े में इतनी भारी बढ़ोतरी की जा रही है.इस बढ़ोतरी को २५ जून से लागू कर दिए जाने पर दिल्ली से मुंबई का स्लीपर क्लास का जो किराया अब तक ५५५ रुपये था,अब ७७ रूपये बढ़कर लगभग ६३२ रुपये हो जाएगा.दिल्ली से मुंबई का एसी-२ का किराया जो २४९५ रुपये है,वो अब ३५४ रूपये बढ़कर २८४९ रुपये हो जायेगा और एसी थ्री का किराया जो अभी १८१५ रुपये है,वो २५८ बढ़कर २०७३ रुपये हो जाएगा.इसी तरह से मालभाड़े में भी अभी जो किराया लागू है,उसमे ६.५ प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी.इससे निश्चय ही मंगाई बढ़ेगी और सभी आवश्यकं वस्तुओं के दामों में कुछ वृद्धि जरूर होगी.
देशभर में सरकार के इस कड़वे फैसले का विरोध शुरू हो गया है.कोई नेता रेल रोक रहा है,तो कोई पीएम और रेलमंत्री का पुतला फूंक रहा है.कई नेता मिडिया को बुलाकर बयानबाजी भी कर रहे हैं.रेल किराये बढ़ाने का फैसला पिछली कांगेस सरकार ने अंतरिम बजट में ही ले लिया था,लेकिन तब उन्होंने इसे लागू नहीं किया था.अब कांग्रेस के नेता अपने ही लिए हुए फैसले का विरोध कर रहे हैं.
कांग्रेस के नेता संजय निरुपम कहते हैं कि-“अच्छे दिनों के नाम पर जनादेश हासिल करने वाली सरकार के इस कदम की हम निंदा करते हैं.तेल जैसी जो चीजें आपके नियंत्रण में नहीं हैं,उन पर आप कुछ नहीं कर सकते,लेकिन रेल भाड़ा नहीं बढ़ाना आपके नियंत्रण में है तो इससे बचा जा सकता है.सरकार वादाखिलाफी कर रही है.”
सीपीएम के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि-” नई सरकार के आने से नीतियों में भी बदलाव आना चाहिए,अगर कोई गलत फैसला पिछली सरकार ने लिया है तो उसे बदलना ही नई सरकार का काम है.”
मोदी सरकार का ये फैसला किसी भी दृष्टि से गलत नहीं है.समय के साथ साथ हर वस्तु और हर सेवा के दाम में बढ़ोतरी हो रही है.नुकसान सहकर रेलवे को चलाना मूर्खता है.इससे अच्छा तो ये है कि रेलवे को निजी हाथों में सौप दिया जाये.निजी क्षेत्र की कोई भी कम्पनी घाटे का काम नहीं करती है.यही प्रक्रिया सरकार को भी सरकारी उपक्रमों के साथ अपनानी चाहिए.प्रधानमंत्री जी को मेरा सुझाव है कि रेलवे में टिकट काटने और टिकट चेक करने की व्यवस्था निजी क्षेत्रों को सौप दी जाये तो रेलवे की आमदनी में निश्चित रूप से भारी वृद्धि हो जाएगी.
जो लोग गरीबों और किसानो की पैरवी करते हुए रेलभाड़े में वृद्धि का विरोध कर रहे हैं,वो लोग तब क्यों चुप रहते हैं जब हर साल गरीब किसान गन्ना,धान,गेहूं और अन्य फसलों की सरकारी खरीद मूल्य बढ़ाये जाने के लिए मांग और उग्र आंदोलन करते हैं,जबकि फसलों की सरकारी खरीद मूल्य बढ़ाये जाने से मंहगाई में हर साल काफी वृद्धि हो जाती है.रेलभाड़े में हुई वृद्धि का विरोध करने वालों को इस तथ्य की ओर भी जरूर ध्यान देना चाहिए.
जो लोग कह रहे हैं कि रेलभाड़ा बढ़ने से अब गरीब ट्रेनों में कैसे सफर करेगा ? उनके अज्ञानपूर्ण सवाल का सही जबाब पाना हो तो किसी भी रेलवे स्टेशन पर जाकर ट्रेनों में होने वाली भीड़ देख लीजिये.कई ट्रेनों में तो बाथरूम जाने और कुछ में तो पैर रखने तक की जगह आपको नहीं मिलेगी.अधिकतर रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का भारी अभाव है,यहाँतक कि पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है..केंद्र सरकार से मेरा अनुरोध है कि रेल भाड़े में वृद्धि को वापस न ले.वो रेल भाड़े में वृद्धि से होने वाली आमदनी से भीड़भाड़ वाले रूटों पर नई ट्रेने चलाये तथा यात्रियों के लिए जरुरी सुख सुविधाओं में और वृद्धि की जाये.यात्रा के दौरान समुचित ढंग से उनकी सुरक्षा और देखभाल की जाये.!!जयहिंद !! !! वन्देमातरम !!
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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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