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पूरे संसार में बढ़ते हुए सेक्शुअल वॉयलेंस का मूल कारण
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बलात्कार की घटनायें पूरी दुनियाभर में हर क्षण कहीं न कहीं घट रही हैं.कुछ घटनाएं ही संज्ञान में आ पाती हैं,जबकि अधिकतर घटनाएं तो धन,बल या छल से दबा दी जाती हैं.भ्रष्ट सरकारी तंत्र,निष्क्रिय पुलिस और धीमी गति से चलने वाली सुस्त न्याय व्यवस्था की खामियां कई देशों में है.इस लेख में मूल रूप से मई इस बात पर चर्चा करना चाहूंगा कि बलात्कार या सेक्शुअल वॉयलेंस का मूल कारण क्या है ? सबसे बड़ा कारण मुझे ये समझ में आता है कि दुनिया के अधिकतर देशों में संस्कारहीन भोगवादी संस्कृति का उदय हो रहा है,जो नारी देह को मात्र भोग की वस्तु समझते हैं.वो ये बात नहीं समझते और समझना भी नहीं चाहते हैं कि नारी इंसान पहले है और देह बाद में.हर स्त्री का एक मानसिक और भावनात्मक संसार है,जिसे बलात्कार कर नष्ट करने का अधिकार किसी को भी नहीं है.कोई ऐसा करता है तो वो दंडनीय अपराधी है.उसे उसके किये हुए कुकर्मों की सजा निश्चय ही मिलनी चाहिए.
बलात्कारी किसी दूसरी दुनिया के लोग नहीं होते हैं,वो भी इसी इसी दुनिया के और हमारे समाज के हिस्से हैं.वो भी हमारी तरह ही दीखते हैं और चलते फिरते हैं.कई बार तो वो हमारे पडोसी या घर के ही सदस्य होते हैं.वे रेप जैसी अमानवीय और घिनौनी हरकत क्यों करते हैं ? ये सारी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी समस्या और विचारणीय मुद्दा बना हुआ है.इस विषय पर कई देशों के मनोवैज्ञानिक गहन रिसर्च कर रहे हैं.उन्होंने रेपिस्टों के दिमाग की सोच और उस सोच को रेप के अंजाम तक पहुँचाने की पूरी प्रक्रिया का बहुत बारीकी से अध्ययन किया.अपने रिसर्च में उन्होंने पाया कि रेपिस्ट समाज के सभ्य लोंगो की तरह से न तो सोचते हैं और न ही महसूस करते हैं.लोंगो की ऐसी धारणा हैं कि परुषों की अनियंत्रित कामेच्छा और महिलाओं के द्वारा पहने जाने वाली भड़काऊ पोशाक बढ़ती हुई बलात्कार की घटनाओं की मूल वजह है.
साइकॉलजिस्ट इस धारणा को पूर्णत: गलत मानते हैं.काफी समय पहले कनाडा में लोंगो की इसी धारणा पर रिसर्च किया गया था.रिसर्च के दौरान कुछ रेपिस्ट और कुछ सामान्य लोंगो को एक कमरे में बैठाकर प्रोजेक्टर से पर्दे पर स्त्री पुरुष की सहमति से होने वाले सेक्स सीन दिखाए गए.सामान्य लोग उत्तेजित हुए,जबकि रेपिस्टों को कोई उत्तेजना महसूस नहीं हुई.कुछ देर बाद बलात्कार वाली एक फिल्म पर्दे पर दिखाई गई,जिसमे एक पुरुष एक महिला के साथ रेप की कोशिश कर रहा था और वो दर्द और परेशानी से बुरी तरह से तड़फ रही थी.इस सेक्शुअल वॉयलेंस वाली फिल्म को देखकर सामान्य लोग न सिर्फ दुखी हुए बल्कि उनकी उत्तजना भी गायब हो गई,जबकि रेपिस्टों के चेहरे पर क्रूर मुस्कान थी और वे अब पूरी तरह से उत्तेजित थे.इस रिसर्च से ये प्रमाणित हो गया कि रेपिस्टों की की एक अलग तरह की पर्सनैलिटी होती है.
रेपिस्टों के भीतर सेक्स करने की सामान्य और सहज प्राकृतिक इच्छा नहीं होती है.उनकी तो सेक्स के माध्यम से किसी महिला पर हावी होने और उसे कष्ट में तपड़ते देखने की चाह होती है.उनकी ये पर्सनैलिटी कई वरसों में डेवलप होती है और इसके कारण बहुत होते हैं.इनकी मित्रमंडली भी इन्ही के जैसे सोच वाली होती है.ये लोग रेप वाली क्रूर व् अश्लील फिल्मे देखते हैं और वही सब करने के लिए बकायदे प्लानिंग बनाते हैं.यही वजह है कि ये लोग अक्सर ग्रुप के साथ सेक्शुअल वॉयलेंस की घटनाओं को अंजाम देते हैं.महिलाओं के प्रति इनके मन में अनादर का भाव रहता है.उसे ये लोग महज भोग की वास्तु समझते हैं.ये लोग महिलाओं को इंसान नहीं बल्कि सिर्फ सेक्स ऑब्जेक्ट समझते हैं.पीड़ित महिला के प्रति उनके मन में कोई संवेदना नहीं होती है.उन्हें तो उस महिला को कष्टपूर्ण हालत में देखकर,उसे चीखते-चिल्लाते हुए देखकर बहुत आनंद मिलता है.दुनिया के सारी बलात्कारी किसी न किसी रूप में मनोविकृत प्रवृति के जरूर होते हैं.
महिलाओं पर इनकी हावी होने की प्रवृति होती है.रेप के माध्यम से उसे यह जताने की कोशिश करते हैं कि तुम्हारी कोई औकात नहीं है,तुम बेहद कमजोर हो,हम तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकते हैं,और बार बार कर सकते हैं.इन्हे अपने कुकर्मों का कोई पछतावा नहीं होता है.ये बार बार वही कुकर्म करते हैं,जबतक कि पकडे नहीं जाते हैं.बलात्कारियों में ये अहम भाव रहता है कि उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है.रेपिस्ट अपने इस घिनौने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए विभन्न तरह के नशे का सेवन भी करते हैं.दुनिया के लगभग सभी देशों में रेपिस्टों को कड़ी से कड़ी सजा इसीलिए दी जाती है कि किसी महिला को क्रूर दर्द देने वाले को दर्द का अहसास हो.परन्तु फिर भी बलात्कार की घटनाएं थम नहीं रही हैं.ये तभी थमेगी जब आप और हम मिलकर अपने-अपने घरों में ढूंढेंगे कि हमारे घर में कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं है ? यदि है तो उसपर रहम मत करें,बल्कि उसे उसके कुकर्मों की सजा देने के लिए कानून के हवाले कर दें.!! वन्देमातरम !!
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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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