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भारत पूरे विश्व में एक महाशक्ति बनके उभरे-१५ अगस्त

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भारत पूरे विश्व में एक महाशक्ति बनके उभरे-१५ अगस्त
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आजादी से पहले न हमारा कोई संविधान था
न राष्ट्रीय ध्वज.न ही कोई राष्ट्रीय गान था !
झेल रहे थे हमलोग पराधीनता का अभिशाप
विश्व में कोई हमारी इज्जत नहीं करता था !
परतंत्रता की स्याह काली रात्रि समाप्त हुई
आजादी के मतवालों का खून जब रंग लाया !
सदियों बाद स्वतंत्रता का नव प्रभात निकला
भारत में पंद्रह अगस्त का पावन दिन आया !

भारतीय जनमानस के लिए मंगलमय दिन
भारत के इतिहास में दर्ज एक स्वर्णिम दिन !

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स्वतंत्रता बनी विश्व में भारत की पहचान
विश्व में मिसाल बन गया हमारा संविधान !
देशवासियों को मिला समानता का अधिकार
ध्वज फहरा राष्ट्रीय गान गाने का अधिकार !
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई देश में रहते सभी
आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे सभी !

बहुत सी सामाजिक कुप्रथाओं का अंत हुआ
गरीबों का आर्थिक शोषण काफी कम हुआ !

बोलें,सुनें,करें मन की,हंस करके काम किया
आजादी ने हमको यह सौभाग्य प्रदान किया !
कहीं नहर खोदता तो कहीं पर चट्टान तोड़ता
भारतवासियों की रगों में खून बनकर दौड़ता !
आजादी देश के निर्माण कार्य में है जुटा हुआ
आर्थिक व तकनीकी रूप से सम्पन्नता दिया !

गांवों व शहरों की दयनीय दशा सुधर रही है
आजादी के सुंदर वातावरण में सांस लेते हुए !
भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाना है
करेंगे उन्नति अध्यात्म को साथ में लिए हुए !

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अपने स्वार्थपूर्ति के लिए हमारे पवित्र देश को
जिन्होंने भ्रष्टाचार की चादर में लपेट दिया है !
भ्रष्टाचार रूपी रावण का अब हम करेंगे दहन
भुगतेंगे जिन्होंने जनता को गुमराह किया है !
सरकारी नीतियों के प्रति देश में भ्रम बढ़ रही
भ्रष्टाचार में डूबा भारत,महंगाई नहीं थम रही !
सांप्रदायिकता व आतंकवाद के विष से जूझता
महिलाओं के खिलाफ रोज बढ़ती यौन-क्रूरता !
कन्या-संतान से छुटकारा ले रहे देश के लोग
दहेज़ के कारण दुल्हन की आहुति ले रहे लोग !
अपने ही स्वार्थों की धारा में आकंठ डूबे लोग
राजनीती के व्यापार में राजसुख का लेते भोग !
देश के युवाओं पर नशीली-संस्कृति हावी होती
पुरुषों के साथ बराबरी करने वाली नारी-जाति !
सभी दुखी हैं,जो कर्तव्य भूल अधिकार ढूंढ रहे
कर्तव्यों का पाठ सीखें व संस्कृति पर गर्व करें !

देश के उत्थान की खातिर ईमानदार बनें सभी
आजादी का सही अर्थ आओ समझें हम सभी !
अधिकारों से ज्यादा हम कर्तव्यों पे ध्यान धरें
ताकि पूरे विश्व में हम महाशक्ति बनके उभरें !

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ !! जयहिंद !! वन्देमातरम !! देश को समर्पित इस कविता की रचना और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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