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स्पेस नहीं बढ़ने से मेरे ब्लॉग की अंतिम पोस्ट-सद्गुरुजी

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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स्पेस नहीं बढ़ने से मेरे ब्लॉग की अंतिम पोस्ट-सद्गुरुजी
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आदरणीय जागरण जंक्शन परिवार और इस अनुपम मंच के सभी आदरणीय ब्लॉगर मित्रों !
सभी का हार्दिक अभिनन्दन ! स्पेस न बढ़ा तो इसे अंतिम पोस्ट मान आप सबका स्वागत है !

मेरे पास लिखने को स्पेस शेष नहीं बची है.(20MB Space Allowed 20MB (100%) Space Used).सोचा अंत में आपस सबसे कुछ बातें कर लूँ.पिछले एक माह में चार बार मैं जागरण जंक्शन परिवार से फीडबैक पर स्पेस बढ़ाने के लिए आग्रह कर चूका हूँ,परन्तु स्पेस बढ़ाने की बात तो दूर उन्होंने कोई जबाब तक नहीं दिया.मुझे दुःख इस बात का नहीं है कि जागरण जंक्शन मंच ने स्पेस नहीं बढ़ाया,बल्कि दुःख इस बात का है कि मेरे बार बार आग्रह करने पर भी कोई उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया.वो मुझसे स्पेस न बढ़ा पाने का कारण बता सकते थे अथवा नया ब्लॉग खोलने का सुझाव दे सकते थे.यदि आपको ब्लॉगरों के सवालों और समस्याओं का जबाब ही नहीं देना है तो फिर आपने फीडबैक की सुविधा क्यों दे रखी है ? मैं मंच के संचालकों से पूछना चाहता हूँ कि ये मंच ब्लॉगरों के लिए है तो फिर उनकी इतनी उपेक्षा क्यों की जारी है ? मुझे इसी वजह से ज्यादा बुरा लग रहा है.कुछ वैसा ही लग रहा है,जैसा कि शायर मिर्जा गालिब ने कहा है-
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पै दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले !
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले !

मैं कोई बहुत अच्छा कवि या साहित्यकार नहीं हूँ कि मंच को मेरी रचनाओं की कमी महसूस हो,परन्तु इतना जरूर कह सकता हूँ कि एक अच्छे पाठक की कमी मंच को जरूर अखरेगी.मैंने इस मंच से प्रेम के कारण समय समय पर इस मंच के संचालको को सुझाव दिए,ताकि मंच तकनीकी व साहित्यिक रूप से और एडवांस तथा बेहतर बने.यदि जागरण जंक्शन परिवार को मेरे सुझाव अप्रिय लगे हों तो मुझे हमेशा इस बात का अफ़सोस रहेगा कि एक साल के लिए मैं कैसी विचित्र दुनिया में चला गया था,जहांपर मंच के कर्ता-धर्ता में सच सुनने का भी साहस नहीं है.इस मंच पर सभी ब्लॉगर मित्रों से जो लगाव है,वो सदा बना रहेगा और मैं समय निकालकर आप लोंगो की रचनाएँ भी पढूंगा और कमेंट भी करता रहूँगा.आप सभी को श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनायें.अंत में इस मंच की उन्नति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बस इतना ही कहूँगा कि-
तेरा हुस्न रहे मेरा इश्क रहे,
तो ये सुबह ये शाम रहे ना रहे !
चले प्यार का नाम ज़माने मे,
किसी और का नाम रहे ना रहे !
तेरा हुस्न रहे मेरा इश्क रहे….!!

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मंच संचालकों,ब्लॉगर मित्रों और कृपालु पाठकों से एक संवाद=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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