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स्वामी विवेकानंद मोदीजी के स्वरुप में पुनर्जन्म ले चुके हैं

सद्गुरुजी
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स्वामी विवेकानंद मोदीजी के स्वरुप में पुनर्जन्म ले चुके हैं
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फिर जन्मूँगा उस दिन जब आज़ाद बहेगी गंगा,
मैया उन्नत भाल हिमालय पर जब लहराएगा तिरंगा
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे
जनमभूमि के काम आया मैं, बड़े भाग हैं मेरे
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे..

गीतगार शैलेन्द्र जी की लिखीं ये पंक्तियाँ मुझे स्वामी विवेकानंद,भारत माता और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की याद दिला दीं.भारत माता अपनी गुलामी और दुर्दशा पर उस समय रो रही थीं,जब उसे स्वामी विवेकानंद मिले और भारत माता भ्रस्टाचार और मंदी की मार से उस समय कराह रही थीं,जब उसे नरेंद्र मोदी मिले.यह एक सुखद संयोग ही है कि नरेन्द्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानन्द का वास्तविक नाम) और नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (देश के वर्तमान प्रधानमंत्री) दोनों के नाम,विचार और कार्य में अदभुद समानता है.ऐसा लगता है मानो स्वामी विवेकानंद पिछले जन्म से दुगुनी आयु लेकरका नरेंद्र मोदी के रूप में पुनर्जन्म ले लिए हों.दोनों ने ही अमेरिका जाकर धूम मचाई.
जीवन के अन्तिम दिन स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने शिष्यों से कहा-“एक और विवेकानन्द चाहिये, यह समझने के लिये कि इस विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है.” ४ जुलाई १९०२ को प्रतिदिन की भांति प्रात: वो ध्यान में लीन गये.तीन घंटे बीत गये,परन्तु उस दिन फिर उन्होंने आँखें नहीं खोली ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली.उन्तालीस वर्ष छह माह के अपने अल्प जीवनकाल में ही उन्होंने अपने ओजस्वी व सारगर्भित व्याख्यानों से पूरे संसार में प्रसिद्धि पा ली थी.इस वेदान्ती साधु ने बीसवी सदी में सर्व जगत कल्याणमय और विश्व बंधुत्व की भावना से परिपूर्ण भारतीय सभ्यता और संस्कृति का परचम पूरे विश्व में फहरा दिया था.उन्होंने भारत की आध्यात्मिक विदया से विश्व का परिचय करवाया था.
१७ सितम्बर सन १९५० में जन्मे नरेन्द्र दामोदरदास मोदी देश के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं.भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें २६ मई २०१४ को भारत के १५वें प्रधानमन्त्री के रूप में पद की शपथ दिलायी.वो इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं.उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने २०१४ का लोकसभा चुनाव लड़ा और २८२ सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की.उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से वो सांसद चुने गए हैं.इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के १४वें मुख्यमन्त्री रहे.गुजरात में किये गए उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार ४ बार (२००१ से २०१४ तक) उन्हें मुख्यमन्त्री के लिए चुना था.इस समय मोदी जी देश की जनता के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं.
स्वामी विवेकानंद और नरेंद्र मोदी के विचारों के बीच बहुत समानता है.नरेन्द्र मोदी ने अभी हल ही में वैश्विक भाईचारे के स्वामी विवेकानंद के संदेश का स्मरण करते हुए कहा था कि ‘अगर उनके संदेश पर अमल किया जाता तो विश्व को अमेरिका पर 11 सितंबर के आतंकवादी हमले जैसे कृत्यों का साक्षी नहीं बनना पड़ता.’ वैश्विक भाईचारे का संदेश स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर सन 1893 को शिकागो में विश्व धर्म संसद के अपने बहुचर्चित संबोधन में दिया गया था.स्वामी विवेकानंद ने हमारे देश के समृद्ध इतिहास और मजबूत सांस्कृतिक जड़ों की तरफ समूचे संसार का ध्यान आकर्षित किया था और वैश्विक भाईचारे का भारत का सुसंदेश समूचे संसार को दिया था.नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद के विचारों को व्यवहारिक रूप से क्रियान्वित कर रहे हैं.
स्वामी विवेकानंद ने विकसित पश्चिमी देशों से आह्वान किया था कि आप हमें तकनीकि ज्ञान और धन दीजिये,हम आपको योग और आध्यात्म का गूढ ज्ञान प्रदान करेंगे.प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी इस बात का समर्थन करते हुए कहते हैं कि विकसित देशों को फंडिंग और तकनीकी स्थानांतरण विकासशील और गरीब देशों की ओर करना चाहिए.योग ओर आध्यात्म से हर व्यक्ति का जुड़ाव जरुरी मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘भारत में प्रकृति के प्रति आदर अध्यात्म का अंग है.योग सिर्फ व्यायाम भर नहीं है,बल्कि पुरातन और अमूल्य देन हैयोग खुद से और दुनिया से जुड़ने का साधन है.’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का आग्रह किया.
स्वामी विवेकानंद ओर नरेंद्र मोदी दोनों एक ही बात कहते हैं कि ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.’दोनों ही देश के युवाओं को जागरूक करने की बात करते हैं.स्वामी विवेकानंद ने युवाओं से कहा था कि ‘मैं चाहता हूं कि तुम्हारी मांसपेशियां पत्थर सी मजबूत हों और तुम्हारे दिमाग में बिजली की तरह कौंधने वाले विचार आएं.’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि ‘हमारा देश गजब की युवा शक्ति से भरा है. हम जिस किसी भविष्य की इच्छा रखते हों, हमें युवाओं को केंद्र में रखना होगा.अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो हम एक लहर की भांति अद्भुत गति से आगे बढ़ सकते हैं.विवेकानंद और मोदी दोनों ने ही युवाओं के मन में भारत की गौरवशाली परंपरा और संस्कृति के प्रति आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का संचार किया है.हमारा देश महान और विश्वगुरु बनने योग्य क्यों है,जबाब गीतकार इन्दीवर जी के शब्दों में प्रस्तुत कर रहा हूँ-
सभ्यता जहाँ पहले आयी
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत जो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले

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!! जयहिंद !! वन्देमातरम !! आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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