Menu
blogid : 15204 postid : 793783

अपने लिये जिये तो क्या जिये,तू जी,ऐ दिल,ज़माने के लिये

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
img1140520039_5_2
अपने लिये जिये तो क्या जिये,तू जी,ऐ दिल,ज़माने के लिये
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मेरे कम्प्यूटर में मोदी जी की फोटो देख मेरी पौने तीन साल की बेटी ख़ुशी के मारे मोदी.. मोदी.. चिल्लाते हुए मेरे पास आ जाती है और मेरी गोद में आराम से बैठकर आदेश देती है- मोदीवाला कार्टून दिखाओ..
बेटा अभी नहीं.. बाद में दिखा दूंगा.. अभी मुझे कुछ लिखना है.. इसीलिए अभी तुम जाओ.. -मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया, परन्तु वो मानी नहीं.माउस अपने हाथ में लेते हुए बोली- नहीं हम अभी देखेंगे..
उसकी जिद के आगे झुकते हुए मैं ‘इंडिया टुडे ग्रुप’ द्वारा लोकसभा के चुनाव के दौरान मोदी जी पर जारी पैरोडी वीडियो ‘सो सॉरी’ दिखाने लगा. मेरी गोदी में वो उछलते कूदते हुए और जोर जोर से हँसते खिलखिलाते हुए वीडियो देखने लगी. लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी जी का इन पैरोडी वीडियो में खूब मजाक उड़ाया गया था. उन्हें दिन में सपना देखने वाला मुंगेरीलाल तक कहा गया था.सोशल मिडिया पर जिन सत्ताधारी लोंगो ने फेंकू कहकर उनकी बेइज्जती की थी, चुनाव परिणाम आने के बाद उन लोंगो की न केवल बोलती बंद हो गई, बल्कि सत्ता से बहुत दूर फेंका गए.
मोदीजी से संबंधित कई पैरोडी वीडियो जब मेरी बेटी देख ली तो बहुत खुश और शांत हो गई. मैंने मोदीजी की तस्वीर उसे दिखाते हुए पूछा- बिटिया ये किसकी तस्वीर है..
मोदी की..-उसने हँसते हुए कहा.
मैंने पूछा- बिटिया ये मोदी कौन हैं..
कौन हैं.. -वो मेरी तरफ देखते हुए उलटे मुझसे ही पूछने लगी.
मैंने उसे समझाया- बिटिया.. ये हमारे देश के प्रधानसेवक हैं.. देश में बहुत से प्रधानमंत्री हुए है.. परन्तु पहलीबार कोई प्रधानमंत्री अपने को देश का प्रधानसेवक कह रहा है.. ये देश का और हमसबका सौभाग्य है..
बिटिया मेरी तरफ एकटक देखे जा रही थी. शायद वो मोदीजी के बारे में कुछ और जानना चाहती थी. मैंने उससे कहा- बिटिया.. आज तुम्हे मैं मोदीजी के बारे में एक कहानी सुनाऊंगा.. और तुम्हारी पसंद का गीत भी सुनाउंगा. मैंने उसे संस्कारित और शिक्षित करने के लिए जावेद अनवर जी का फिल्म ‘बादल’ के लिए लिखा हुआ मेरी और उसकी पसंद का एक गीत कम्प्यूटर पर लगा दिया और गीत को बीच बीच में रोककर उसे मोदीजी की प्रेरणादायी जीवनी भी सुनाने लगा. कमरे में मन्ना डे जी की सुरीली की आवाज गूंज रही थी..
खुदगर्ज़ दुनिया में ये, इनसान की पहचान है
जो पराई आग में जल जाये, वो इनसान है
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

देशसेवा करने के लिए और दूसरों के लिए जीवन जीनेवाले नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक गरीब परिवार में १७ सितम्बर १९५० को हुआ था. अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेंद्र मोदी बचपन में प्यार से नरिया कहकर बुलाये जाते थे. उनके पिता जी की रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान थी. बचपन से ही पुरुषार्थी जीवन जीने वाले नरेंद्र मोदी ने रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता जी और भाई का हाथ बँटाया. भारत पाकिस्तान के बीच १९६५ के युद्ध के दौरान अपनी किशोरावस्था में उन्होंने रेलवे स्टेशन से गुजर रहे भारतीय सैनिकों की चाय पिलाकर सेवा की थी. मोदी जी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की. वो एक औसत दर्ज़े के छात्र थे, परन्तु वाद-विवाद, एक्टिंग और नाटक प्रतियोगिताओं में अनेको पुरस्कार उन्होंने जीते थे.
नाकामियों से घबरा के
तुम क्यों उदास होते हो
मैं हमसफ़र तुम्हारा हूँ
तुम क्यों उदास होते हो
हँसते रहो, हँसाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

बचपन से ही बेहद संघर्षशील जीवन जीने वाले नरेंद्र मोदी ने गरीबी और कठिन संघर्ष के उस दौर में अपने पिता और भाई का भरपूर साथ दिया था. आज पूरे देश को अपना हमसफ़र बनाने वाले नरेंद्र मोदी जी ने छोटी उम्र में ही अपने परिवार को ये एहसास करा दिया था कि मुसीबत के समय वो पूरी तराह से उनके साथ खड़े हैं. वो बचपन से ही बहुत निडर और बहादुर थे. अपने बचपन में वे एक बार तालाब से एक घड़ियाल का बच्चा पकड़कर घर लाये थे, जिसे बाद में मां के समझाने पर वे वापस उसी तालाब में छोड़ आये. महज आठ वर्ष की उम्र में वो जन जन में लोकप्रिय सामाजिक संगठन राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के बाल स्वयंसेवक बने. अपने राष्ट्र और संस्कृति के प्रति प्रेम और निस्वार्थ भाव से उसकी सेवा करने की भावना आरएसएस ने ही उनके भीतर पैदा की.
अपनी खुदी को जो समझा
उसने खुदा को पहचाना
अपनी खुदी को जो समझा
उसने खुदा को पहचाना
आज़ाद फ़ितरते इनसां
अन्दाज़ क्यों ग़ुलामाना
सर ये नहीं झुकाने के लिये
सर ये नहीं झुकाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

तेरह वर्ष की आयु में नरेन्द्र मोदी जी की सगाई जसोदा बेन चमनलाल जी के साथ कर दी गयी और जब उनका विवाह हुआ, वह मात्र सत्रह वर्ष के थे. मोदी जी के वैवाहिक स्थिति को लेकर कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञ और देश के कुछ अति बुद्धिमान लोग काफी समय से विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि इस मामले में सच्चाई ये है कि वे दोनों एक साथ ज्यादा समय तक कभी रहे ही नहीं. मोदी जी राष्ट्र सेवा के लिए घर त्यागना चाहते थे. पत्नी से जब भी उनकी मुलाकात होती थी वो उन्हें पढ़ने के लिए और जीवन में कुछ बनने के लिए प्रेरित करते थे. ये उन्ही की प्रेरणा थी कि बहुत कम पढ़ीलिखी जसोदा बेन ने शादी के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त की और एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका नियुक्त हुईं. शादी के कुछ बरसों बाद दोनों ने आपसी रजामंदी से अपनी अपनी अलग अलग जीवन जीने की राह चुन ली. पूरी तरह से राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के रंग में रंग चुके और निस्वार्थ भाव से आजीवन राष्ट्र सेवा करने का दृढ संकल्प ले चुके मोदीजी ने बहुत कम उम्र में ही गृह त्याग दिया.
बाज़ार से ज़माने के,
कुछ भी न हम खरीदेंगे
बाज़ार से ज़माने के,
कुछ भी न हम खरीदेंगे
हाँ, बेचकर खुशी अपनी
लोगों के ग़म खरीदेंगे
बुझते दिये जलाने के लिये
बुझते दिये जलाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

सत्य की खोज के लिए महात्मा बुद्ध ने गृहत्याग किया था और मोदीजी ने सत्य की खोज के साथ साथ राष्ट्रसेवा करने के दृढ़संकल्प के साथ गृहत्याग किया था. नरेंद्र मोदी जी आज भले ही अपनी पत्नी को साथ नहीं रखते हैं, परन्तु उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकारते तो हैं. आज पत्नी और परिवार को साथ लेकर जो लोग राजनीति कर रहे हैं, वो लोग कितने स्वार्थी, लोभी और भ्रष्ट्राचारी हैं, ये बात पूरा हिंदुस्तान जानता है. मोदी जी की इस बात से आज सभी सहमत हैं कि ‘एक शादीशुदा के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरदार तरीके से लड़ सकता है क्योंकि उसे अपनी पत्नी, परिवार व बालबच्चों की कोई चिन्ता नहीं रहती है. उनकी ये बात सौ फीसदी सच है. आज भारतीय राजनीति में परिवारवाद हावी है और ये परिवारवाद तरह तरह के भ्रस्टाचार की जननी बन चूका है. मोदीजी हर तरह के भ्रस्टाचार को ख़त्म करें, जनता यही चाहती है.
आतंकवाद पर मोदी के विचार से आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया सहमत होती है, जब वो कहते हैं कि “आतंकवाद युद्ध से भी बदतर है. एक आतंकवादी के कोई नियम नहीं होते. एक आतंकवादी तय करता है कि कब, कैसे, कहाँ और किसको मारना है. भारत ने युद्धों की तुलना में आतंकी हमलों में अधिक लोगों को खोया है.” पाकिस्तान को सीमा पर फायरिंग करने और प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ करने की नापाक कोशिश का करारा जबाब देना उनके इन्ही विचारों की व्यवहारिक अभिव्यक्ति है. नरेन्द्र मोदी जी बचपन से ही साधु-संतों के साथ रहे. सत्य की खोज को लेकर उनसे वो इतना प्रभावित थे कि वे बचपन में ही संन्यासी बन जाना चाहते थे. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद संन्यासी बनने के लिए मोदी जी घर से भाग गए थे. इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित देशभर में कई जगहों पर घूमते रहे.
हिम्मत बुलंद है अपनी
पत्थर सी जान रखते हैं
हिम्मत बुलंद है अपनी
पत्थर सी जान रखते हैं
कदमों तले ज़मीं तो क्या
हम आसमान रखते हैं
गिरते हुओं को उठाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

हिमालय में कई महीनों तक साधुओं के साथ रहे. दो साल बाद योगासन प्राणायाम सीखकर और आत्मसाक्षात्कार के द्वारा सत्य का बोध कर जब वह हिमालय से वापस लौटे तब उन्होंने संन्यास जीवन त्यागकर राष्ट्रसेवा करने का फैसला लिया. उन्होंने अपनी उच्चशिक्षा प्रारम्भ की और गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में उनका सामाजिक और राजनीतिक सेवा करने का जीवन प्रारम्भ हुआ. बहुत कम लोंगो को ये बात पता होगी कि नरेन्द्र मोदी अहमदाबाद जब संघ मुख्यालय में रहते तो वहां सारे छोटे काम करते जैसे साफ-सफाई, चाय बनाना, और बुजुर्ग नेताओं के कपड़े धोना शामिल है. ये सब काम जब करते थे तो अक्सर उनका लम्बी बांहवाला उनका कुर्ता ख़राब हो जाता था, इसीलिए उन्होंने अपने कुर्ते की बांह छोटी करवा लीं थी. आगे चलकर यही छोटी बांहवाला कुर्ता मोदी ब्रांड कुर्ता बन गया और अब तो ये पूरे देशभर में मशहूर हो गया है. ये बात भी बहुत कम लोग जानते हैं कि सन १९७५ से लेकर सन १९७७ तक इमरजेंसी के दौरान पूरे अढ़ाई साल तक वो सरदार के वेश में रहकर पुलिस को छकाते हुए संघ का कार्य करते रहे.
चल आफ़ताब लेकर चल
चल महताब लेकर चल
चल आफ़ताब लेकर चल
चल महताब लेकर चल
तू अपनी एक ठोकर में
सौ इन्क़लाब लेकर चल
ज़ुल्म और सितम मिटाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

संघ के प्रति निष्ठा और निस्वार्थ सेवा ने ही उन्हें आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक सक्रियता से जोड़ दिया. उन्होंने गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी और एक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे. वो २००१ से लेकर २०१४ तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान गुजरात का हर क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास करने के कारण ‘विकास पुरुष’ के रूप में पूरे देशभर में ही नहीं नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्द हुए. देशभर उनकी असीम लोकप्रियता को देखते हुए गोआ में भाजपा कार्यसमिति द्वारा नरेन्द्र मोदी को २०१४ के लोक सभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी थी और १३ सितम्बर २०१३ को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिये प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने २०१४ का लोकसभा चुनाव लड़ा और २८२ सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की.
भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें २६ मई २०१४ को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी. वे स्वतन्त्र भारत के १५वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं. मोदी जी महात्मा बुद्ध,महान विचारक और युवा दार्शनिक संत स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं. उनके व्यक्तित्व और कृतत्व में इन चारों महापुरुषों की झलक मिलती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन से हम बहुत सी अच्छाईयां ग्रहण कर सकते हैं. उनकी सबसे बड़ी अच्छाई है अपनी माँ का बहुत आदर करना. वो कोई भी नया काम शुरू करने से पहले अपनी मां का आशीर्वाद जरूर लेते हैं. नरेंद्र मोदीजी एक बड़ी विशेषता ये है कि वो जनता की आवाज सुनते हैं. सोशल मिडिया को जितना महत्व और समय उन्होंने दिया है, किसी प्रधानमंत्री ने नहीं दिया है. ये उन्ही की देन है कि दोस्ती और इश्क मोहब्बत करने के लिए प्रयोग की जा रही सोशल मिडिया आज जनता की सामाजिक-राजनितिक जागरूकता, शिक्षा, सुचना और जनता-सरकार के बीच संवाद स्थापित करने का केंद्र व सबसे बड़ा माध्यम बन चुकी है. नरेंद्र मोदी जी बहुत कम खाते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं.
उन्होंने अपने जीवन में सिगरेट और शराब जैसी निकृष्ट चीज को कभी हाथ नहीं लगाया. स्वदेशी वस्तुओं से वो प्रेम करते है और दिनरात उसकी उन्नति के बारे में सोचते रहते हैं. रात को दो बजे से लेकर सुबह साढ़े पांच बजे तक केवल साढ़े तीन घंटे ही वो सोते हैं. सुबह के समय में प्रतिदिन वो योगासन, प्राणायाम और ध्यान करने के लिए पर्याप्त समय निकालते हैं. चौसठ साल की उम्र में भी वो पूरी तरह से फिट और चुस्त-दुरुस्त रहते हुए सोलह घंटे काम करते हैं. निश्चय ही वो ‘नवभारत’ का ‘नवनिर्माण’ करने में जुटे हैं. मुझे हमेशा ये महसूस हुआ है कि जागरूक होती भारत की जनता के साथ साथ ईश्वर, प्रकृति और न जाने कितनी ही अशरीरी और शरीरी सदात्माओं का सहयोग उनके साथ है. उनके सफल और प्रभावशाली नेतृत्व में अब भारत का एक स्वर्णिम इतिहास लिखा जा रहा है. भविष्य में शीघ्र ही हम ‘विकसित राष्ट्र’ और ‘विश्वगुरु’ बनकर राजेंद्र कृष्ण जी का लिखा हुआ ये गीत हकीकत में गुनगुना सकेंगे-
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियां करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा,वो भारत देश है मेरा..जय भारती…

जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा,वो भारत देश है मेरा..जय भारती..

(मेरी पौने तीन साल की बेटी मोदीजी से संबंधित ‘सो सॉरी’ पैरोडी वीडियो देखी. अपनी और मेरी पसंद का गीत-अपने लिये जिये तो क्या जिये.. और मोदी जी की जीवनी से संबंधित कुछ बातें सुनी और फिर हँसते खिलखिलाते हुए मेरे पास से चली गई. उसे शिक्षित और संस्कारित करने के लिए ये पोस्ट उसे ही समर्पित है. आज भले ही मेरी कही हुई सारी बातों को वो न समझ पाये, परन्तु कुछ साल बाद वो बड़ी होकर जरूर मेरी बात समझ सकेगी. प्रतिदिन मुझसे मिलने के आने वाले और मोदीजी को लेकर बहस करने वाले बहुत से बड़े लोंगो में भी पौने तीन साल के बच्चेवाली सोच है. शायद कुछ साल बाद वो भी बड़ी सोचवाले होकर मेरी बात समझने लगेंगे. ये लेख पढ़कर यदि उन्हें बुरा लगे तो ‘सो सॉरी’)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
!! जयहिंद !! वन्देमातरम !! आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh