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दीपावली पर लक्ष्मीजी को प्राप्त करने के कुछ सिद्ध उपाय

सद्गुरुजी
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दीपावली पर लक्ष्मीजी को प्राप्त करने के कुछ सिद्ध उपाय
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दीपों का पर्व दीपावली गुरुवार २३ अक्टूबर को मनाया जाएगा.श्री राम की अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाने वाला यह पर्व अब दीपोत्सव और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए ज्यादा जाना है.इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ साथ उनके मानस-पुत्र गणेश जी की भी पूजा की जाती है,क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी जी का अपने वाहन उल्लू पर बैठकर आतीं हैं अर्थात धन अपने साथ कई बुराइयों को भी लेकर आता है.धन प्राप्ति के साथ साथ उसके सदुपयोग की बुद्धि भी हमें प्राप्त हो,इसीलिए गणेश जी की भी पूजा लक्ष्मी जी के साथ की जाती है.गणेशजी विध्नहर्ता भी हैं,हमारे पूजा-अनुष्ठान और मनोवांछित कामनापूर्ति में आनेवाली विध्नबाधाएं दूर हो,इसलिए भी उनकी पूजा की जाती है.हिन्दू लोंगो की ये मान्यता है कि दीवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से वर्ष भर जातक के पास धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और वो नशे व बुरी आदतों से दूर रहते हुए अपनी धन-सम्पत्ति का सदुपयोग अपने परिवार और समाज के हित के लिए करता है.आइएं जानें कि धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता व विध्नहर्ता गणेश जी को इसदिन सरल ढंग से पूजा करके कैसे प्रसन्न करें-
१-दिवाली के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत होकर सबसे पहले घर के बुजुर्ग लोंगो का चरण सपर्श कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.माता-पिता और घर के बुजुर्ग व्यक्ति साक्षात रूप से प्रगट देवता हैं.सबसे पहले इनकी सेवा और पूजा करनी चाहिए.
२-इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.माता लक्ष्मी और गणेश जी की स्तुति और पूजा के बाद दीप दान करना चाहिए.गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि लक्ष्मी-गणेश जी को इस प्रकार स्थापित करें कि लक्ष्मी जी सदा गणेश जी के दाहिनी ओर ही रहें.सही स्थिति जानने के लिए मूर्ति के पीछे जाकर दायें-बाएं देंखे.वाहन खड़े होने पर पीछे की और से गणेशजी बाएं और लक्ष्मी जी दायीं तरफ दिखें.
३-कमल पुष्प, गुलाब पुष्प, गन्ना, कमल गट्टे की माला इत्यादि लक्ष्मी जी को चढ़ाकर यथाशक्ति श्रीसूक्त या लक्ष्मी सूक्त या कनकधारा स्तोत्र का तीन बार पाठ करें.धन प्राप्ति के लिए पूजा के बाद ९ कमल गट्टे लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रखें.
४-लक्ष्मी पूजन करके तिजोरी में ५ कमल गट्टे, १ खड़ी हल्दी, थोड़ा-सा खड़ा धनिया, खड़ी सुपारी, एक सिक्का रखें जो वर्षपर्यंत तक रहे,ये भी धनप्राप्ति का एक बहुत सरल उपाय है.
५-जिन लोगों की दुकान, फैक्टरी इत्यादि चल नहीं रहे हों, वे सवा भाव फिटकरी की डली लेकर व्यवसाय स्थल पर से ८१ बार “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभय्यो नमः” (ओम ह्रीम श्रीम लक्ष्मीभय्यो नमः) मन्त्र उच्चारित करते हुए उतारकर उत्तर दिशा की तरफ एकांत में फेंक दें.ध्यान रहे कि फेंकते समय कोई टोके नहीं.
६-अपने अचूक प्रभाव के लिए पूरी दुनियाभर में विख्यात ‘श्रीयंत्र’ को यंत्रराज कहा जाता है.ये भगवती त्रिपुर सुंदरी का यंत्र है.श्रीयंत्र में देवी लक्ष्मी का विशेष वास माना जाता है तथा यह संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा विकास का प्रतीक होने के साथ मानव शरीर का भी द्योतक है.जैसे मानव शरीर को सभी देवी-देवताओं का निवास-स्थल कहा गया है,ठीक उसी तरह से श्रीयंत्र में भी सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है.श्रीयंत्र में स्वतः कई सिद्धियों का वास है.आपके पूजा घर में केवल एक सिद्ध श्रीयंत्र मात्र रखा हुआ है तो अति उत्तम है.मेरे विचार से पूजाघर में बहुत सारे देवी-देवताओं की फोटो और मूर्तिया रखकर दिग्भ्रमित होने की बजाय हर हिन्दू को अपने पूजा घर में केवल एक सिद्ध श्रीयंत्र और एक सिद्ध सर्वसिद्धि यन्त्र रखकर उसी की पूजा करनी चाहिए,इससे मानव जीवन के चारो पुरुषार्थ धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष सुगमता से सिद्ध हो जायेंगे.शीघ्र और सन्तुष्टिप्रद प्रभाव के लिए मंत्र सिद्ध, प्राण प्रतिष्ठायुक्त श्रीयंत्र अपने पूजागृह में स्थापित करना या करवाना चाहिए.
७-श्रीयंत्र का प्रभाव अपने जीवन में अनुभव करने के लिए बाजार से ताम्बे का बना हुआ तीन गुना तीन इंच या छह गुना छह इंच का एक श्री यंत्र लाएं.गाय के कच्चे दूध से धोकर उसे गंगाजल से स्नान कराये.साफ कपडे से पोंछकर उसपर चन्दन और गुलाब का शुद्ध इत्र लगाएं.अब यंत्र के बीचोबीच रोरी से टिका लगाकर लाल रंग के नए वस्त्र पर लिटाकर रखें.कमल और गुलाब का फूल मिल सके तो चढ़ा दें अन्यथा ९ कमलगट्टे के बीज वहां रख दें.अब तुलसी की माला या लाल चन्दन की माला अथवा रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र की दस माला जपें और एक माला से हवन कर दें.हवन करना संभव न हो तो एक माला और जाप कर लें.इसका अचूक और कल्याणकारी प्रभाव पाने के लिए मांजप के समय उच्चारण सही रखें.शुद्ध उच्चारण सहित मन्त्र मैं लिख रहा हूँ.
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
(ओम श्रीम ह्रीम श्रीम कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ओम श्रीम ह्रीम श्रीम महालक्ष्मयै नमः॥)

यदि आपका कामधंधा ठीक नहीं चल रहा है,नौकरी में प्रोमोशन नहीं हो रहा है या आप आर्थिक तंगी के शिकार हैं या फिर कर्ज में दुबे हुए हैं तो एक बार इस प्रयोग को आजमाकर देंखे.मेरा आशीर्वाद आपके साथ है.मैंने अपने जीवन में अनगिनत बार अपने और दूसरों के कल्याण के लिए इस सदैव सफल प्रयोग को किया है.इस दिवाली के दिन न कर सकें तो किसी भी शुक्रवार को कर सकते हैं.हिन्दू,मुस्लिम,सिख और ईसाई,किसी भी धर्म के माननेवाले इस रामबाण प्रयोग को आजमा कर देख सकते हैं.
८-तुलसी में हमारे सभी पापों का नाश करने की शक्ति होती है, इसकी घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प पूजा से आत्म शांति प्राप्त होती है.तुलसी को लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है.विधि-विधान से इसकी पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और इनकी कृपा स्वरूप हमारे घर पर कभी धन की कमी नहीं होती.तुलसी की माला से लेख में दिए हुए दो में से किसी भी एक मन्त्र का यथा शक्ति १ से ११ माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगेगी और आपके परिवार में सुख समृद्धि आने लगेगी.
९-आपके घर में लक्ष्मी आएं और स्थायी रूप से आपके घर सदैव बसी रहें,इसके लिए सबसे जरुरी चीज है,स्वच्छता और साफ सफाई.अपने घर के साथ साथ अपने मन को भी साफ रखें.घर के बुजुर्ग लोंगो का आदर करें.घर की महिलाओं की इज्जत करें,उनकी अच्छी सलाह जरूर मानें और घर के सभी बच्चों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें.यदि आप इतना कर सकें तो भी बहुत स्वस्थ और सुखी रहेंगे.ये मेरा निजी अनुभव है.मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सबपर उसकी कृपा हो और आप सभी लोग स्वस्थ और सुखी हों.मेरा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है.
लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त=ये बात जानते हैं कि लक्ष्मी जी की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए.भविष्यपुराण, स्कंदपुराण और अन्य कई पुराणों में प्रदोष काल के समय ही लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना का वर्णन है.प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है.इस बार २३ अक्टूबर २०१४ को दिवाली के दिन प्रदोष काल मुहूर्त रात को १८:०३ से २०:३३ तक है.बहुत से लोंगो का ये विश्वास है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है,इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए वो लोग स्थिर लग्न को सबसे उपयुक्त समझते हैं.स्थिर लग्न वृषभ काल रात्रि १९:२६ से २१:२६ तक और दूसरा स्थिर लग्न सिंह काल रात्रि में २५:५२ से २७:५९ तक रहेगा.आप दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए लेख में बताये गए उपायों का इस समय विशेष में सदुपयोग करें और अपना तनावमुक्त और सुखी बनायें.सभी ब्लॉगर मित्रों और कृपालु पाठकों को दिवाली की बहुत बहुत बधाई.

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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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