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अधूरी एकता दौड़ “रन फॉर यूनिटी” आखिर कैसे हुई पूरी ?

सद्गुरुजी
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30_10_2014-run-for-unityggh
अधूरी एकता दौड़ “रन फॉर यूनिटी” आखिर कैसे हुई पूरी ?
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जननी-जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ।
इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है ॥
इसके कण-कण पे लिखा राम-कृष्ण नाम है ।
हुतात्माओं के रुधिर से भूमि शस्य-श्याम है ।
धर्म का ये धाम है, सदा इसे प्रणाम है ।
स्वतंत्र है यह धरा, स्वतंत्र आसमान है ॥

देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत ये गीत महान गीतकार भरत व्यास जी का लिखा हुआ है.ये गीत आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि और लौह पुरुष सरदार वल्लभ पटेल की जन्मतिथि के मौके पर बहुत याद आ रहा है.ये दोनों ही महान नेता अपनी अंतिम साँस तक देश की सेवा करते रहे.देश को आजाद और एकजुट करने के लिए सरदार वल्लभ पटेल ने जहाँ एक ओर अपना अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया,वहीँ दूसरी तरफ इंदिरा गांधी ने देश को एकजुट रखने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन ही नहीं बल्कि अपनी जान तक कुर्बान कर दी.पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ३०वीं पुण्यतिथि और देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की १३९वीं जयंती के मौके पर शुक्रवार ३१ अक्टूबर २०१४ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए विजय चौक से इंडिया गेट तक हुई एकता दौड़ “रन फॉर यूनिटी” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केन्द्रीय मंत्री वैंकेया नायुडु और उनकी कैबिनेट के अन्य कई मंत्री भी इस दौड़ में शामिल हुए.इसके बाद खिलाड़ी-फौजी और लगभग पंद्रह हजार आम जनता इस दौड़ में भाग ली.राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी राष्ट्रपति भवन से ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई.प्रधानमंत्री ने रेस को हरी झंडी दिखाने से पहले वहां मौजूद लोगों को एकता की शपथ दिलाई.इससे पूर्व प्रातः साढ़े सात बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय चौक पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जैसे विवेकानन्द के बिना रामकृष्ण परमहंस अधूरे थे.ठीक वैसे ही सरदार पटेल के बिना महात्मा गांधी अधूरे थे.उन दोनों की साझेदारी ने देश की आजादी के संघर्ष को आधार प्रदान किया.मौजूदा हिंदुस्तान उन्ही की देन है.सरदार पटेल ने अपना जीवन देश को जोड़ने के लिए समर्पित कर दिया था.उन्होंने कहा कि इतिहास और विरासत को विचारधाराओं के आधार पर नहीं बांट सकते.
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि ब्रिटिश देश को बांटना चाहते थे लेकिन सरदार पटेल ने अपनी राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल के बूते भारत को एक कर दिया.सरदार पटेल ने दूरदर्शिता और राष्ट्र भक्ति के चलते देश को जोड़ दिया.हम उनके योगदान को भूला नहीं सकते.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ पटेल की तुलना महान रणनीतिकार चाणक्य से करते हुए कहा कि शताब्दियों पहले चाणक्य ने कई राज्यों को जोड़ा था.चाणक्य के बाद यह काम सरदार पटेल ने किया.मोदी जी ने कहा कि अनेकता में एकता हमारी संस्कृति और विरासत है.उन्होंने कहा कि जिस एकता के लिए सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन लगा दिया उसके ही जन्मदिन के दिन पर देश ने उस दंश को झेला जिसमें हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह विडंबना ही है कि मौजूदा दौर में हमने इस महान लौह पुरुष और उनके काम को भुला दिया.
प्रधानमंत्री जी ने रेस को हरी झंडी दिलाने से पहले यहां मौजूद लोगों को शपथ दिलाई और ऐलान किया कि यह दिन आज के बाद एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा.सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे.वहीं गृह मंत्रालय ने तेलुगु में एकता-शपथ ली.गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह शपथ दिलाई.इंदिरा गांधी की ३१ अक्तूबर १९८४ को उनके अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी,इसीलिए ३१ अक्टूबर को उनकी पुणतिथि मनाई जाती है.इस दिन उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी अविस्मरणीय सेवाओं के लिए उन्हें याद किया जाता है.यदि सरदार वल्लभ पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है तो भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लौह महिला के नाम से संबोधित किया जाता है.
वो एक ऐसी महिला राजनीतिज्ञ थीं,जो कई वर्षों तक न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वो अपना विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं.वो पंडित जवाहरलाल नेहरु की बेटी होने के कारण ही नहीं बल्कि अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में हमेशा जानी जाती रहेंगी.कितने अफ़सोस की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम में दिए गए अपने भाषण में केवल एक बार ही उनका जिक्र किया.इसके अलावा उनकी कोई चर्चा नहीं हुई.मोदीजी इंदिरा गांधी के समाधि स्थल शक्ति स्थल पर भी नहीं गए,जबकि उन्हें जाना चाहिए था.राष्ट्र्पति जी,पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी शक्ति स्थल पर गए और इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी.ये लोग इंदिरा गांधी जी की ३०वीं पुण्यतिथि पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए.
मोदीजी सरदार वल्लभ पटेल के नाम का अधिकतम राजनीतिक लाभ उठाने के चक्कर में ये भी भूल गए कि उन्ही की पार्टी के वयोवृद्ध नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने इंदिरा गांधी को कभी ‘दुर्गा’ कहकर सम्बोधित किया था.मोदीजी ने ‘रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा था कि इतिहास और विरासत को विचारधाराओं के आधार पर नहीं बाँटना चाहिए.जबकि वो स्वयं ही राजनीतिक कारणों ऐसा करते दिखे.हालाँकि उन्होंने बाद में अपनी गलती महसूस करते हुए ट्विटर पर इंदिरा गांधी को याद करते हुए अपनी श्रद्धंजलि व्यक्त की और उन्हें नमन किया.मुझे ये जानकर ख़ुशी हुई और लगा कि अब जाकर उन्होंने ‘रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान की है.इसके बिना ये कार्यक्रम अधूरा लग रहा था.
राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए आम जनता की भागीदारी वाले इस तरह के कार्यक्रम पूरे देशभर में आयोजित होते रहने चाहिए,परन्तु देश के सभी महापुरुषों का बिना किसी भेदभाव के आदर और स्मरण होना चाहिए.उनके असाधारण जीवन का परिचय और उनके द्वारा की गई अविस्मरणीय राष्ट्र सेवा कार्यों की जानकारी समूचे देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना ही चाहिए.हमारे देश के छात्रों और भावी पीढ़ी के लिए तो ये जानकारियां होना अत्यंत आवश्यक है.उन्हें पता तो चले कि आजादी के बाद छोटी छोटी अनगिनत रियासतों में बंटा ये देश कैसे एकजुट हुआ और भविष्य में इसे कैसे एकजुट रख सकते हैं.एकता,प्रेम और भाईचारे का जो पैगाम अबतक इस देश के महापुरुषों ने दिया है,वही पैगाम अंत में गीतकार भरत व्यास जी के शब्दों में प्रस्तुत है-
इसके आन पे अगर जो बात कोई आ पड़े ।
इसके सामने जो ज़ुल्म के पहाड़ हों खड़े ।
शत्रु सब जहान हो, विरुद्ध आसमान हो ।
मुकाबला करेंगे जब तक जान में ये जान है ॥
इसके वास्ते ये तन है, मन है और प्राण है ।
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है ॥
!! भारत माता की जय !!

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!! जयहिंद !! वन्देमातरम !! आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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