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तेरा जलवा जिसने देखा,वो तेरा हो गया..मोदी जी काशी में

सद्गुरुजी
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तेरा जलवा जिसने देखा,वो तेरा हो गया-मोदी जी काशी में
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“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी जीत पर बधाई देते वक्त हुई बातचीत को मैं कभी नहीं भूल सकता.मैंने फोन उठाया और कहा कि मुझे उस शख्स से बात करते हुए बहुत खुशी हो रही है,जिसने ब्रह्मांड के किसी भी कोने के नेता की तुलना में ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है.”ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के शब्द हैं ये भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लिए,जो इस समय भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व और निराले कर्मयोगी अंदाज का जलवा विखेर रहे हैं.
मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र में बहुमत की सरकार जब से बनी है,तब से समूचे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा है और उसकी बात विश्वमंच पर गंभीरता से सुनी जाने लगी है.भारत और उसके नेताओं को कोई खास महत्व न देने वाले अमेरिका में कुछ समय पहले हुई अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मोदीजी से हुई मुलाकात उन्हें हमेशा याद रहेगी.जापान मोदी जी प्रेम और चीन उनकी खरी-खरी बात कभी नहीं भूल पायेगा..मुझे तो ‘उजाला’ फिल्म का ये मशहूर गीत याद आ जाता है,जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में सोचता हूँ-
तेरा जलवा जिसने देखा, वो तेरा हो गया
मैं हो गयी किसी की, कोई मेरा हो गया
क्या देखा था तुझ में, दिल तेरा हो गया
ये सोचते ही सोचते, सवेरा हो गया

प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी की पहली यात्रा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव में पहुंचे.जहाँ पर उनका भव्य स्वागत किया गया.मोदी जी ने इस गांव को ‘आदर्श ग्राम योजना’ के अंतर्गत विकसित करने के लिए चुना है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने समर्थक और विरोधियों के मानस पटल पर दिनरात क्यों छाये रहते हैं,इसकी पहली झलक तब दिखी,जब जयापुर गांव की ग्राम प्रधान मंच पर संबोधित करने पहुंची.माइक ऊँचे होने के कारण उनकी आवाज जनता तक ठीक से नहीं पहुँच पा रही थी.प्रधानमंत्री जी अपनी कुर्सी से उठे और खुद जाकर माईक नीचे की तरफ कर उसको ठीक से एडजस्ट किये.जनता ये दृश्य देख अपने प्रधान सेवक की जय जयकार करने लगी.
मोदीजी की अनोखी अदा की दूसरी झलक तब दिखी जब उन्होंने गांववालों से कहा कि मैं आपको गोद लेने नहीं आया,बल्कि आपसे प्रार्थना करने आया हूँ कि आप मुझे गोद ले लें.जनता ये सुनकर हतप्रभ और अवाक् रह गई.मोदीजी स्वयं इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने जयापुर गांव को गोद क्यों लिया है.उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब जयापुर में आग लगने की दर्दनाक घटना घटी थी,तभी से उनकी सहानुभूति और दिलचस्पी उस गांव से जुड़ गई थी.उन्होंने गांववालों से जातिवाद की संकीर्ण भावना से ऊपर उठने को कहा.उन्होंने गांव और गांव की बेटियों के जन्मदिवस को उत्सव की तरह मनाने को कहा.बेटियों के जन्म पर उन्होंने पांच वृक्ष लगाने का सुझाव दिया और गांव के बूढ़े वृक्ष और बूढ़े लोगों को कभी न भूलने की सलाह दी.
उन्होंने लोगों को बिना हाथ धोए कुछ नहीं खाने का संकल्प कराया.प्रधानमंत्री जी की एक बात और बहुत महत्वपूर्ण थीं,जब उन्होंने कहा कि ‘आदर्श ग्राम योजना’ के अंतर्गत गांव को रूपये नहीं मिलेंगे,क्योंकि वो रूपये बिचौलिये खा जाते हैं.इस योजना के अंतर्गत सांसद की यह जिम्मेदारी होगी कि वो प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं की निगरानी करेंगे कि उसका लाभ उसके गोद लिए गांव को क्यों नहीं मिल पा रहा है.प्रधानमंत्री जी ने जनता को जानकारी दी कि उन्होंने उच्चाधिकारियों से परिवार सहित किसी गांव में तीन दिन रुकने को कहा है,ताकि उन्हें गांव की समस्याओं की सही जानकारी मिल सके.उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश है कि हम जितने भी आगे चले जाएं,पर जिन्होंने हमें आगे भेजा है,उनको आगे बढ़ाने की भी तो कोई योजना हो.ये उन्होंने एक नई और बहुत विचारणीय बात कही.
जयापुर जाने से पहले,उन्होंने लालपुर में हथकरघा बुनकरों के लिए पांच सौ करोड़ की लागत से बनने वाले ट्रेड फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला रखी.यहीं पर उन्होंने उत्तरप्रदेश के सोलह जिलों में बंद पड़े अनेकों सहकारी बैंकों को केंद्र सरकार की सहायता से पुनः चालू करने की घोषणा की.लालपुर में हजारों बुनकरों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ”आज मैं आपके बीच हूं.आपके प्रतिनिधि के तौर पर आया हूँ.आपके सेवक के तौर पर आया हूँ.कुछ समय पहले मैंने आना तय किया था,लेकिन आंध्र में आए साइक्लोन की वजह से नहीं आ पाया.” उन्होंने ने कहा कि ”हमारे देश में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला कोई क्षेत्र है तो वो टेक्सटाइल है और कम पूंजी से ज्यादा लोग अपनी आजीविका चला सकते हैं.”
प्रधानमंत्री जी ने बुनकर समाज में वर्षों से स्थापित प्रेम,भाईचारे और सम्पदायिक सदभाव की चर्चा करते हुए कहा कि “यह ऐसा क्षेत्र है,जिसमें मजदूर और मालिक के बीच में खाई संभव ही नहीं है.खेती में भी किसान और मजदूर के बीच खाई नजर आती है.यह एक क्षेत्र ऐसा है,जहां पूरा माहौल एक परिवार की तरह होता है.न जाति होती है,न संप्रदाय,एक अपनेपन का माहौल होता है.जैसे कपड़े के तानेबाने बुने जाते हैं,वैसे ही ये बुनने वाले समाज का तानाबाना बुनते हैं.” प्रधानमंत्री जी ने अपने लुभावने अंदाज से आज बुनकर मुस्लिम समुदाय का भी मन मोह लिया.उनके वाराणसी दौरे की एक खास बात ये भी रही कि अत्यंत व्यस्तता के वावजूद भी यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और गवर्नर राम नाइक जी ने वाराणसी पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया और यूपी सरकार के दो मंत्री उनके कार्यक्रम में मौजूद रहे.
जयापुर गांव में ग्रामीणों को संबोधित करने बाद प्रधानमंत्री जी रवींद्रपुरी स्थित अपने संसदीय कार्यालय में गए थे,जहांपर उन्होंने फरियादियों से मुलाकात की थी.शाम को वो डीएलडब्लू में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात किये और रात को होटल गेटवे में काशी के खास ४५० लोगों से मिले थे.प्रधानमंत्री जी अपने बनारस दौरे के दूसरे दिन शनिवार को प्रातःकाल अस्सी घाट पहूंचे.देश में खुशहाली और सुख-शांति लाने के लिए उन्होंने माँ गंगा की पूजा आरती की.इसके बाद उन्होंने लगभग दस मिनट तक फावड़ा से मिट्टी खोदकर घाट पर सफाई अभियान की शुरुआत की.उन्होंने दूसरे नेताओं को भी ऐसा ही श्रमदान करने के लिए प्रेरित किया.सफाई अभियान की शुरुआत के बाद मोदी जी ने ९ लोगों को इससे जुड़ने के लिए नॉमिनेट किया.
ये ९ लोग हैं- यूपी के सीएम अखिलेश यादव, चित्रकूट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर स्वामी राम भद्राचार्य, भोजपुरी गायक और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, साहित्यकार मनु शर्मा, क्रिकेटर मुहम्मद कैफ, पद्मश्री देवी प्रसाद दि्वेदी, टीवी एक्टर राजू श्रीवास्तव, क्रिकेटर सुरेश रैना और गायक कैलाश खेर.प्रधानमंत्री जी ने इन ९ लोगों से अपील की कि वे अन्य लोगों को नॉमिनेट करके इस सफाई अभियान से जोड़ने की कोशिश करें.अपने दो दिवसीय कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री जी आनंदमयी हॉस्पिटल का दौरा करने पहुंचे.उन्होंने वहां पर माँ आनंदमयी की प्रतिमा को माल्यार्पण करने के बाद वहां चलने वाले हॉस्पिटल को देखा और वहां के एक स्कूल के स्टूडेंट्स और टीचर से मुलाकात की.अपने दो दिवसीय दौरे की अविस्मरणीय यादें छोड़कर और काशीवासियों के मन में काशी की शीघ्र होने वाली भारी कायापलट की आस जगाकर प्रधानमंत्री जी दिल्ली रवाना हो गए.लेख के अंत में प्रधानमंत्री जी की लिखी कविता ‘उत्सव’ का वो अंश,जो मुझे बहुत पसंद है-
मेरा सूर्य की ओर प्रयाण,
पतंग का जीवन उसकी डोर में है.
पतंग का आराध्य (शिव) व्योम (आकाश) में,
पतंग की डोर मेरे हाथ में,
मेरी डोर शिव जी के हाथ में.
जीवन रूपी पतंग के लिए(हवा के लिए)
शिव जी हिमालय में बैठे हैं।
पतंग के सपने (जीवन के सपने)
मानव से ऊंचे.
पतंग उड़ती है,
शिव जी के आसपास,
मनुष्य जीवन में बैठा-बैठा,
उसकी डोर को सुलझाने में लगा रहता है.

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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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