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अब चाचा नेहरू नहीं,बल्कि चाचा मोदी का युग चल रहा है
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तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर,
अगर कहीं है जो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर,
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूमकर,
तू आ मेरा सिंगार कर, तू आ मुझे हसीन कर!
अगर कहीं है जो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
कवि शैलन्द्र जी के जी के बोल हैं ये.इस धरती पर स्वर्ग लाने के लिए जिन करोडो लोंगो ने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया,उनमे से एक नाम देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी है.नेहरू की विरासत और उनके विश्व के प्रति दर्शन पर विचार-विमर्श करने के लिए कांग्रेस की ओर से १७ और १८ नवंबर को दिल्ली में ‘नेहरू कॉन्फ्रेंस’ के नाम से दो दिन का आयोजन किया जा रहा है,जिसमें अनेक अंतरराष्ट्रीय नेता और देश विदेश से कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.कांग्रेस ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के किसी नेता को इस आयोजन में आमंत्रित नहीं किया है.कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता नहीं दिया है.उसका कारण यह है की मोदी जी ने देश के महान नेताओं के नाम पर विशेष योजनाएं शुरू करके महात्मा गांधी,सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं की विरासत पर अपना हक जमाने की कोशिश कर रहे हैं,जिसपर अबतक केवल कांग्रेस का ही एकाधिकार रहा है.
इस आयोजन से कांग्रेस एक ही तीर से कई निशाने साधने की कोशिश कर रही है.उसकी पहली कोशिश ये है कि संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार पर दबाव बनाने के लिए और संसद में अपने को सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष दल साबित करने के लिए इस सम्मेलन को आयोजित किया जाये.कांग्रेस की दूसरी राजनीतिक रणनीति ये है कि राष्ट्रीय राजनीति में सत्ता गंवाने के बाद हाशिए पर पहुँच चुकी कांग्रेस इस सम्मेलन के जरिये मोदी के विदेश दौरों की अभूतपूर्व सफलता के सामने अपनी दमदार चुनौती पेश करे.इस सम्मलेन के बहाने कांग्रेस नेहरू की अंतरराष्ट्रीय दृष्टि के साथ अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जोड़कर उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना चाह रही है,ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ जाये.
कांग्रेस ये मानती है कि महात्मा गांधी के बाद जवाहर लाल नेहरू दूसरे नम्बर के महानतम भारतीय थे.सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना आजाद, सी. राजगोपालाचारी जैसे महान नेताओं के होते हुए भी स्वतंत्रता आंदोलन के समय नेहरू ने सामूहिक नेतृत्व प्रदान किया.कांग्रेस सरदार बल्लभ भाई पटेल को तीसरे नंबर पर आंकती है.नेहरू जी के बारे में हमेशा यही कहती है कि उन्होंने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा.वो देशभक्त और सत्यनिष्ठ थे.नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे.देश में धर्मनिरपेक्षता और लोकतान्त्रिक समाजवाद लाने वाले वही थे.उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास की ऐसी नीव रखी कि जिसकी बदौलत ही आगे चलकर भारत परमाणु क्षमता वाला देश बन सका.उनकी सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही भारत की विकास दर बढ़ी.
कांग्रेस जहाँ एक ओर नेहरू के असाधारण व्यक्तित्व और महान कार्यो का ढिंढोरा पीटती है,वही दूसरी तरफ नेहरू के समय से ही अनगिनत लोंगो द्वारा उनकी तीखी आलोचना भी की जाती रही है.कहा जाता है कि सन् १९४७ में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले थे,परन्तु महात्मा गांधी जी की जिद के कारण जवाहर लाल नेहरू को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया.सरदार पटेल से उनके मतभेद जग जाहिर थे.सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नेहरू से कहा था कि कश्मीर की जिम्मेदारी मुझे दीजिये मैं भारत में इसका विधिवत विलय कर देता हूँ.नेहरु ने इसे अपनने ‘कश्मीरी लगाव’ और प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हुए स्वयं कश्मीर समस्या का समाधान खोजने की कोशिश की और उसे विशेष दर्जा प्रदान करते हुए काश्मीर को एक बहुत बड़ी समस्या बनाकर उसे हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को सौप दिया,जो आजतक एक अनसुलझा हुआ रहस्य ही बना हुआ है.सेना को मजबूत करने की बजाय चीन से पंचशील समझौता कर ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा लगाये और उससे ऐसा धोखा खाये कि भारत का एक बड़ा भू भाग ही गँवा बैठे.उनके कारण कश्मीर का अधूरा विलय भारत में हुआ.
नेहरू पर बहुत से लोग ये आरोप लगाते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के चक्कर में देश का बंटवारा करा दिया लेकिन उसका जिन्ना पर.मढ़ दिया.सुभाष चन्द्र बोस जैसे महान नेता का विरोध और अपमान करने का आरोप भी उनपर लगा,जब कांग्रेस अधिवेशन के चुनाव में अध्यक्ष का जीतने पर भी मानसिक प्रताड़ना देकर उनसे जबरन इस्तीफा ले लिया गया.’वन्देमातरम गीत’ और ‘हिन्दुओं की एकजुटता’ से चिढ़ने वाले नेहरू आजादी से पहले और आजादी के बाद भी महंगे परिधान पहनते थे.उनके पिता मोतीलाल नेहरू को छोटी से लेकर बड़ी तक हर चीज विलायती पसंद थी.महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद उनमे कुछ बदलाव आया.इस लेख में नेहरू के निजी जीवन पर कोई चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है,क्योंकि उसके बारे में सभी जानते हैं.उनके जन्मदिन १४ नवम्बर को ‘बाल दिवस’ घोषित करते हुए उन्हें बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू कहा गया.
उनकी एक तस्वीर मैंने देखी,जिसमे वो लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के साथ सिगरेट पी और पिला रहे हैं.ये बच्चों को पथभ्रष्ट करने वाली तस्वीर है.बच्चों को इससे सिगरेट फूंकने और अय्यासी करने की ही शिक्षा मिलेगी.वर्तमान समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर टीवी और समाचार पत्र में देखकर दो तीन साल का बच्चा भी ख़ुशी और उत्सुकता के मारे मोदी मोदी चिल्लाने लगता है.बच्चों के असली चाचा आज मोदी हो गयें हैं.कांग्रेस को तो ‘चाचा नेहरू’ बच्चों के मुख से कहलवाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ी,परन्तु ‘चाचा मोदी’ कहलवाने के लिए भाजपा को बच्चों को सिखाना नहीं पड़ा.आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने असाधारण व्यक्तित्व और महान कार्यों के कारण भारत ही नहीं,बल्कि सारी दुनिया के बच्चों और नौजवानो के लिए ‘प्यारे चाचा मोदी’ बनते जा रहे हैं.कांग्रेस को भी अब इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए कि अब ‘चाचा नेहरू’ नहीं बल्कि ‘चाचा मोदी’ का युग चल रहा है.अंत में फिर कवि शैलेन्द्र जी के कुछ मनपसंद बोल गुनगुना लेता हूँ..इस बार ‘चाचा मोदी’ के लिए-
हमारे कारवां का मंज़िलों को इन्तज़ार है,
यह आंधियों, ये बिजलियों की, पीठ पर सवार है,
जिधर पड़ेंगे ये क़दम बनेगी एक नई डगर
अगर कहीं है जो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर,
अगर कहीं है जो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
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!! जयहिंद !! वन्देमातरम !! आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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