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पुरखों की घर वापसी,जो अब न हिन्दू रहे न ही मुसलमान

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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जो अब न हिन्दू रहे और न ही मुसलमान
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भाई रे दुई जगदीश कहां से आया?
कहु कौने भरमाया
अल्लह, राम, करीमा, केशव
हरि हजरत नाम धराया ।

अल्लाह और भगवान ये दो जगदीश कहाँ से आ गए? सत्य यही है कि एक ही परमात्मा के अनेक नाम हैं.संत कबीर साहब धर्म के ठेकेदारों से पूछते हैं कि ये भोले भाले इंसानों को किसने भरमा दिया है? हर इंसान का परमात्मा से सीधा संबंध है,फिर धर्म के बिचौलियों की जरुरत क्या है? इन्ही बिचौलियों के शिकार कुछ लोग हो गए हैं,जिनके बारे में मौलवियों का कहना है कि ‘अब वो न हिंदू हैं ना मुसलमान.उनसे अल्लाह और भगवान दोनों नाराज हो गए हैं.’उन्होंने यूपी के आगरा में झुग्गियों में रहने वाले ५७ मुस्लिम परिवार के लगभग २५० लोगों के लिए ये फरमान जारी किया हैं.हिन्दू धर्म अपनाकर ‘घर वापसी’ किये ये लोग अब न नए घर के हैं और न ही पुराने घर के.आगरा शहर के मौलवियों ने कहा है कि धर्म परिवर्तन करने वाले लोग अब न तो हिंदू ही हैं और ना ही मुसलमान.इन लोगों को उनके बुरे कार्य के लिए के लिए अब न तो अल्लाह माफ करेगा ना ही भगवान.धर्म परिवर्तन के बाद बेहद भयभीत और हताश निराश लोग जब मौलवियों के पैर पकड़कर रोते हुए माफ़ी के लिए गिड़गिड़ातें हैं तो गरीबों को धर्म और अल्लाह के नाम पर डराने धमकाने वाले मौलवी कुछ पसीजकर उपाय भी बताते हैं,‘आपने जुर्म किया है.अब तुम्हें दोबारा शादी करना होगा,दोबारा कलमा पढ़ना होगा और मुस्लिम बनने के लिए दोबारा इस्लाम के अहम नियमों को अपनाना होगा.केवल तभी तुम्हें माफी मिल सकती है.’
कुछ दिन पहले एक समारोह में झुग्गी में रहने वाले ५७ मुस्लिम परिवारों को संघ के अनुसांगिक संगठन ‘धर्म जागरण समन्वय मंच’ और बजरंग दल ने ‘शुद्धिकरण हवन’ कार्यक्रम आयोजित करके हिंदू धर्म में शामिल कराया था और इसे ‘पुरखों की घर वापसी’ कहा था.अगले ही दिन से इसपर राजनीती शुरू हो गई.आगरा से लेकर दिल्ली तक और सड़क से लेकर संसद तक होहल्ला मचना शुरू हो गया.सारे विपक्षी दलों ने संसद के कामकाज को बाधित करते हुए एक स्वर से चिल्लाना शुरू कर दिया कि यह हिन्दू संगठनों द्वारा जोर जबरदस्ती से किया गया धर्म परिवर्तन है.धर्म परिवर्तन करने वाले लोग अब आंसू बहाते हुए बहुत मासूमियत से कह रहे हैं कि हिन्दू संगठनों के लोंगो ने हमें राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड बनवाने का लालच दिया.उन्होंने हमसे कहा था कि हम अपनी जमीं पर पूजा करना चाहते हैं.हमने भी इस पूजा में हिस्सा लिया.इस पूजा के बाद उन्होंने यह दावा कर दिया कि अब आप सब लोग हिंदू बन गए हैं.हालाँकि वो लोग इस बात का कोई जबाब नहीं दे पा रहे हैं कि उन्होंने धर्म परिवर्तन अपनी स्वेच्छा से करने के शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर क्यों किये?
धार्मिक दृष्टि से वो धर्म परिवर्तन के दोषी हैं या निर्दोष और उन्होंने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया या जोर जबरदस्ती से,यह अब निष्पक्ष जाँच का विषय बन गया है.यह समाचार पढ़कर मुझे बहुत दुख हुआ.झुग्गी झोपड़ी मे रहने वाला एक गरीब और मजदूर आदमी सांसारिक धर्म परिवर्तन कर लिया तो इतनी हाय तोबा मची हुई है.ना वो हिन्दू रहा ना मुसलमान.बहुत सारे बड़े नेता और अभिनेता अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये ये सब किये हैं.पति हिन्दू है तो पत्नी मुसलमान और कही पर पत्नी हिन्दू है और पति मुसलमान.यहाँ तक कि उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी अपनी स्वेच्छा से हिन्दू या मुस्लिम धर्म से संबंधित रखे हुए हैं.वो हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी.परन्तु किसी पण्डित या मौलवी मे इतनी हिम्मत नहीं है कि उन्हे धर्म से बाहर कर दे.धर्म और धर्म के ठेकेदारों की हुकूमत सिर्फ गरीब और अनपढ लोंगो पर ही चलती है.ये देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि धर्म के सारे नियम कानून सिर्फ गरीब और अनपढ आदमी पर ही लागू हैं.अमीर और सत्तासीन आदमी इस देश में अपनी सुख-सुविधा के अनुसार धर्म बना लेता है.उसके खिलाफ किसी में बोलने क़ी तो बात दूर रही,धार्मिक लोग उलटे अपनी स्वार्थपूर्ति करने के लिए और उनसे चंदे क़ी मोटी रकम हासिल करने के लिए उनकी जी हुजूरी करते हैं.
हिन्दू संगठनों द्वारा धर्म परिवर्तन करने का कार्क्रम आयोजित करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है.यह केवल ईसाई मिशनरियों क़ी बेवकूफी भरी नक़ल और पूर्व में मुस्लिमों द्वारा तलवार के बल पर किये गए धर्मान्तरण का बदला लेना भर है.इन सब कार्यक्रमों से हिन्दुओं को कुछ भी हासिल नहीं होगा,बल्कि उलटे देश में अशांति और अराजकता फैलेगी.देश का विकास करने और उसे विश्वगुरु का दर्जा दिलाने में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को वो कमजोर करेंगे.इससे भारत और हिन्दुओं क़ी छवि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर ख़राब होगी.हिन्दू संगठनों को अपनी ऊर्जा व्यर्थ के कार्यों में खपाने क़ी बजाय हिन्दू धर्म को संगठित,मजबूत और उदार बनाकर स्वेच्छा से अपनाने योग्य बनाना चाहिए.हिन्दू धर्म में आज भी कमियों क़ी भरमार है,जिसे दूर करने पर हमें ध्यान देना चाहिए.हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी बुराइयाँ है-छुआछूत, जातपात और भेदभाव.उंची जाति के लोग अपने से निम्न जाति के लोंगो से घृणा करते हैं.उनकी मदद करने की बजाय उल्टे उनका शोषण करते हैं.ये लोग जब जन्मजात जो हिन्दू हैं,उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं तो जो धर्म परिवर्तन करके आएंगे,उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे,इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.हिन्दुओं का न तो कोई एक सर्वमान्य धर्मगुरु है,न कोई एक धर्मग्रंथ और न ही कोई एक देवता.यही वजह है कि हिन्दुओं मे एकता नही है.भारत में समय समय पर गरीब व निम्न जाति के लोंगो के द्वारा धर्मपरिवर्तन करने का कारण् भी यही है.
क्या कभी किसी शंकराचार्य ने जातिप्रथा समाप्त करने के लिये कोई आन्दोलन चलाया है? नहीं, क्योंकि वो स्वयं जातिप्रथा, छुआछूत ओर भेदभाव के पोषक हैं.हिन्दुओं मे धर्मपरिवर्तन के लिये वास्तव मे यही लोग जिम्मेदार भी हैं.ऊँची जाति के लोग सदियो से इसी जाति व्यवस्था और भेदभाव के तहत राज और शोषण करते आये हैं,इसीलिए वो भी कभी नहीं चाहेंगे कि हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी बुराई जाति प्रथा ख़त्म हो.हिन्दू और मुस्लिम दोनों को मैं ये सन्देश देना चाहूंगा कि वास्तव में परमात्मा ही हम सबका एकमात्र धर्म है और अज्ञानतावश जिसे हम धर्म समझते हैं,वो सब परमात्मा तक पहुँचने के विभिन्न पंथ मात्र हैं.हम हिन्दू,मुस्लिम,सिख और ईसाई आदि किसी भी पंथ पर चलकर उसके पास पहुंचे,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.आज धर्म के नाम पर दुनियाभर में जारी सारे झगडे फसाद की जड़ अहंकार और आध्यात्मिक अज्ञानता है,जिसके वशीभूत होकर विभिन्न पंथों के लोग केवल अपना प्रभुत्व ज़माने के लिए और अपने अनुयायी बढ़ाने के लिए एक दुसरे से लड़ रहे है.काल्पनिक मत-मतान्तरों के पीछे भागने वाले ये लोग सबके ह्रदय में बसने वाले ईश्वर से अनभिज्ञ और शाश्वत आध्यात्मिक उन्नति से अभी कोसों दूर हैं.यही कारण है कि परमात्मा इन्हे सब जगह और सबमें नजर नहीं आता है.यदि नजर आता तो संसार में सर्वत्र सर्वव्यापी परमात्मा का प्राकट्य हो जाता और ये धरती स्वर्ग से भी सुन्दर बन जाती.अंत में हिन्दू और मुसलमान दोनों के लिए संत कबीर साहब का इंसानियत और प्रेम-भाईचारे से भरा शाश्वत सन्देश प्रस्तुत है-
गहना एक कनक ते गहना
यामे भाव न दूजा॥
कहन सुनन को दुई करि थापे।
इक निमाज एक पूजा॥
वही महादेव वही मुहम्मद ।
ब्रह्‌मा आदम कहिए
को हिन्दू को तुरक कहावे,
एक जिमीं पर रहिए॥

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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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