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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता की कामना

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता की कामना
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मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है!
हाथ लगाओ डर जायेगी,
बाहर निकालो मर जायेगी!

मेरी तीन साल की बिटिया जन्मदिन पर उपहार में मिली हुई ‘बाल कविता’ के पन्ने खोलकर रटी हुई ये कविता बोल रही थी और मैं हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का मार्मिक और बहुत प्रभावी भाषण सुन रहा था. उनका भाषण और बिटिया की कविता सुनते हुए मैं सोच रहा था कि बिटिया रूपी मछली माता के गर्भ में जल के बीच रहने वाली रानी होती है, परन्तु भ्रूण हत्या करने वाले कसाई डाक्टरों का हाथ लगते ही डर जाती है और और उनके द्वारा माँ के गर्भ रूपी जल से बाहर निकालते ही मर जाती है. पता नहीं कितना कठोर कलेजा करके माताएं भ्रूण हत्याएं करवातीं हैं और रूपये के लोभी डॉक्टर ऐसी हत्याएं करते हैं. अपनी बिटिया के बारे में सोचता हूँ तो मुझे यही लगता है कि उसके बिना अब मेरा कोई अस्तित्व नहीं. जब वो आठ महीने की थी और दिमागी ज्वर से पीड़ित हो कोमा में चली गई थी तब हॉस्पिटल में रातभर जागते और ठण्ड में ठिठुरते हुए हम पति पत्नी बस यही सोचते रहे कि बिटिया यदि साथ छोड़ गई तो हमें घर वापस जाना चाहिए कि नहीं..वो नहीं तो किस बात का घर और कैसा घर..
भगवान ने उसकी सेवा करनी लिखी थी, इसलिए वो मौत के मुंह से बाहर निकल आई. अब भी वो दिन याद कर हमलोग बहुत भावुक हो जाते हैं. लड़कियों के संबंध में ये एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि इस युग में भी अनगिनत लोग न सिर्फ लड़कियों को पैदा होने से रोक रहे हैं, बल्कि जो हैं, उन्हें उनके अधिकारों से भी वंचित कर रहे हैं. लड़के लड़कियों का लिंग अनुपात बिगड़ने और लड़कियों पर होने वाले तरह तरह के शोषण का मूल कारण भी यही है. प्रधानमंत्रीजी का भाषण सुनते हुए दो बार मैं बहुत भावुक हुआ. पहली बार जब प्रधानमंत्रीजी ने कहा कि रूपये के लालच में कन्या भ्रूण हत्या करने वाले डॉक्टर खाना खाते समय क्या कभी ये सोचते हैं कि ये खाना किसी महिला ने बनाया है? दूसरी बार उन्होंने विशाल जनसमूह को बताया कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की ब्रॉड एबेंसडर माधुरी दीक्षित की माताजी आईसीयू में भर्ती हैं, फिर भी वो इस कार्क्रम में आई हुई हैं. ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता के लिए जीजान से जुटी माधुरी दीक्षित अपने सम्बोधन में अपने माताजी की बीमारी की कोई चर्चा नहीं की थीं और मुस्कुराते हुए अभियान की सफलता की कामना ही करती रहीं. एक पुरानी फिल्म ;बादल’ के एक गीत के ये बोल याद आ गए..
खुदगर्ज़ दुनिया में ये, इनसान की पहचान है
जो पराई आग में जल जाये, वो इनसान है
अपने लिये जिये तो क्या जिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये

प्रधानमंत्रीजी ने अपने भावुक सम्बोधन में कहा कि मैं आपके बीच बहुत बड़ी पीड़ा लेकर आया हूं कि कैसे एक कन्या मां के पेट में मार दी जाती है. ‘हम २१वीं सदी के लोग हैं’ यह कहलाने के लायक हम नहीं है. हमारी सोच आज भी 18वीं सदी के जैसी है. उस समय लड़कियों के पैदा होने के बाद दूध से भरे बर्तन में डुबोकर मार दिया जाता था, परन्तु अब तो उसे पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है. प्रधानमंत्रीजी की बात से मैं सौ फीसदी सहमत हूँ. हमारे देश के बहुत से लोग लड़कों के लिए और बहुत से लोग एक लड़का और एक लड़की का कम्बीनेशन बनाने के लिए न जाने कितनी लड़कियों की भ्रूण हत्या करवा डालते हैं और फिर ये हत्यारे सबसे बड़े गर्व से कहते हैं कि हमारा तो लड़के हैं या फिर कहते हैं कि हमारा तो एक लड़का और एक लड़की है, हम लड़का और लड़की में भेदभाव नहीं करते हैं. प्रधानमंत्रीजी ने लड़कियों से होने वाले भेदभाव कि चर्चा करते हुए कहा कि अगर घर में खाना बना हो और मां ऊपर से बच्चों को घी दे रही हो तो बेटे को दो चम्मच और बेटी को एक चम्मच देती है. यह सोच सिर्फ हरियाणा की नहीं है पूरे देश की है.
प्रधानमंत्रीजी ने लड़कों द्वारा अपने बूढ़े माँ बाप को वृद्धाश्रम में भेजने और बुढ़ापे में बेटियों के साथ देने की सच्चाई बयान करते हुए कहा कि अगर बेटे बुढापे में काम आते तो इतने वृद्धाआश्रम नहीं खुले होते. ऐसी सैकड़ों बेटियां है जो मां बाप की सेवा करने के लिए अपने सपने चूर कर देती हैं. उन्होंने कहा कि आज लड़कियां शिक्षा से लेकर नौकरी तक हर क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं. प्रधानमंत्रीजी ने विशाल जनसभा में उपस्थित लोंगो को बेटी बचाने और उसे पढ़ाने के लिए शपथ दिलाई तथा उन्होंने लड़की पैदा होने पर पूरे गांव में जश्न मनाने और उसके नाम से पांच पेड़ लगाने की सलाह दी. ‘बेटी बचाओ’ अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश की सरकार ने की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने इसमें ‘बेटी पढ़ाओ’ शब्द और जोड़ दिया है. अंत में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कई सदियों के बाद मिले भारत के हर तरह से काबिल प्रधानमंत्रीजी के लिए क्या कहूँ, बस सर्व्यापी सर्वेश्वरी माँ से यही प्रार्थना कि जुग जुग जीवे माँ भारत का ऐसा सुयोग्य प्रधानमंत्री..
भोर भई दिन चढ गया मेरी अँबे,
भोर भई दिन चढ गया मेरी अँबे
हो रही जयजयकार मन्दर विच,
आरती जय माँ, आरती जय माँ
हे दरबाराँ वाली, आरती जय माँ
हे पहाडाँ वाली, आरती जय माँ

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आलेख और प्रस्तुति=सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कन्द्वा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६.
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