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दिल्ली में ‘अवसरवादी सरकार’ नहीं, ‘अच्छी सरकार’ चाहिए

सद्गुरुजी
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दिल्ली में ‘अवसरवादी सरकार’ नहीं, ‘अच्छी सरकार’ चाहिए
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दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली के विकास के लिए एक स्थिर सरकार जरुरी है. खंडित जनादेश से दिल्ली का विकास न सिर्फ अवरुद्ध करेगा, बल्कि दिल्ली की सत्ता एक बार फिर मनमौजी और अवसरवादी हाथों में चली जाएगी, जैसा कि पिछले साल ४९ दिन के लिए हुआ था. दिल्ली में नई किस्म की ईमानदार, पारदर्शी और विकास करनेवाली राजनीति लाने का झूठा वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर सत्ता में आए, परन्तु दो महीने से पहले ही सरकार छोड़ कर भाग खड़े हुए थे. उन्होंने दिल्ली की जनता को बहुत बड़ा धोखा देते हुए उन्होंने बेहद चालाकी से भागने की अपनी रणनीति बनाई थी. यहाँ तक कि सरकार के जाने का समय और मुद्दा सबकुछ पहले से तय कर लिया था. दरअसल वो दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बावजूद भी अपने पद से संतुष्ट नहीं थे और जनता से किये गए अपने चुनावी वादों को पूरा करने में खुद को पूरी तरह से असफल और असमर्थ पा रहे थे. सबसे बड़ी बात ये कि वो अब प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे थे. यही वजह थी कि लोकसभा चुनाव में उतरने की हड़बड़ी में केजरीवाल जी ने जन लोकपाल बिल को कुर्सी छोड़ने का झूठा बहाना बना कर उपराज्यपाल नजीब जंग जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. आम आदमी पार्टी ने अपने ४९ दिनों के असफल और दिल्ली के विकास को बुरी तरह से अवरुद्ध करने वाले कार्यकाल में देश की जनता और बुद्धिजीवियों के द्वारा ‘पॉप्युलिस्ट ऐनर्की’ की उपाधि प्राप्त की थी.
मुझे याद है कि पिछले साल सन २०१४ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संदेश में किसी पार्टी या उसके कार्यक्रमों का उल्लेख किये बिना राष्ट्रपति जी ने आम आदमी पार्टी पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कहा था कि ‘पॉप्युलिस्ट ऐनर्की’ यानी लोकलुभावन अराजकता कभी भी ‘गुड गवर्नेंस’ की न तो जगह ले सकती है और न ही ‘पॉप्युलिस्ट ऐनर्की’ ‘गुड गवर्नेंस’ का विकल्प हो सकती है. उन्होंने कहा था कि सरकार कोई ‘चैरिटी शॉप’ नहीं है. राजनीतिक दल जनता से झूठे और बड़े-बड़े वादे करते हैं, परन्तु उसे पूरा नहीं करते हैं, इसीलिए आमजनता के बीच निराशा और अराजकता फैलती है. राष्ट्रपति जी ने उस समय अपने सम्बोधन में कहा था कि सार्वजनिक जीवन में पाखंड का बढ़ना भी खतरनाक है. जो लोग मतदाताओं का भरोसा चाहते हैं, उन्हें केवल वही वायदा करना चाहिए जिसे पूरा करना संभव हो. राष्ट्रपति महोदय का यह कहना आज भी प्रासंगिक है कि आने वाले चुनाव में कौन जीतता है, यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना यह बात कि चाहे जो जीते, उसमें स्थायित्व, ईमानदारी तथा भारत के विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता हो. अब समय आ गया है कि हम आत्ममंथन करें और आगे बढ़ें. राष्ट्रपति जी बिल्कुल सही कहा था. यदि इस बात पर हम विचार करें कि स्थायित्व, ईमानदारी तथा दिल्ली ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के विकास के प्रति आज किस राजनीतिक दल में अटूट प्रतिबद्धता है तो इसका एक ही उत्तर हम पाएंगे और वो है, भारतीय जनता पार्टी.
‘पॉप्युलिस्ट ऐनर्की’ यानी लोकलुभावन अराजकता में पूरा यकीन रखने वाली आम आदमी पार्टी से आज अर्थशास्त्री, विदेशी निवेशक और यहाँ तक कि भारतीय शेयर बाजार यानि दलाल स्ट्रीट भी चिंतित है. सबको यही चिंता है कि आम आदमी पार्टी यदि सत्ता में आती है तो ‘पॉप्युलिस्ट पॉलिसीज’ यानि लोकलुभावनी योजनाएं चलाकर वो दिल्ली ही नहीं बल्कि पुरे देश की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था को अवरुद्ध कर सकती है. वो चाहे दिल्ली में निवेश करने वाले देशी-विदेशी निवेशक हों या भारतीय पूंजी बाजार में बड़े निवेश करने का मन बना रहे देशी विदेशी उद्योगपति हों, उन सबकी निगाहें इस समय दिल्ली के चुनाव पर है. दिल्ली के समझदार मतदाताओं को इस ओर जरूर ध्यान देना चाहिए. आम आदमी पार्टी को समर्थन या खंडित जनादेश दिल्ली के विकास ओर उसकी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की बजाय वर्षों पीछे ले जा सकती है. जनता को यह समझना चाहिए कि लोकलुभावने झूठे वादे करनेवाले नेता और उनकी तथाकथित पार्टियां किसी भी तरह से विश्वास के लायक नहीं हैं. दिल्ली की जनता केजरीवाल जी की मनमौजी अवसरवादी सरकार नहीं बल्कि, किरण बेदी जी के नेतृत्व में स्थायी, ईमानदार और विकास करने वाली अच्छी सरकार चुने.
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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम-घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६.

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