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बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार प्रीपेड सेवा शुरू करे

सद्गुरुजी
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बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार प्रीपेड सेवा शुरू करे
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अंदाज़ अपने देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो

अक़बर इलाहाबादी का ये शेर बिजली विभाग पर बिल्कुल फिट बैठता है. यूपीपीसीएल के बिजली बिल घोटाले ने पूरे प्रदेश में हंगामा मचा दिया है. इस घोटाले की जांच का दायरा एसटीएफ जैसे- जैसे आगे बढ़ा रही है, वैसे वैसे कई सौ करोड़ रुपये के बिजली चोरी के बिजली चोरी के अजब-गजब तरीके देखने को मिल रहा है. बिजली बिलों में हेराफेरी के इस खेल में ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम में बिलिंग व्यवस्था से जुड़े हुए और बिलों के बदलाव में सीधे दखल देने की हैसियत रखने वाले ५०० से ज्यादा एसडीओ और लगभग ३०० से ज्यादा इंजीनियर सीधे तौर पर जांच के दायरे में आ गए हैं. इन जिम्मेदार अधिकारीयों की यूजर आईडी से बिजली बिलों में भारी रियायत दी जा रही थी. बिजली चोरी को बढ़ावा देने वाला ये पूरा घोटाला कितने का है, सूबे में कितने बिलों में और कितना संशोधन किया गया, कितने अधिकारियों के पासवर्ड का इस्तेमाल किया गया यह सर्वर के डाटा बेस की जांच के बाद ही पता चलेगा. इसलिए इस घोटाले की जांच में लगे एसटीएफ ने पॉवर कॉरपोरेशन से इंजीनियरों को आवंटित ६५०० यूजर आईडी और पासवर्ड मांगे हैं.
एसटीएफ ने अबतक कुछ हजार बिलों की ही जाँच की है, जिनमें बड़े पैमाने पर बिजली के बड़े बकायेदारों को छूट देकर राजस्य को भारी क्षति पहुंचाई गई है. एसटीएफ ये छानबीन भी कर रही है कि किन अधिकारीयों की आईडी से सबसे ज्यादा रियायत दी जा रही थी. प्रदेश भर में पावर कॉरपोरेशन के २५४ डिवीजनों के लगभग १००० से ज्यादा सब स्टेशनों में तैनात होकर ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम पर नजर रखने वाले अधिकतर एसडीओ और इंजीनियर जांच के दायरे में हैं. इनमें से ज्यादातर इंजीनियर आन लाइन बिलिंग व्यवस्था से जुड़े हुए थे. विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि अगर सीएजी ऑडिट हो तो ये घोटाला १००० करोड़ रुपये से भी ज्यादा का होगा. विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से इस मामले सीएजी से ऑडिट कराने की मांग की है. सीएजी रिपोर्ट आने तक उसने बिजली दरों में कि गई वृद्धि पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है. उसका कहना है कि पिछले ३ वर्षों में ५० प्रतिशत तक बिजली की दरों में बढोतरी हुई है, लेकिन बिजली कंपनियों को उस अनुपात में राजस्व नहीं मिला है, जिससे उनका घाटा बढ़ा है.
एसटीएफ ने अभी कुछ दिनों पहले लखनऊ महानगर इलाके से तीन बड़े जालसाजों को धर दबोचा था, जो उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन की ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम में अपनी फर्जी यूजर आईडी बनाकर लोगों के बिल कम करके फर्जी तरीके से पैसा जमा करने का कार्य करते थे. उनकी इस जालसाजी में यूपी पावर कारपोरेशन के कुछ पुराने कर्मचारी भी शामिल थे, जो बिजली विभाग में कभी तकनीकी विशेषज्ञ थे. ये लोग अधिकारियों की ई-मेल आईडी व उनके पासवर्ड का प्रयोग कर विद्युत बिलो को रूपये लेकर कम कर देते थे. इनके साथ बहुत से ऐसे लोग भी जुड़े थे, जो बिलो की धनराशि कम कराने की दलाली करने का कार्य करते थे. ये लोग उपभोक्ताओं के बिलों में हेराफेरी कर बिलो की धनराशि को फर्जी तरीके से कम कर यूपीपीसीएल के राजस्व को भारी क्षति पहुंचा रहे थे. इस बिलिंग घोटाले का एसटीएफ द्वारा खुलासा करने के बाद बिजली कंपनियों व पावर कॉरपोरेशन में हड़कंप मच गया है. विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने नियामक आयोग के सचिव अरुण कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात कर बिलिंग घोटालों की सीएजी से ऑडिट कराने की मांग की है.बिजली बिल घोटाले ने एक बात अब खुलेआम सिद्ध कर दी है कि बिजली चोरों को संरक्षण देने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की फौज यूपीपीसीएल की ही है.
बहुतों ने तो बिजली चोरी करने वाले उपभोक्ताओं से हर महीने की एक निश्चित रकम बाँध रखी है. लाइन लॉस बढ़ता जा रहा है और सरकारी राजस्व कम होता चला जा रहा है. बिजली विभाग वाले समय पर बिजली का बिल जमा करने वाले ईमादार उपभोक्ताओं को ही ज्यादा परेशान करते हैं. राजस्व वसूली के सरकारी दबाब के कारण वे जब भी छापेमारी के लिए सक्रीय होते है, वो राजस्व वसूली कम और लोगों को डरा धमकाकर अवैध वसूली ज्यादा करते हैं. वो ईमानदार उपभोक्ताओं को ही सबसे ज्यादा छेड़ते हैं. लोड़ बढ़ाने के नाम पर अर्थदंड, एफआईआर या फिर अवैध भुगतान बहुधा उन्हें ही सबसे ज्यादा झेलना पड़ता है. बिजली चोरी को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है. राजनीतिक दबाब के कारण ही दलित-बस्ती, मुस्लिम-बस्ती और ग्रामीण इलाके के लोग विशेष छूट पा रहे हैं. सबसे ज्यादा बिजली चोरी करने वाले कटियामार भी इन्ही क्षेत्रों में हैं. उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को मेरी सलाह है कि बिजली चोरी रोकने के लिए मोबाइल की तरह बिजली के क्षेत्र में भी प्रीपेड (पूर्वभुगतान) की सेवा शुरू करें. महज सौ सवा सौ वोल्ट बिजली पाने वाला और न्यूट्रल विहीन (केवल फेस आता है) क्षेत्र में रहने वाला होकर भी मैं यूपीपीसीएल का पहला प्रीपेड ग्राहक बनने को तैयार हूँ. लेख के अंत में जनाब अक़बर इलाहाबादी का एक शेर फिर अर्ज है.
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६.
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