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होत न एक समान सब दिन होत न एक समान-सूरदासजी

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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होत न एक समान सब दिन होत न एक समान-सूरदासजी
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एक दिन राजा हरिश्चन्द्र घर,
सम्पति मेरू समान ।
एक दिन जाय स्वपच घर बिक गयो
अंबर हरत मसान ।।
होत न एक समान
सब दिन होत न एक समान ।।

ये भक्त सूरदास जी का भजन है, जो उन राजनेताओं पर खरा उतरता है जो तरह-तरह के घोटाले और भ्रस्टाचार करके इस समय जेलों में बंद हैं। ये लोग सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र तो नहीं थे, परन्तु राजाओं की तरह के ठाट-बाट थे । भ्रस्टाचार और घोटाले करके इतनी सम्पत्ति अर्जित किये की कुबेर भी शरमा जाएँ । राजा हरिश्चन्द्र जी सत्य की रक्षा के लिए बिक गये थे और अन्तोगत्वा उन्हें श्मशान में जाकर नौकरी करनी पड़ी । ये भ्रस्ट नेता धन के लिए अपना इमान बेच दिए। जनता की खून-पसीने की कमाई का करोड़ों-अरबों का घोटाला करके डकार गए और ऊपर से झूठ भी बोलते रहे। दसों-बीसों साल आरोपी बनकर भी सत्ता का मजा लूटते रहे। समय ने आखिर करवट बदला और अपने कुकर्मों का फल भोगने के लिए ये लोग जेल गए हैं। ये लोग निश्चिन्त थे की केस-मुकदमों में ही उम्र बीत जाएगी। श्मशान जाने से पहले इन्हें जेल हो गई है, ये समय का और हमारे स्वतंत्र न्यायपालिका का ही कमाल है। हालाँकि कमाल यह भी है कि कुछ नेता पैसे और पहुँच के बल पर जेल से बाहर आ फिर से अपनी रिजर्व राजगद्दी संभाल लिए हैं।

कबहुँक राम जानकी के संग,
विचरत पुष्प विमान ।
कबहुँक रुदन करत हम देखे
माधो सघन-उद्यान ।।
होत न एक समान
सब दिन होत न एक समान ।।

सूरदास जी वैसे तो यहाँ पर भगवान रामचंद्र और सीता जी की चर्चा किये हैं कि अच्छे समय में वो पुष्पक विमान से यहाँ-वहां विचरण करते थे और ख़राब समय आया तो एक दूसरे के वियोग में सीताजी अशोक वाटिका में रो रहीं थीं और रामचंद्र जी जंगलों में उन्हें ढूंढ़ते हुए रो रहे थे। भ्रस्ट नेता जनता का रुपया लूटकर विदेशी बैंकों में जमा करतें हैं,आज के पुष्पक विमान यानि हवाई जहाज से सफ़र करतें हैं, विदेशों की सैर करते हैं, जनता के धन पर हर तरह का एशो-आराम करते हैं, पार्टी को अपने इशारों पर नचातें हैं और जो पार्टी सत्ता में रहती है उससे जुड़कर सत्ता-सुख भी भोगतें हैं। अल्पमत सरकारों को ब्लैकमेल करने का और सौभाग्य से कभी-कभी किंगमेकर बनने का भी मौका मिलता है। यूँ तो बहुत सावधानी से भ्रस्ट नेता घोटाले करते हैं, परन्तु किसी घोटाले में फंसने पर यदि जेल जाना भी पड़ा तो चिंता की क्या बात है? आरोपी बनकर कुछ साल केस-मुकदमे लड़ने में बीत जायेंगे। दुर्भाग्य से यदि सजा से बचने का कोई जुगाड़ न हुआ, दोषी सिद्ध हो गये और जेल में रहना पड़े तो भी चिंता की कोई बात नहीं, पत्नी-बच्चे किस दिन काम आयेंगे। अपनी पार्टी को जिन नेताओं ने पर्सनल प्रापर्टी बना रखा है, उन्हें किस बात की चिंता?

राजा युधिष्ठिर धरम-सिंहासन,
अनुचर श्रीभगवान् ।
कबहुँक द्रौपदी रुदन करत है,
चीर दुशासन तान ।।
होत न एक समान
सब दिन होत न एक समान ।।

सूरदास जी यहाँ पर चर्चा राजा युधिष्ठर, भगवान श्री कृष्ण, द्रौपदी और दुष्ट दुशासन की किये हैं। वो पुरानी कथा सभी जानते हैं। आज कथा तो वही है। बस पात्र बदल गये हैं। आज भी सत्तासीन हर राजा अपने को सत्यवादी युधिष्ठर ही समझता है और जबतक सत्ता रहती है वो जनता को यही समझाने की कोशिश करता है कि मै सच्चा व् इमानदार हूँ। आज के समय में जनता द्रौपदी है, जिसके तन, मन और धन तीनो का चीरहरण हो रहा है। भ्रस्ट नेता दुशासन हैं, इसमें क्या संदेह है। अब एक पात्र रह गए भगवान श्री कृष्ण। जब न्यायालय में सजा सुनाई गई तो घोटाले के दोषी एक नेता ने जज साहब के सामने हाथ जोड़कर कह ही दिया-”आप भगवान के समान हैं।” आज न्यायपालिका को भगवान श्री कृष्ण बनना ही पड़ेगा, भ्रस्ट व् घोटालेबाज नेताओं को कड़ी से कड़ी सजा देनी ही पड़ेगी, तभी देश का व् जनता का भला होगा।

कब हुँक जननी जनत अंक,
विधी लिखत लाभ अरू हान ।
सूरदास होनी सो होई है
विधना अंक प्रमाण ।।
होत न एक समान
सब दिन होत न एक समान ।।

अपने भजन के अंत में सूरदास जी कहतें हैं कि मां के गर्भ में ही विधाता बच्चे का भाग्य लिख देते हैं। होगा वही जो विधाता चाहता है। विधाता मां के गर्भ में ही लाभ-हानि, यश-अपयश सब लिख देता है। बच्चे के भाग्य में यदि नेता बनना और घोटाले करना लिखा है तो कौन रोक सकता है? यही तो देश का दुर्भाग्य है कि हम लोग हर चीज को विधाता की इच्छा मान लेते हैं। जो नेता भ्रस्टाचार और घोटाले करके जेलों में बंद हैं, उनमे से अधिकतर जेल जाकर अपनी जाति और अपने धर्म वालों की नज़र में हीरो बन जायेंगे और जेल से बाहर आकर जनता की सहानुभूति के वोट पाकर घपले-घोटाले करने को सत्ता के गलियारे में फिर पहुँच जायेंगे। ये देश की जनता का दोष है की वो भ्रष्ट नेताओं को बार-बार चुनती है और वो बार-बार जनता को व् देश को लूटते हैं। अब तो बहुत गंभीरता से जाति और धर्म के संकीर्ण दायरे से बाहर निकलकर हमें ये सोचना होगा कि हम क्या चाहतें हैं? आप कहेंगे हम क्या कर सकतें हैं? देश का पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट होगया है। इस भ्रष्ट सिस्टम को ठीक कौन करेगा? ये काम हम सब को ही मिलकर करना होगा। आइये संकल्प लें कि अब भविष्य में हम सब मिलकर सदा सर्वदा जाति-धर्म के संकीर्ण घेरे से बाहर निकलकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जैसे देशभक्त और ईमानदार नेताओं को देश की बागडोर सौपेंगे, जो जनता व् देश का चहुंमुखी विकास करें। हम सब देशवासी मिलकर ऐसा कर कर सकतें हैं। कवि राम अवतार त्यागी जी कहतें हैं-

आदमी चाहे तो
तक़दीर बदल सकता है,
पूरी दुनिया की वो
तस्वीर बदल सकता है,
आदमी सोच तो ले
उसका इरादा क्या है?

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