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बलात्कारियों को तो सरेआम फांसी की सजा दी जानी चाहिए

सद्गुरुजी
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बलात्कारियों को सरेआम फांसी की सजा दी जानी चाहिए

खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई
तोड़ दो हाथ गर हाथ उठने लगे,
छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियो !
कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो !

मशहूर शायर जनाब कैफ़ी आज़मी जी ने इस गीत में हमें स्वाभिमान के साथ जीने और राम व लक्ष्मण बनकर महिलाओं के आबरू की रक्षा करने का संदेश दिया है। इतिहास गवाह है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने न सिर्फ हिन्दुस्तान को लूटा, बल्कि हमारी अनगिनत बहन बेटियों की इज्जत भी लूटी और हम उन क्रूर विधर्मियों से बदला लेने की तो बात दूर रही, उल्टे कई सदियों तक उनके गुलाम रहे। उस समय हम विदेशी रावणों के गुलाम थे, शक्तिहीन और मजबूर थे, इसलिए कुछ कर न सके। परन्तु आज तो हिन्दुस्तान आजाद है, फिर क्यों रोज ही अनगिनत बहन-बेटियों की इज्जत स्वदेशी रावणों के द्वारा लूटी जा रही है? सीता का दामन छूने की तो बात छोड़िये, आज के रावण तो सीता का पाक दामन तार तार कर और उनकी नृशंस ह्त्या कर दुःसाहस और दुष्टता में त्रेतायुग के रावण को भी मात दे दिए हैं। रावण ने सीता का अपहरण जरूर किया था, परन्तु उन्हें पूरे सम्मान के साथ अपने यहाँ रखा था। किन्तु आज के दुष्कर्मी, बलात्कारी व हत्यारे रावण कुकर्म करने में त्रेतायुग के रावण से भी ज्यादा नीचे गिरे हुए हैं।

महिलाओं और बच्चियों से बलात्कार कर उनकी ह्त्या कर देने की कई घटनाएँ रोज ही अख़बारों, न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया की सनसनीखेज सुर्खियां बनती हैं। संवेदनशील और महिलाओं की इज्जत करने वाले लोग इन घटनाओं को पढ़कर या देख सुनकर बहुत दुखी होते हैं, परन्तु अधिकतर लोग इसकी उपेक्षा करते हुए अपनी मौज-मस्ती में मगन रहते हैं। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं है कि समाज में रावणों की संख्या बढ़ने से एक दिन कोई रावण उनके द्वार पर भी दस्तक दे सकता है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के मुद्दे पर समाज की उपेक्षा और उदासीनता देखकर मेरे मन में सवाल उठता है कि देश में हजारों सालों से ये सब होता चला आ रहा है। क्या हमारा स्वाभिमान मर गया है या फिर दरिंदों और दबंगों द्वारा बहन-बेटियों की इज्जत से खेलना हमारे देश की पुरानी बीमारी है, जो राजाओं, रजवाड़ों और जमींदारों के वर्चस्व वाले सामंती युग से चली आ रही है?

उत्तर जो भी हो, परन्तु अब इस बीमारी का सही इलाज करना बहुत जरुरी हो गया है, क्योंकि महिलाओं और बच्चियों से बलात्कार कर उनकी ह्त्या कर देने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। मेरे सामने जो अखबार है, उसकी हेडलाइन है, “अगवा कर मासूम संग दुराचार”। अपनी माँ के संग सो रही चार साल की मासूम बच्ची को अगवा कर उसके साथ किसी दरिंदे द्वारा अप्राकृतिक बलात्कार किया गया और फिर उसे धारदार हथियार से जख्मी कर झाड़ियों में फेंक दिया गया। देर रात दो बजे पिता की आँख खुली तो अपनी चार वर्षीय छोटी बच्ची को नदारद पाया। पिता ने बच्ची को ढूंढने के लिए उन पुलिस वालों से मदद लेनी चाही, जिनकी वर्षों से वो सेवा कर रहा था। पर गहरी नींद में सो रहे पुलिस वालों को जगा पाने में असमर्थ और लाचार रहने पर अपने बेटे संग बच्ची को तलाशने में जुट गया। काफी देर तक तलाशने के बाद बुरी तरह से जख्मी और लहूलुहान हालत में बच्ची उसे झाड़ियों में मिली। बच्ची बहुत गंभीर हालत में बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती है। अपराधी अभी तक पकड़ा नहीं गया है। बच्ची के परिवार के लिए यह बहुत बड़ी आफत हैै। गरीब के लिए सबसे बड़ी चीज और सबसे कीमती चीज इज्जत है, जो किसी वहशी ने लूटकर उसके दिल व दिमाग को चूर चूर कर दिया हैै तथा उसे जीते जी मार दिया हैै। अब इस जन्म में तो उसके दिल व दिमाग का दर्द जाने वाला नहीं हैै।

लड़की के पिता ने रोते हुए पत्रकारों से कहा- “हमारी बिटिया की जिंदगी बर्बाद हो गई। अभी उसकी उम्र ही क्या थी? उसे तो यह भी पता नहीं कि उसके साथ हुआ क्या है? अब तो मुझे बस एक ही उम्मीद की किरण दिखाई देती है कि मोदी साहब आएंगे और मेरी बिटिया को न्याय दिलाएंगे।” उस गरीब का तो दिल और विश्वास ही टूट गया होगा, जब उसे पता चला होगा कि मोदी साहब के बनारस आने का दौरा तीसरी बार रद्द हो गया है। यदि मोदीजी बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती होकर जीवन-मृत्यु से जूझती उस बच्ची को देखने जाते हैं या उसके लिए कुछ करते हैं तो एक वोटर के नाते सबसे ज्यादा ख़ुशी मुझे होगी। वो देश की बच्चियों को ऐसे दरिंदों से बचाने के लिए कुछ कड़े कानून बनायें और बलात्कारियों को शीघ्र व अधिकतम सजा दिलाएं। एक बात मोदीजी से और कहूँगा कि काशी ओघड़ दानी दिगम्बर बाबा विश्वनाथ की नगरी है, जो बहुत सीधे और सरल हैं। मत कीजिये तामझाम, बस चले आइये और काशी के कल्याण के लिए जो भी करना हो चुपचाप कर जाइये। शायद भोले बाबा की यही इच्छा हो।

मिडिया में प्रकाशित हुए एक बहुत दुखदायी और आक्रोश पैदा करने वाले समाचार के अनुसार बिहार के रोहतास जिले के नगर थाना क्षेत्र में एक युवक को बंधक बनाकर उसकी दो ममेरी और फुफेरी नाबालिग बहनों के साथ १५ लड़कों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया। वे सभी बुधवार को ताराचंडी मंदिर के दर्शन के लिए गए थे। लौटते समय सभी लोग चंदन शहीद पहाड़ी के समीप घूमने गए, जहांपर पहले से मौजूद १५ लड़कों ने किशोरियों को हथियारों के बल पर रोक लिया और भाई को बंधक बनाकर दोनों किशोरियों के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार किया। सासाराम सदर हॉस्पिटल में भर्ती रेप की शिकार दोनों किशोरियों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। अबतक केवल दो लड़के ही गिरफ्तार हो पाये हैं। बलात्कारियों को सबक सिखाने के लिए और समाज को कानून व सजा का भय दिखाने के लिए इन्हे उसी जगह पर सार्वजनिक रूप से फांसी दे देनी चाहिए, जहाँ पर इन्होने दुष्कर्म करने का दुःसाहस किया है। इनका दुःसाहस देखिये कि ये धार्मिक जगहों पर भी महिलाओं और बच्चियों से निडर होकर दुष्कर्म कर रहे हैं।

ये लेख मैं लिख ही रहा था कि संयोग से एक पुराने परिचित डॉक्टर साहब मिलने चले आये। वार्तालाप के दौरान बलात्कार की घटनाओं का जिक्र करते हुए मैं उनसे पूछा-डॉक्टर साहब! काशी ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में छोटी उम्र के मासूम व नाबालिग बच्चो से बलात्कार करने की घटनाएं दिनोदिन बढ़ती ही चली जा रही हैं, इसका क्या कारण है? क्या ये एक तरह का मनोरोग है? या कुछ और कारण है? डॉक्टर साहब बोले- मनोरोग तो है ही। वासना की हवस में अँधा हो चुका आदमी सोचता है कि बच्चे के साथ वो हर तरह के प्राकृतिक और अप्राकृतिक सेक्स संबंध मनमानी से कर लेगा और बच्चा उसका ज्यादा विरोध नहीं कर पायेगा। इसके साथ ही गुप्तरोगों के शिकार रोगियों के मन में एक अन्धविश्वास भी फैला हुआ है। गुप्त रोगों से ग्रस्त रोगियों के मन में इससे उससे सुना हुआ यह अन्धविश्वास बैठा रहता है कि किसी मासूम नाबालिग बच्चे से सेक्स करने से गुप्तरोग चला जाएगा। जबकि ये एकदम झूठी बात है। उन्हें कायदे अपना इलाज कराना चाहिए। अपने साथ साथ वो मासूम बच्चों की भी जिंदगी बर्बाद करते हैं और उन्हें भी अपने गुप्तरोग के संक्रमण से रोगी बना देते हैं। समाज में फैले सेक्स रोगों और उनके सही इलाज के बारे में जागरूकता लाना बहुत जरुरी है।

डॉक्टर साहब के जाने के बाद बलात्कार की शिकार महिलाओं के बारे में मैं फिर से सोचने लगाै। मेरा ध्यान भ्रस्ट पुलिस तंत्र पर गया। देशभर के अनेक पुलिस थानों में बलात्कार की शिकार महिलाओं की शिकायत जल्दी सुनी ही नहीं जाती है और कई स्थानो पर तो पीड़ित महिला को ही उल्टे खरी-खोटी सुना उनसे दुर्व्यहार करते हुए थाने से दुत्कार कर भगा दिया जाता है। पुलिस जनता की रक्षक कही जाती है, परन्तु यह दुखद है कि कई राज्यों में अनेक पुलिस वालों पर ही बलात्कार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं। जाँच के बाद बहुत से आरोप सच साबित होते हैै। ये खाकी वर्दी पर लगने वाले अविश्वास के दाग सिद्ध हो रहे हैं। ये दाग ईमानदार नेताओं और कर्तव्यपरायण पुलिस वालों का सिर भी शर्म से झुका दे रहे हैं। पुलिस द्वारा बलात्कार, ह्त्या व कई तरह के अन्य अपराधों की न जाने कितनी घटनाएँ पूरे देशभर में प्रतिदिन घट रही हैं। सरकार के लिए यह बहुत चिंता करने वाली और खतरे की बात है कि जनता का विश्वास पुलिस पर से दिनोदिन उठता चला जा रहा है।

देश में कई जगह पर लोग थानों में सुनवाई न होने से और अदालतों में न्याय न मिल से पाने से अराजक और उग्र होकर कानून अपने हाथों में ले लिए। अपराधियों के साथ साथ पुलिस के मन में भी कानून और सजा का कोई खौफ नहीं है। अपराधियों से पुलिस की सांठगांठ कोई नई बात नहीं हैं। पैसे लेकर बलात्कार के न जाने कितने मामले दबा दिए जाते हैं और न जाने कितने ही मामलों में पीड़ित महिला को ही उल्टे डरा धमका कर भगा दिया जाता हैं या फिर बलात्कारी से समझौता करा दिया जाता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि ऐसे मामलों में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। भ्रष्ट पुलिस तंत्र को राज्य सरकारें जबतक ठीक नहीं करेंगी, तबतक बलात्कार की शिकार महिलाओं की न तो थानों पर सुनवाई होगी और न ही उन्हें न्याय मिलेगा। हर तरफ बेखौफ होकर घूमते हवस के भूखे दरिंदों को पुलिस, कानून और सजा का कोई भय नहीं है। कानून और सजा से बचने के लिए इनके पास वकील, पैसा और राजनीतिक पहुँच सभी कुछ है।

मेरे आश्रम के सचिव एकदिन जब बहुत देर से मुझसे मिलने के लिए आये तो मैंने देर से आने का कारण पूछा। वो मुझसे बताने लगे कि आज ट्रैन में एक अनपढ़ देहाती युवती मिल गई। वो रोते विलखते हुए उनसे मदद मांगने लगी। ट्रेन में उसकी इज्जत लूटने के लिए एक युवक उसके पीछे पड़ा था। उस युवक से बचने के लिए वो एक रेल कर्मचारी से मदद मांगी तो वो भी उस युवक के साथ मिल उसके पीछे लग गया। उन दोनों से बचने के लिए ट्रेन में बैठे एक गेरुआ वस्त्रधारी बाबा से उसने मदद लेनी चाही तो बाबा भी उन लोगों के साथ मिल उससे छेड़छाड़ करने लगा। मेरे बुजुर्ग सचिव ने स्वयं को युवती का दादा बताते हुए तीनो को डांट डपट कर शांत और चुप करा दिया। लोग एक एक करके सचिव महोदय के साथ होने लगे। अब तक तमाशा देख रही पब्लिक को अपने खिलाफ होता देख तीनों वहां से खिसक लिए। कुछ देर बाद युवती बाथरूम के लिए गई। थोड़ी ही देर में सचिव महोदय को युवती की चीख सुनाई दी- बाबा बचाओ.. बाबा बचाओ..

वो दौड़कर गए और बाथरूम का दरवाजा कुछ लोंगो के साथ मिलकर जबरदस्ती खोले। अंदर वही युवक था जो बड़ी देर से युवती के पीछे पड़ा था। वो युवती की इज्जत लूटने की कोशिश कर रहा था। सचिव महोदय ने अपना गमछा युवती को दिया, ताकि वो अपने फटे ब्लाउज को ढक सके। पब्लिक युवक की खातिरदारी करने में जुटी थी। वो खुद को किसी तरह से लोंगो की मार से बचाते हुए भाग गया। सचिव महोदय उस युवती को सुरक्षित उसके घर तक छोड़ के आये। पूरा वाकया सुनकर मेरी आँखों में आंसू आ गए। मुझे अपने सचिव पर गर्व हुआ। मैंने उन्हें शाबासी दी। ऐसे लोग देश में जहाँ कहीं भी हों, उन्हें मेरा सलाम। ये हमारे विकासशील देश के लिए कितनी शर्म की बात हैं कि ट्रेन और रेलवे स्टेशन महिलाओं के लिए अब सुरक्षित नहीं रह गया है। ये रेलवे और सरकार के लिए बहुत शर्म की बात है। घर से लेकर बाहर तक सभी जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए किये जाने वाले सारे सरकारी दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं। ऐसा लगता हैं कि सरकारों के वादे, इरादे और नैतिकता आदि सबकुछ हमारे भ्रस्ट तंत्र की भेंट चढ़ गया हैं।

सरकार को बलात्कार रोकने के लिए पुरुषों के द्वारा स्त्री को कमजोर व महज भोग की वस्तु समझने वाली पुरानी पुरुषवादी सामंती मानसिकता में बदलाव लाना चाहिए। इसके लिए आश्रमों, स्कूल-कालेजों, सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं तथा मनोचिकित्स्कों की मदद ली जा सकती है। लड़कियों को दरिंदों से बचने के लिए स्कूलों में रक्षा के उपाय जैसे जूडो-कराटे, व्यायाम व योग आदि सिखाया जाना चाहिए। गली-मुहल्ले से लेकर सभी सार्वजनिक स्थलों और वाहनो पर सरकार को महिलाओं की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए। सबसे बड़ी बात पुलिस और न्यायपालिका को सक्रीय करने की है ताकि पीड़ितों की न सिर्फ कायदे से सुनवाई हो, बल्कि उन्हें जल्द से जल्द से न्याय भी मिले। सरकार को टीवी, मिडिया और इंटरनेट के जरिये समाज में फ़ैल रही अश्लीलता पर रोक लगानी होगी। ये युवा पीढ़ी के मन व मष्तिष्क को प्रदूषित कर उन्हें सेक्स के मामले में मनोरोगी और बलात्कारी बना रहा है। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को मिलकर दिनोदिन बढ़ती जा रही इस समस्या का हल ढूंढना होगा।

सरकार को बलात्कार रोकने के लिए बलात्कारियों को सार्वजनिक तौर पर फांसी देने पर अब गंभीरता से विचार करना चाहिए। इससे समाज में कानून और सख्त सजा के प्रति भय पैदा होगा। मुझे तो समझ में नहीं आता हैं कि केंद्र व राज्य सरकारों का बलात्कारियों के प्रति रवैया सख्त क्यों नहीं हैं? क्या सिर्फ इसलिए कि वो बलात्कारी नेताओं, उच्चाधिकारियों, अमीरों और ऊँची पहुँच वालों के खानदान के हैं या फिर उनसे जुड़े हुए हैं? सच्चे लोकतंत्र में किसी को भी मनमानी और अन्याय करने की खुली छूट नहीं मिलती है। गरीब से गरीब आदमी को भी न्याय मिलना चाहिए। सबसे बड़ी बात ये कि हम उनपर दया क्यों करें, जो मासूम बच्चों और महिलाओं पर दया न कर उनसे क्रूर व्यवहार करते हैं और उनकी नृशंस ह्त्या तक कर देते हैं।

कुछ बुद्धिजीवी सुझाव देते है कि बलात्कारियों की नसबंदी कर देनी चाहिए। मेरे परिचित एक विद्वान लेखक ने अपने एक लेख में सुझाव दिया था कि बलात्कारियों का लिंग काट के फेंक देना चाहिए। उनका सुझाव व्यवहारिक नहीं है, परन्तु हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि प्राचीन काल में बलात्कारियों को दिए जाने वाले कठोर दंड की बदौलत ही समाज में शांति थी और महिलाएं तथा मासूम बच्चियां दरिंदों की हवस का शिकार होने से बच जाती थी। सजा इसलिए दी जाती है, ताकि दूसरों को दर्द देने वालों को स्वयं भी दर्द का एहसास हो। इस सच्चाई को हमें स्वीकार करना चाहिए। कानून और सजा का खौफ लोंगो के दिलों में होना जरुरी है, ताकि वो बलात्कार करने की बात सोंचे तक नहीं। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो लोग बलात्कारियों को सजा कदेने के लिए कानून अपने हाथ में लेने लगेंगे, जो किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। अंत में स्त्री जाति को सम्मान देते हुए मजरूह सुलतान पुरी के शब्दों में बस यही कहूँगा-

इनसान तो क्या देवता भी आँचल में पले तेरे
है स्वर्ग इसी दुनिया में कदमों के तले तेरे
ममता ही लुटाये जिसके नयन,
हो ममता ही लुटाये जिसके नयन
ऐसी कोई मूरत क्या होगी !
उस को नहीं देखा हमने कभी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी !
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी !

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(संस्मरण और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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