Menu
blogid : 15204 postid : 1091412

पिता से जानवर बन जाने की मानसिकता- सामयिक चिंतन

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

rape1
पिता से जानवर बन जाने की मानसिकता- सामयिक चिंतन
मंदिर सूना सूना होगा,
भरी रहेंगी मधुशाला, मधुशाला।
पिता के संग संग भरी सभा में,
नाचेंगी घर की बाला, घर की बाला।
कैसा कन्यादान पिता ही,
कन्या का धन खायेगा।
हे राम चन्द्र कह गये सिया से…

राजेंद्र कृष्ण द्वारा रचित ‘गोपी’ फिल्म का यह गीत आज के समय में कितना प्रासंगिक है, यह बताने की जरुरत नहीं। हम सब लोग इसकी सच्चाई को महसूस कर रहे हैं, समाज व् मीडिया में देख सुन रहे हैं और अखबारों में लगभग रोजाना ही पढ़ भी रहे हैं। अखबार में एक खबर मैंने पढ़ी, जिसने मेरे मन को झकझोर के रख दिया। सभ्य और आधुनिक कहे जाने वाले समाज में हवस में अंधे हो चुके एक पिता के अपने ही बेटियों के प्रति जानवर बन जाने की मानसिकता। एक अखबार में छपे समाचार के अनुसार मुंबई महानगर में कांदिवली निवासी ४० वर्षीय कारपेंटर पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को तार-तार करते हुए पिछले दस साल से अपनी दो बेटियों से दुष्कर्म कर रहा था।
इनमें से एक बेटी की उम्र १२ साल है, जबकि बड़ी बेटी की उम्र २१ साल की है। जब उसकी बड़ी बेटी की उम्र ११ साल की थी, तब उसने उससे दुष्कर्म करना शुरू किया था। वो दस वर्षों तक उससे दुष्कर्म करता रहा, फिर अपनी १२ वर्ष की छोटी बेटी के आबरू के पीछे पड़ गया। उसने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए पिछले महीने अपनी १२ साल की छोटी बेटी से भी दुष्कर्म किया। उस मासूम लड़की ने रोते विलखते हुए यह बात अपनी बड़ी बहन को बताई, जिसने अपनी माँ के बहुत रोकने के वावजूद भी जानवर बन चुके अपने शैतान पिता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करने का फैसला किया। थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो एक पिता के हैवानियत की दास्तान उसकी पत्नी के मुख से सुनकर हैरान रह गई। पीड़ित लड़कियों की मां ने पुलिस को बताया कि उसे २००५ से ही अपने पति के इस घृणित करतूत की जानकारी थी। जब बड़ी बेटी के साथ उसने पहली बार दुष्कर्म किया था, उस समय उसकी उम्र मात्र ११ साल की थी। बड़ी बेटी ने उस समय मां को सबकुछ बताया था, लेकिन वो परिवार की इज्जत बचाने के नाम पर चुप रही। इस अमानवीय और निंदनीय घटना का एक और स्याह पहलू तब उजागर हुआ, जब पुलिस आरोपी को जांच के लिए डॉक्टर के पास ले गई। तब आरोपी के एड्स रोगी होने का पता चला। वो कई वर्षों से एड्स की दवाईयां खा रहा था।
उस शैतान ने अपनी बेटियों के साथ साथ अपनी पत्नी की भी जिंदगी तबाह कर दी है। उस राक्षस पिता को पता था कि उसे यह बीमारी है, फिर भी बच्चियों के भी एड्स रोगी हो जाने की परवाह किये बिना उसने वासना के नशे में अंधा होकर अपनी बेटियों के साथ वर्षों दुष्कर्म किया। मानवता को शर्मसार करने वाले और बाप-बेटी के पवित्र रिश्ते कलंकित करने वाले ऐसे वहशी को सरेआम फांसी पर लटका देने की सजा होनी चाहिए, वहीं दूसरी तरफ पीड़ित लड़कियों की माँ भी कम दोषी नहीं है, जो इस दुष्कर्म के बारे में जानते हुए भी परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के नाम पर दस साल तक चुप रही। उसे भी कानून के द्वारा सजा दी जानी चाहिए।
एक नवीनतम आंकड़े के अनुसार पूरे देशभर में बलात्कार, शारीरिक शोषण, हिंसा, ह्त्या व अपहरण आदि से जुड़े ९० से लेकर ९४ प्रतिशत तक मामले घर-परिवार के या ऐसे किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा किये जाते हैं, जिसके साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हो। वह व्यक्ति परिवार-रिश्ते का, दोस्त या लिव इन पार्टनर (सहजीवी) या भूतपूर्व-पार्टनर, या कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जिसे पीड़ित महिला अच्छी तरह से जानती थी। आज वासना की आग में पिता-पुत्री और भाई-बहन जैसे पवित्र रिश्ते भी झुलस रहे हैं। इसके बहुत से कारणों में सबसे बड़ा कारण आजकल की बहुत तेजी से बहती हुई खुलेपन की बयार है। पहले लोग पारिवारिक रिश्तों का बहुत लिहाज करते थे। बाप-भाई के खँखारने की आवाज सुनते ही महिलायें और लडकिया घर के अंदर भाग जाती थीं।
पहले एक सभ्य पहनावा और परदे में रहने का रिवाज था। अब एक तो खुलेपन की बयार है, दूसरे एक दो कमरे के छोटे से घर में एक बड़ा परिवार रहता है। सबलोग उसी में एडजस्ट करके रहते हैं, खाते सोते हैं और एक साथ टीवी देखते हैं। टीवी पर भी विज्ञापन, फिल्मों व् सीरियलों में अश्लीलता और खुलापन हावी है। पुरुषों की वासना भड़काने में इनका बहुत बड़ा हाथ है। बहुत से घरों में बाप, भाई या रिश्तेदार घर की महिलाओं के सामने खुलेआम दारु पीते हैं। आजकल आधुनिकता के नाम पर पिता, भाई और रिश्तेदारों से दोस्ती करने का नया दौर चला है, जिसने रिश्तों का लिहाज, मर्यादा और दूरी कम कर दी है, यह भी पवित्र पारिवारिक रिश्तों के अपवित्र होने की एक बहुत बड़ी वजह है। शहर की कुछ पढ़ी-लिखी लड़कियों को स्वतंत्र जीवन जीने की आजादी मिल जाने से अब गांवों और कस्बों में भी नारी स्वतंत्रता की मांग उठने लगी है।
सेक्स के प्रति अब हमारी मानसिकता बदल रही है। बहुत से घरों में भी लोग एक दूसरे से इस विषय पर चर्चा करने लगे हैं। इससे पारिवारिक रिश्तों की मर्यादा गिर रही है। पारिवारिक रिश्तों की मर्यादा को अगर कोई त्याग दे तो अपने प्राकृतिक रूप में आने पर जानवरों से भी बदतर साबित होगा। मेरे पास आने वाले कुछ लोंगो की देखी-सुनी बात आपको बता रहा हूँ। एक सज्जन मेरे पास एक दिन आये। वे बहुत चिंतित दिख रहे थे। मैंने कारण पूछा तो बोले, ‘अपने लड़के को खुली छूट दे के पछता रहा हूँ। कल रात खूब पीकर घर लौटा और अपनी बहन के ऊपर जाकर लेट गया। वो लगी चिल्लाने तो मैं तुरंत जाकर उसकी आबरू बचाया और लड़के का मार के सब नशा उतार दिया।’ मैंने उन्हें सलाह दी कि लड़की को अपनी माँ के साथ सोने को कहो, सुरक्षित रहेगी।
एक सज्जन मुझे बताने लगे कि उनके गाँव में एक लड़की पंचायत बुलाई और अपने पिता पर कई साल से दुष्कर्म करने का आरोप लगायी। पंचों और गाँव वालों के सामने पहले तो आरोपी पिता ऐसा करने से इंकार करता रहा, फिर पंचों से पूछा, ‘पंचों! एक बात बताइये कि अगर मैं कोई पेड़ लगाऊँ तो उसका फल मुझे खाने का अधिकार है या नहीं?’ पंचों ने एक स्वर में कहा, ‘हाँ, बिलकुल अधिकार है, पर इसका इस मामले से क्या लेना देना?’ वो बेशर्मी से हँसते हुए पूछा, ‘तो फिर मैं अपराधी कैसे हुआ?’ पंच उसकी बात समझते ही चिल्लाये, ‘मारो..साले को..’ वो भागा, परन्तु गांव वालों ने उसे खेतों में दौड़ा-दौड़ा कर मारा। ‘स्त्री बस भोग की एक वस्तु है’ स्त्रियों का दमन करने वाली इस निंदनीय पुरुष मानसिकता को हमें अपने परिवार और समाज से दूर भागना ही होगा, तभी हमारे परिवार और समाज में महिलाएं सुरक्षित व् सम्मानित रह सकेंगी। अंत में एक बार फिर राजेंद्र कृष्ण जी के कुछ बोल प्रस्तुत हैं-
सुनो सिया कलियुग में,
काला धन और काले मन होंगे।
चोर उचक्के नगर सेठ,
और प्रभु भक्त निर्धन होंगे।
जो होगा लोभी और भोगी,
वो जोगी कहलायेगा।
हे राम चन्द्र कह गये सिया से…

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh