Menu
blogid : 15204 postid : 1093512

नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लॉगिंग- हिंदी दिवस पर लेख

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
  • 534 Posts
  • 5673 Comments

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Hindis
नव परिवर्तनों के दौर में हिंदी ब्लॉगिंग- हिंदी दिवस पर
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा।
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा..

हिंदी के भूतकाल और वर्तमान की चर्चा के लिए के लिए आदरणीय मोहम्मद इक़बाल जी की यही पंक्तियाँ पर्याप्त हैं। समय की सतत गतिशीलता के साथ साथ संसार में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। परिवर्तन सभी देशों में हो रहा है। भारत में भी आज़ादी के बाद से ही नव परिवर्तनों का दौर चल रहा है। हमारे देश में आज़ादी के बाद से लेकर अब तक न जाने कितने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन हुए हैं। हमारे देश की राजभाषा हिंदी स्वयम न जाने कितने नव परिवर्तनों के दौर से होकर गुजरी है। हिंदी के विकास के लिए और हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने के लिए हिंदी प्रेमियों द्वारा न जाने कितने आंदोलन हुए और उसे दबाने के लिए सरकार व नेताओं द्वारा सिर्फ झूठे राजनीतिक वादे किये गए।
हिंदी ने कई प्रांतीय और क्षेत्रीय भाषा के विरोध झेले, किन्तु बदलते हुए समय के साथ-साथ चलते हुए हमारी राजभाषा हिंदी इतिहास, भूगोल, साहित्य, राजनीति, समाज, परिवार, खेल, स्वास्थ्य, चिकित्सा, विज्ञान, सूचना, संचार और प्रोद्योगिकी में हुए नव परिवर्तनों की लेखनी बनी। दूसरे क्षेत्रों में हुए वृहद परिवेतनों के साथ साथ हिंदी भाषा के लेखन में भी भारी परिवर्तन आया है। नव परिवर्तनों के आधुनिक दौर में हिंदी का हिंग्लिश स्वरुप हम सब के सामने है। आज के दौर में हिंदी ब्लागिंग हिंदी के हिंग्लिश स्वरुप को पूरी तरह से अपना ली है और भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में घटने वाली घटनाओं की लेखनी बन गई है। अंग्रेजी सहित बहुत सारी प्रांतीय भाषाओँ के लोकप्रिय व् आम जनता में प्रचलित शब्दों को हिंदी ब्लागिंग ने अपना लिया है। हिंदी ब्लागिंग का दायरा अब बहुत विस्तृत होता जा रहा है। आज के समय में हिंदी ब्लागिंग की बहुत सारी वेबसाइटें है, जहाँ पर किसी भी विषय पर गद्य-पद्य में लेखन के साथ साथ, व्यंग्य, लघु कथा, संस्मरण, क्षणिका, मुक्तक और हाइकू आदि किसी भी विधा में लिखकर अपनी लेखन प्रतिभा को निखार सकते हैं और एक अच्छे लेखक के रूप में ब्लॉगिंग की दुनिया में प्रतिष्ठित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप सोशल मिडिया ट्विटर व् फेसबुक पर भी आप अपने विचार लिख सकतें हैं। आज के समय में हिंदी ब्लागिंग पूरे देश भर में ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं की लेखनी व् चर्चा का विषय बन जा रही है।
हम पूरी दृढ़ता के साथ कह सकतें हैं कि भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होने वाले नव परिवर्तनों की गवाह हिंदी ब्लागिंग बन चुकी है। आज हिंदी ब्लागिंग विज्ञानं, चिकित्सा, सूचना, संचार, प्रोद्योगिकी के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक व् आर्थिक हर क्षेत्र में होने वाले नए परिवर्तनों की त्वरित जानकारी हमें दे रही है। हिंदी ब्लागिंग अब रोमन व् देवनागरी दोनों ही लिपि में लिखी जा रही है। हिंदी ब्लागिंग ने नव परिवतन के इस दौर में नई तकनीक अपनाते हुए एक ऐसे विशेष साफ्टवेयर की व्यवस्था कर ली है जो अंग्रेजी के अक्षरों के द्वारा हिंदी की देवनागरी लिपि में टाईप करता है। हिंदी ब्लागिंग में यह एक बहुत बड़ी तकनीकी क्रांति है, जो हिंदी ब्लागिंग को सर्वसुलभ व् बहुत आसान कर दी है। अब हिंदी ब्लागिंग की ओर हिंदी टाईपिंग नहीं जानने वाले भी बहुत तेजी से आकर्षित हो रहें हैं। हिंदी टाईपिंग बहुत कठिन है,बिना सीखे और बिना अच्छे अभ्यास के आप सही ढंग से हिंदी में टाईप नहीं कर सकते हैं।
मै खुद हिंदी टाईपिंग नहीं जानता हूँ, परन्तु विभिन्न वेबसाइटों द्वारा उपलब्ध कराई गई विशेष साफ्टवेयर और रोमन लिपि की मदद से अपनी बात हिंदी में बड़ी सरलता से लिख लेता हूँ। हिंदी ब्लागिंग के क्षेत्र में निश्चय ही इससे एक बड़ी क्रांति आ गई है। यही वजह है कि अब अंग्रेजी ब्लॉगिंग का वर्चस्व तेजी से टूट रहा है। इस समय पूरे देशभर में पचास हजार से भी ज्यादा हिंदी में लिखने वाले ब्लॉगर हैं। इंटरनेट के बढ़ते हुए प्रचार-प्रसार के कारण हिंदी ब्लॉगों को पढ़ने वाले पाठकों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। यही कारण है कि बहुत से ब्लॉगर जो पहले अंग्रेजी में ब्लॉग लिखते थे, वो अब हिंदी में भी लिखने लगे हैं। इंटरनेट पर एक और बड़ी क्रांति हुई है, जिसने हिंदी ब्लॉगिंग को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया है। अब हम हिंदी भाषा में यूआरएल टाइप करके वेबसाइट्स देख सकते हैं। ऐसा करके हम चाइना और यूरोप जैसे देशों की कतार में खड़े हो हो गए हैं, जो पहले ही से अपनी मातृभाषा में वेबसाइट्स को खोल रहे हैं।
बहुत से ब्लॉगरों को किसी विशेष विषय पर ब्लॉग लिखते समय उस विषय से संबंधित आंकड़े या नवीन जानकारी ढूंढने दिक्कत होती थी, परन्तु अब हम हिंदी या देसी भाषाओं में यूआरएल डोमेन डाल जरुरी जानकारी ले सकते हैं, जैसे- भारत, सरकार, शिक्षा या फिल्म आदि कोई भी शब्द लिखकर संबंधित वेबसाइटों को बड़ी सरलता से ढूंढ सकते हैं। इससे पहले हम अंग्रेजी भाषा में ही डोमेन नाम डालते थे, क्योंकि हमारे पास हिंदी भाषा का ऑप्शन नहीं होता था। भारत सरकार द्वारा जबसे हिंदी में डोमेन नाम प्रदान करने की सुविधा प्रारंभ की गई है, तबसे इंटरनेट पर हिंदी का बहुत तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ है। खासकर तकनीकी क्षेत्र में तो ऐतिहासिक उत्थान हुआ है। इंटरनेट पर हिंदी का तेजी से हो रहा प्रचार-प्रसार और विकास हिंदी प्रेमियों को बहुत आनंदित करने वाला है, किन्तु एक बहुत बड़ी चिंता की भी बात सामने आ रही है। वो चिंता की बात ये है कि हिंदी का शुद्ध साहित्यिक स्वरुप गायब हो रहा है और इंटरनेट पर उसका हिंगलिश स्वरुप ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है।
हिंदी ब्लागिंग में हिंग्लिश का प्रयोग बढ़ रहा है, उसके कई कारण हैं, पहला यह कि देश के युवा शुद्ध हिंदी सीखने को लेकर उत्साहित नहीं हैं, उन्हें लगता है कि शुद्ध हिंदी सीखकर हम करेंगे क्या ? उसकी नौकरी या व्यवसायं में क्या उपयोगिता है? हर तरफ अंग्रेजी का वर्चस्व है। दूसरा कारण मुझे ये समझ में आता है कि पिछले अनेक वर्षों से केंद्र सरकार व् राज्य सरकारों की नीति और रूचि अब साक्षरता अभियान चलाकर अनपढ़ लोगों को हिंदी में सिर्फ साक्षर बनाने की है, हिंदी माध्यम से बच्चों और युवाओं को शिक्षित करने में उनकी रूचि घटती जा रही है। इसका असर हिंदी ब्लागिंग पर साफ दिखाई देता है। हिंदी के शब्द देवनागरी लिपि में अशुद्ध ढंग से लिखे जा रहे हैं और बहुत से लोग अंग्रेजी यानि रोमन लिपि में ही हिंदी लिख रहें हैं। मुझे ऐसा लगता है कि भविष्य में हिंदी ब्लागिंग में अंग्रेजी हिंदी मिश्रित हिंग्लिश का प्रयोग तथा रोमन लिपि का प्रयोग और बढेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि हिंदी ब्लागिंग को खूब बढ़ावा मिल रहा है।
आज के समय में चाहे अनेकों वेबसाइटें हों, समाचार पत्र हों, या फिर सोशल मीडिया सभी अपने व्यवसायिक लाभ के लिए हिंदी ब्लागिंग का बहुत लोकप्रिय मंच ब्लॉगरों को बिना कोई पारिश्रमिक दिए उपलब्ध करा रहें हैं। मेरा एक सुझाव है कि मीडिया वाले जो प्रोफेशनल रूप से ब्लोगिंंग का मंच प्रदान किये हुए हैं, उन्हें चुने हुए ब्लॉगरों और पाठकों को उनके अच्छे लेख और अच्छे कमेंट प्रस्तुत करने के लिए समय समय पर कुछ गिफ्ट या पारिश्रमिक के रूप में धन जरूर देना चाहिए। इससे लेखन का स्तर सुधरेगा और नए ब्लॉगरों के साथ साथ पाठकों की संख्या में भी बड़ी तेजी से वृद्धि होगी। मुझे ख़ुशी इस बात की है कि हिंदी ब्लागिंग में देश की आम जनता भागीदार बन खुलकर अपनी बात कह रही है और इसी बहाने हिंदी का प्रचार-प्रसार भी हो रहा है। राजनीतिक, सामाजिक व् आर्थिक नव परिवर्तन चाहे भारत में हो या विदेश में वो हिंदी ब्लागिंग पर लेखनी का विषय जरुर बन रहे है। अत: हम कह सकतें हैं की नव परिवर्तनों के दौर से हिंदी ब्लागिंग कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रही है।
अब तो दुनिया के लगभग सभी देशों के लोग ब्लॉगिंग मंच और सोशल मिडिया पर बहुत खुलकर अपनी बात लिखने लगें हैं और पूरा विश्व ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के रूप में सजने संवरने लगा है। ब्लॉगिंग मंच देश-दुनियां को प्रभावित करने वाले सभी ज्वलंत और समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार प्रकट कर रहे हैं तथा पाठकों की जानकारी में वृद्धि करने के साथ साथ समाज सुधार का भी प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। ब्लॉगिंग मंचों की कुछ समस्याएं भी हैं। सभी ब्लॉगिंग मंचों पर एक तरफ जहाँ अधिकतर रचनाओं में भाषा अशुद्धि और ब्लॉगरों द्वारा अच्छे साहित्य की बजाय विवादित विषयों पर ज्यादा लिखने जैसी समस्या है तो वही दूसरी तरफ पाठकों द्वारा भेजे जाने वाले अश्लील व सांप्रदायिक कमेंट भी एक बड़ी समस्या हैं। यही वजह है कि अधिकतर ब्लॉगिंग मंच अब ब्लॉगरों की रचनाओं और पाठकों के कमेंट को सीधे प्रकाशित करने की बजाय उसे सम्पादित करके ही प्रकाशित कर रहे हैं, जो कि मेरे विचार से बिलकुल सही है।
लगभग सभी ब्लॉगिंग मंच रचनाओं की भरमार और थोड़ी बहुत तकनीकी खामियों से भी जूझ रहे हैं, मंच संचालकों को इसका कोई समुचित समाधान निकालना चाहिए। अंत में आप सबसे ये सच बात पूरे गर्व से कहूँगा कि आज सारी दुनिया के लोगों को ब्लॉगिंग मंच आवाज़ दे रहे हैं-”आओ! अपना सुखदुख और अपने मन की बात कहो, निडर होकर विभिन्न विषयों पर अपनी राय व्यक्त करो, हम उसे प्रकाशित करेंगे और सारी दुनिया के सामने लायेंगे।” सरकारों के खौफ से गूंगी-बहरी बन चुकी जनता को जुबान और सच कहने की हिम्मत देने के लिए दुनिया के सभी ब्लॉगिंग मंचों को मेरा सलाम। आज के समय में निडर होकर, खुलकर और हंसकर अपनी बात कहने वाली निर्भीक और आनंदित विश्व की जनता सभी ब्लॉगिंग मंचों की ह्रदय से आभारी है। हिंदी दिवस (१४ सितम्बर) के शुभ अवसर पर यह लेख हमारी मातृभाषा हिंदी को समर्पित है। इस अवसर पर एक कड़वी सच्चाई के रूप में आदरणीय बरसाने लाल चतुर्वेदी जी की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं-
अँग्रेज़ी प्राणन से प्यारी।
चले गए अँग्रेज़ छोड़ि याहि, हमने है मस्तक पे धारी।।
ये रानी बनिके है बैठी, यह चाची, ताई और महतारी।
उच्च नौकरी की ये कुंजी, अफसर यही बनावनहारी।।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh