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बिसाहड़ा गाँव की दुखद घटना और दिग्भ्रमित हिन्दू सेलिब्रिटी

सद्गुरुजी
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बिसाहड़ा गाँव की दुखद घटना और दिग्भ्रमित हिन्दू सेलिब्रिटी
उत्तर प्रदेश के दादरी इलाक़े के बिसाहड़ा गाँव में सोमवार २८ सितम्बर को ‘गोवध’ और ‘गोमांस’ खाने की अफ़वाह उड़ने के बाद अख़लाक़ अहमद नामक व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस हमले में अख़लाक़ अहमद का एक बेटा भी ज़ख़्मी हुआ है, जो कि इस समय अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। निश्चय ही यह एक बेहद दुखदायी और निंदनीय घटना है। केवल एक अफवाह के आधार पर इस तरह का हिंसक कृत्य अशोभनीय और अमानवीय है।

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अख़लाक की माँ असग़री ने अपने परिवार को निर्दोष बताते हुए पत्रकारों से कहा, “गाँव वालों ने बहुत बुरा किया हमारे साथ, बिना क़सूर, बिना ग़लती के। आजतक हमारा झगड़ा तक नहीं हुआ किसी से। पता नहीं हमें क्यों मारने को आए? यह अफ़वाह उड़ाई कि गो हत्या की है। घर में जो मांस रखा हुआ था वो बकरे का था।” यदि अख़लाक़ की माताजी सही कह रही हैं तो यह उनके लिए वाकई बेहद शर्म और कलंक की बात है, जो बहुत गर्व से अपने को हिन्दू कहते हैं।

सत्य का पता चलना ही चाहिए, ताकि गोमांस खाने वाली बात यदि सत्य है तो क़ानूनी रोक के बावजूद भी चोरी-छिपे गोमांस खाने वालों पर अंकुश लगना ही चाहिए और यदि गोमांस खाने वाली बात झूठी और महज अफवाह निकले तो अफवाह फैलाने वाले और हिंसा में लिप्त लोंगो के खिलाफ कठोर से कठोर क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। पुलिस क़ानूनी कार्यवाही कर रही है, उसने अबतक आठ लोंगो को गिरतार किया है।

इस हिंसक वारदात के समय भी हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा पूरी तरह से मरा नहीं था। वो बहुत से हिन्दुओं के दिलों में ज़िंदा था। कई हिन्दुओं ने अफवाह से भ्रमित जुनूनी भीड़ को समझाने की कोशिश की, परन्तु उनकी बात नहीं सुनी गई। कुछ हिन्दुओं ने अपने पडोसी मुस्लिम परिवारों की अपनी जान जोखिम में डाल रक्षा की। ह्रदय को छूने वाले ऐसे मानवीय पहलुओं को मेरा सलाम। इस सच्चाई को स्वीकारते हुए अख़लाक़ अहमद के बड़े भाई जमील ने पत्रकारों से कहा, “जब हमला हुआ तो बीच बचाव करने वाले, भीड़ से हमारे लोगों को छुड़ाने वाले भी हिन्दू ही थे. हमारे हिन्दू पड़ोसियों ने ही पुलिस को ख़बर की थी.”

मैं इस बात से सहमत हूँ कि यह बेहद दुखद घटना थी और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मेरे विचार से तो यदि ‘गोवध’ और ‘गोमांस’ खाने वाली बात सही थी तो भी हिन्दुओं को ऐसा अमानवीय हिंसक कृत्य करने की बजाय क़ानूनी कार्यवाही का सहारा लेना चाहिए था। इस घटना के बाद नेताओं द्वारा अपने मतलब के लिए इसे राजनितिक जामा पहनाये जाने लगा है। धर्म के ठेकेदार इसे एक बहुत बड़ी विवादित धार्मिक समस्या बनाने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर देश के कुछ जाने-माने सेलिब्रेटी और समाज के संभ्रात लोग इस मुद्दे पर सोशल मीडिया में बिना सोचे समझे और बहुत ही अजीबोगरीब ढंग से अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इन्ही लोंगो की चर्चा करते हुए इनके कुछ ट्वीट प्रस्तुत कर रहा हूँ-

Shobhaa De @DeShobhaa
I just ate beef. Come and murder me.
12:06 PM – 1 Oct 2015
“मैंने अभी बीफ खाया है, आओ और मुझे मार डालो।” ये ट्वीट देश की एक प्रसिद्द लेखिका, स्तंभकार और उपन्यासकार शोभा डे के हैं।

Markandey Katju @mkatju
इंसान का लहू पियो, इज़्न-इ-आम है,
पर गाय का गोश्त खाना हराम है II
6:05 PM – 30 Sep 2015
“इंसान का लहू पीने की इजाजत है, परन्तु गाय का गोश्त खाना हराम है।” ये ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू जी के हैं।

ये दोनों ही बुद्धिजीवी कानून के खिलाफ बातें कर रहे हैं। इन्हे क्या पता नहीं कि भारत के दस राज्यों को छोड़कर बाकी सभी जगह पर ‘गोवध’ करने और ‘गोमांस’ खाने पर पाबंदी है? दूसरी बात ये आलिशान और गार्डों से सुरक्षित घरों में रहकर लोंगो को गोमांस खाने की सलाह दे रहे हैं। यही बात क्या ये जनता के बीच में सार्वजनिक जगहों पर कहने की हिम्मत रखते हैं? उनकी सलाह मानने के कारण देश में जो मारकाट होगी, क्या वो उसकी जिम्मेदारी अपने सर माथे लेंगे?

एक और बुद्धिजीवी हैं- फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर, जिन्होंने फ़िलहाल अभी तो शोभा डे जी के इस ट्वीट को रीट्वीट किया है- ‘मैंने अभी गोमांस खाया है, आओ और मारो मुझे।’ इनके कुछ पुराने ट्वीट देखिये-

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ऋषि कपूर ने अपने एक ट्वीट में लिखा था, “मैं पोर्क (सुअर का मांस) भी खाता हूं, जैसे कि मेरे कई मुस्लिम दोस्त खाते हैं और मानते हैं कि धर्म को खाने से जोड़ना गलत है। पंडित मौलवी सब छोड़ो! करो दिल की बात। मन की बात। खाने पर बैन नहीं होना चाहिए। सब राजनीति है। मेरा मंत्र है जियो और जीने दो। आपको नहीं पसंद तो मत खाओ।

गोवध और गोमांस प्रतिबंध पर उन्होंने ट्वीट किया था, ‘प्रतिबंध पर मेरी टिप्पणी, अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन घर की चारदीवारी के भीतर करना चाहिए। अपनी मान्यताओं को दूसरों पर थोपना बंद करें। जियो और जीने दो।’ उनके इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर हंगामा मच गया था। उन्हें बहुत से ट्विटर यूजर्स से कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी थी।

इसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम टिप्पणी में लिखा, “वे क्या करते हैं, क्या खाते हैं, क्या पीते हैं और क्या प्रार्थना करते हैं इससे किसी और को क्या लेना।”
ऋषि कपूर साहब कानून फिर किसलिए बने हुए हैं? फिर तो चोर और अपराधी भी कहेंगे कि हमारे जो मन में आएगा वो करेंगे, इससे किसी को क्या लेना देना। मुझे आश्चर्य होता है कि ये कैसा सहनशील देश है, जो अपने देश के कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करता है? ये हमारी कैसी बुजदिली और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?

वेदों में गाय के बारे में क्या लिखा है, कभी उसे भी पढ़ लिया होता तो गोमांस खाने जैसी वैदिक धर्म विरोधी और मूर्खतापूर्ण बातें नहीं करते। वेदों में गोवध करने और गोमांस खाने का पूर्णतः निषेध है। सभी हिन्दुओं को इसे मन, वचन और कर्म तीनों से मानना चाहिए। इससे संबंधित कुछ वेद मंत्र देखिये-

घृतं दुहानामदितिं जनायाग्ने मा हिंसी:। यजुर्वेद १३।४९
अर्थात सदा ही रक्षा के पात्र गाय और बैल को मत मार।
आरे गोहा नृहा वधो वो अस्तु। ऋग्वेद ७ ।५६।१७
इस मंत्र में वेद गौ-हत्या को जघन्य अपराध घोषित करते हुए मनुष्य हत्या के तुल्य मानता है और ऐसा महापाप करने वाले के लिये मृत्यु दण्ड का विधान करता है।

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(आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- २२११०६)
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